गुर्जर-प्रतिहार साम्राज्य की स्थापना हरिश्चन्द्र के द्वारा छठी शताब्दी ईस्वी पूर्व में की गयी थी. वे प्रभाविपूर्ण रूप में 11 वी शताब्दी तक बने रहे. सामान्यतः यह प्रचारित किया जाता है की उनकी उत्पत्ति उज्जैन या मन्दसौर में हुई थी. इस वंश का सबसे महत्वपूर्ण शासक नागभट्ट प्रथम था. उसका शासन काल 730 ईस्वी से लेकर 756 ईस्वी तक रहा. उसके साम्राज्य में ग्वालियर भरुच और मालवा शामिल थे. उसके साम्राज्य की राजधानी अवनी थी.
नागभट्ट प्रथम की उपलब्धियां-
इसने राजस्थान के युद्ध में अरब कमाण्डर जुनैद और उसके उत्तराधिकारी एवं पुत्र तामीन को पराजित किया. अपने इस उपलब्धि के माध्यम से उसने पश्चिम सीमांत क्षेत्र अधिकांश भाग को अरब आक्रमण से बचाया.
वत्सराज नाग भट्ट के उत्तराधिकारी के रूप में गद्दी पर बैठा. वत्सराज ने पाल शासक धर्मपाल को पराजित करके कन्नौज पर अधिकार स्थापित किया.
नागभट्ट द्वितीय वत्सराज के उत्तराधिकारी के रूप में वर्ष 805 में गद्दी पर विराजमान हुआ. वह गुर्जर प्रतिहार वंश का बहुत ही महत्वाकांक्षी शासक था. उसने 815 ईस्वी में सोमनाथ मंदिर का पुनःनिर्माण करवाया. उल्लेखनीय है की इस मंदिर को 725 ईस्वी में जुनैद की अरब सेना ने नष्ट किया था.
मिहिरभोज इस साम्राज्य का एक मह्त्वपूर्ण शासक था. उसका शासन काल 885 ईस्वी तक बना रहा. वह बहुत बड़ा निर्माता भी था. उसने अपने शासन काल में कई युद्धों के परिणामस्वरूप गुजरात,राजस्थान और मध्य प्रदेश के अधिकांश हिस्सों पर विजय प्राप्त की थी. उसने आदिवाराह की उपाधि भी धारण की थी और ग्वालियर में तेली मंदिर का निर्माण करवाया था.
फिर भी 10 वी शताब्दी के आस-पास गुर्जर प्रतिहार वंश का पतन होने लगा जबकि गुर्जर शासक भोज द्वितीय पाल शासक महिपाल प्रथम के द्वारा पराजित हुआ. जैसे ही गुर्जर प्रतिहार वंश का पतन नजदीक आने लगा उसके अनेको सामंतो ने स्वयं को स्वतंत्र करना प्रारंभ कर दिया.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation