जीवन के लिए ऑक्सीजन सबसे अनिवार्य आवश्यकताओं में से एक है। जिस प्रकार धरती के जीव बिना भोजन और पानी के जीवित नहीं रह सकते हैं, उसी प्रकार ऑक्सीजन के बिना भी वे जीवित नहीं रह सकते हैं| श्वसन की मदद से मनुष्य भोजन से ऊर्जा प्राप्त करते हैं और इस प्रक्रिया में ऑक्सीजन बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऑक्सीजन कई प्रकार से उपयोगी होता है। जैसे- उद्योगों में इसका प्रयोग सल्फ्यूरिक एसिड एवं नाइट्रिक एसिड आदि बनाने में किया जाता है। औद्योगिक क्षेत्र में ऑक्सीजन का प्रयोग धातुओं को काटने, वेल्डिंग करने और गलाने में किया जाता है। वायुमंडलीय ऑक्सीजन का प्रयोग औद्योगिक कार्यों, जेनरेटरों और जहाजों के लिए ऊर्जा पैदा करने में किया जाता है। व्यवसायिक स्तर पर, इस्पात उद्योग में वात्य–भट्ठी में लौह-इस्पात तैयार करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। यदि हमारे वायुमंडल से ऑक्सीजन समाप्त हो जाए तो इसका नतीजा विनाशकारी होगा।
क्या आपने कभी कल्पना की है कि यदि पृथ्वी से 5 सेकेंड के लिए भी ऑक्सीजन विलुप्त हो जाए तो क्या होगा?
1. महासागर और अन्य जल निकायों का वाष्पन शुरु हो जाएगा और सारा जल भाप बनकर अंतरिक्ष में फैल जाएगा
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पानी (H2O) हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से मिलकर बनता है और वायुमंडल में 33% ऑक्सीजन है। यदि पानी में ऑक्सीजन न हो तो सभी तत्वों में सबसे हल्का होने की वजह से हाइड्रोजन क्षोभमंडल तक पहुंच जाएगा और वायुमंडलीय पलायन के माध्यम से धीरे– धीरे अंतरिक्ष में पहुंच जाएगा।
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2. प्रत्येक व्यक्ति के भीतरी कान के परदे फट जायेंगें
ऑक्सीजन की कमी के कारण एक पल में ही, हमारे आस–पास मौजूद हवा का दबाव 21% कम हो जाएगा जो समुद्र तल से करीब 2000 मी. की ऊँचाई से छलांग लगाने के बराबर होगा। ऑक्सीजन कान के पर्दों को दबाव में होने वाले बदलावों के अनुकूल बनाता है। अतः ऑक्सीजन की अनुपस्थिति के कारण सुनने संबंधी गंभीर बीमारियाँ होने की संभावना बढ़ सकती है।
3. कंक्रीट से बनी इमारतें या कोई अन्य संरचना धूल में या टुकड़ों में बदल सकती है
पृथ्वी के उपरी परत में 45% ऑक्सीजन होता है और ऑक्सीजन के बिना यौगिक अपनी कठोरता बनाए नहीं रख सकते हैं| जिसके कारण हमारे नीचे की धरती गायब हो जाएगी और हम आसानी से गिरने लगेंगे। इसलिए, ठोस संरचनाओं के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण स्रोत है।
4. दिन के समय आकाश काला हो जाएगा
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हम सभी जानते हैं कि हवा में मौजूद प्रकाश कणों (धूल, ऑक्सीजन अणु, अन्य अशुद्धियां आदि) से परावर्तित होने के कारण सूर्य की रौशनी पृथ्वी के सतह पर पहुंचती है। ऑक्सीजन की अनुपस्थिति का अर्थ है कि प्रकाश की किरणें परावर्तित नहीं होंगी जिसके कारण आकाश लगभग काला दिखने लगेगा।
5. समुद्र के किनारे रहने वाले लोगों को धूप से अत्यधित जलन (सन बर्न) होगी
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ऐसा इसलिए क्योंकि ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में सूर्य से आने वाली पराबैंगनी किरणों को ओजोन (ऑक्सीजन के 3 अणु) परत पृथ्वी की सतह में प्रवेश करने से नहीं रोक पाएंगीं। अगर पराबैंगनी किरणें पृथ्वी की सतह में प्रवेश करेंगी तो हम टोस्ट के जैसे हो जाएंगे या टोस्ट जैसे दिखने लगेंगे।
6. ऑक्सीकरण की परत धातुओं को आपसी संपर्क के द्वारा एक दूसरे से जुड़ने से रोकती है
धातुओं पर ऑक्सीकरण की परत चढ़ाई जाती है। इसकी वजह से संपर्क में आने पर वे एक दूसरे से नहीं चिपकते हैं और निर्वात स्थिति में धातु किसी मध्यवर्ती तरल पदार्थ की सहायता के बिना आपस में जुड़ जाते हैं। यह सिद्धांत शीत वेल्डिंग (कोल्ड वेल्डिंग) में इस्तेमाल किया जाता है।
7. पानी का एक तिहाई हिस्सा ऑक्सीजन होता है और इसके बिना हाइड्रोजन गैसीय रूप में बदल जाएगा और इसका आयतन बढ़ जाएगा
8. आंतरिक दहन इंजन वाले वाहन काम करना बंद कर देंगे
ऑक्सीजन के बिना विमान जमीन पर गिर जाएंगे| यहां तक कि आंतरिक दहन इंजन पर निर्भर करने वाले सभी कार या वाहन ऑक्सीजन के बिना रुक जाएंगे क्योंकि ऑक्सीजन के बिना दहन संभव नहीं है। इसकी वजह से विमान, हेलिकॉप्टर और अंतरिक्ष यान सभी आसमान से जमीन पर गिर जाएंगे|
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