अलबरुनी का जन्म आधुनिक उज्बेकिस्तान में स्थित ख्व़ारिज्म में सन् 973 में हुआ था. वह फारस का एक प्रसिद्ध विद्वान था जोकि महमूद गज़नवी के भारत आक्रमण के दौरान उसके साथ आया था. वह पहला मुश्लिम लेखक था जिसने भारत की संस्कृति और परंपरा के बारे में व्यापक अध्ययन कार्य किया था. अरबी और फारसी के अलावा, वह ग्रीक और संस्कृत का अद्भुत ज्ञाता था. हालाँकि वह यूनानी भाषा का जानकार नहीं था फिर भी वह प्लेटो तथा अन्य यूनानी दार्शनिकों के कार्यों से पूरी तरह परिचित था जिन्हें उसने अरबी अनुवादों के माध्यम से पढ़ा था.
उसके लेखन कार्य में दंतकथाओं से लेकर खगोल-विज्ञान और चिकित्सा संबंधी कृतियाँ सभी शामिल थीं. उसने विभिन्न विषयों पर कई पुस्तकें लिखी थीं. जिसके अंतर्गत भूगोल, गणित, भारतीय साहित्य, ज्योतिष और मानचित्रकारी जैसे विषय शामिल है. वह युद्ध और लड़ाई के बारे में बहुत ज्यादा जानकारी नहीं देता है. उसने अपने वर्णन में भारत की परंपराओं, रीति रिवाजों और संस्कृति पर बड़े पैमाने पर अपना ध्यान आकर्षित किया है. उसने लिखा कि हर वह वस्तु जो अपवित्र हो जाती है अपनी पवित्रता की मूल स्थिति को पुन: प्राप्त करने का प्रयास करती है और सफल होती है। सूर्य हवा को स्वच्छ करता है और समुद्र में नमक पानी को नहीं होता तो पृथ्वी पर जीवन असंभव होता.
उसने एक प्रसिद्ध पुस्तक तहकीक-ए- हिन्द का लेखन कार्य किया. इस पुस्तक को किताब-उल-हिन्द के नाम से भी जाना जाता है. एडवर्ड सी. सखाऊ ‘किताब-उल-हिन्द’ के संपादक और अनुवादक थे. अरबी में लिखी गई अल-बिरूनी की कृति ‘किताब-उल-हिन्द’ की भाषा सरल और स्पष्ट है. यह एक विस्तृत ग्रंथ है जो धर्म और दर्शन, त्योहारों खगोल-विज्ञान कीमिया रीति-रिवाजों तथा प्रथाओं सामाजिक जीवन भार-तौल तथा मापन विधियों मूर्तिकला कानून मापतंत्र विज्ञान आदि विषयों के आधार पर अस्सी(80) अध्यायों में विभाजित है. इस पुस्तक में भारतीय धर्म और दर्शन से संबंधित विभिन्न तथ्यों का वर्णन किया गया है.
महमूद गज़नवी के पुत्र सुल्तान मसूद (1030-1040) के प्रति उसका दृष्टिकोण सौहार्दपूर्ण था जिसे उसने अपनी महानतम कृति ‘अल-क़ानून अल-मसूदी फ़िल हइया-वलनुजूम’ समर्पित की थी और उसकी भूरि भूरि प्रशंसा की थी. किताब –अल- कानून-अल- मसूदी नामक यह पुस्तक भूगोल, खगोल विज्ञान और इंजीनियरिंग पर एक महत्वपूर्ण पुस्तक है.
अलबरूनी वैज्ञानिक स्वभाव का व्यक्ति था. उसने एस्त्रोलैब नामक यंत्र की सहायता से पहाड़ो की ऊंचाई की गणना की.
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