पोंगल मुख्य रूप से एक कृषि त्योहार है और यह तमिल लोगों द्वारा खेती के मौसम के अंत में मनाया जाता है. पोंगल त्योहार चार दिनों तक चलता है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार आम तौर पर यह 13 जनवरी से 16 जनवरी तक मनाया जाता है.
भोगी/ भोगी पोंगल
पहले दिन के पोंगल को भोगी पोंगल कहते हैं. इस दिन पुराने कपड़े और इसी तरह के बेकार समानोंको घर से बाहर निकाल कर उनमें आग लगा दी जाती है. इस शुभ दिन लोग अपने घरों की अच्छी तरीके से साफ– सफाई करते हैं और बेकार पड़े सामानों को बाहर निकाल देते हैं. इस तरह पोंगल उत्सव पुरानी – बेकार पड़ी चीजों को बाहर निकालने और नए सामान लाने का उत्सव है. इस दिन लोग भगवान इंद्र की प्रशंसा करते हैं. इस दिन भोगी मानटलू के रूप में अलाव जलाया जाता है.
वीथू पोंगल या सरकाराई पोंगल
पोंगल का दूसरा दिन सबसे महत्वपूर्ण होता है. इसे वीथू पोंगल या सरकाराई पोंगल करते हैं. इसे चावल, गुड़ और दूध से मीठा पकवान बनाकर मनाया जाता है. यह पकवान ( सरकाराई पोंगल) सूर्य भगवान को धन्यवाद और प्रकृति की समृद्धि को बनाए रखने के लिए सूर्य देवता को समर्पित किया जाता है.
मट्टू पोंगल
त्योहार का तीसरा दिन मट्टू पोंगल कहलाता है. इस दिन पशुओं को धन्यवाद दिया जाता है. इस दिन पशुओं को फूलों, रंगों और घंटियों के सजाया जाता है. उनके सींगों को साफ किया जाता है और उसे भी सजाया जाता है. तमिलनाडु के कुछ गांवों में जल्लीकट्टू मनाया जाता है. जल्लीकट्टू एक प्रतियोगिता होती है जिसमें क्रूर बैलों के सीगों पर नोटों के बंडल बंधे होते हैं और किसानों के उन्हें खीचने की कोशिश करनी होती है.
कन्नूम पोंगल
पोंगल के आखिरी दिन कन्नूम पोंगल मनाया जाता है. इस शुभ दिन लोग अपने मित्रों और रिश्तेदारों के यहां मिलने जाते हैं. कौए को खाना खिलाते हैं. मंदिर जाते हैं और अपने से बड़ों का आशीर्वाद लेते हैं. इस दिन सूर्य की पूजा की जाती है.
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