पंचायती राज
सत्ता के विकेन्द्रीयकरण के लिए भारत के विभिन्न राज्यों में गाँव एवं जिलों के स्थानीय स्वशासन की त्रिस्तरीय व्यवस्था है। इस संदर्भ में संविधान (72वां तथा 73वां संशोधन) अधिनियम '92 द्वारा इन्हें संवैधानिक स्थिति प्रदान की गई है। पंचायतों का कार्यकाल 5 वर्ष तय किया गया है। इस नई पंचायती राज व्यवस्था के तीन अंग हैं:-
(1) ग्राम पंचायत
(2) पंचायत समिति
(3) जिला परिषद
परन्तु कुछ राज्यों में इस त्रिस्तरीय व्यवस्था के स्थान पर केवल द्विस्तरीय व्यवस्था पाई जाती है। पंचायती राज का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण स्वशासन की संस्थाओं को नियोजन एवं विकास की प्रक्रियाओं एवं कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से भागीदारी बनाना है।
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