प्रधानमंत्री की सऊदी अरब यात्रा
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने 27-फरवरी-1 मार्च, 2010 को सऊदी अरब की यात्रा की। 28 वर्र्षों के लंबे अंतराल के बाद यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली सऊदी अरब की यात्रा थी। 1982 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस देश की यात्रा की थी। भारत के लिए सऊदी अरब इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वह भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता देश है तथा भारत की कुल तेल आवश्यकता के 20 प्रतिशत भाग की आपूर्ति सऊदी अरब द्वारा की जाती है। पहले ईरान भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता देश था।
कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर
यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और सऊदी अरब के शाह अब्दुल्ला बिन अब्दुल अजीज अल सऊदी के बीच परस्पर हित के क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा हुई। चर्चा के बाद दोनों नेताओं ने ऐतिहासिक रियाद घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए। दोनों देशों ने सुरक्षा, आर्थिक, रक्षा और राजनीतिक क्षेत्रों को शामिल करते हुए आपसी सहयोग को सामरिक भागीदारी तक ले जाने का निर्णय लिया। घोषणापत्र के अनुसार इस साझेदारी से न केवल इन दोनों देशों को ही लाभ होगा बल्कि पूरा विश्व इससे लाभान्वित होगा। सामरिक साझेदारी के तहत आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष तथा खुफिया सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए भी सहमति दोनों पक्षों के बीच हुई।
दोनों नेताओं के बीच प्रत्यर्पण संधि पर भी हस्ताक्षर किए गये। प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर हो जाने से भारत में अपराध करके संयुक्त राज्य अमीरात और सऊदी अरब में शरण लेने वाले अपराधियों को आसानी से गिरफ्तार करके भारत लाया जा सकेगा।
आर्थिक सहयोग बढ़ाने पर जोर
गौरतलब है कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2008-09 में 26 अरब डॉलर के स्तर पर था जिसे किसी भी हालत में संतोषजनक नहीं कहा जा सकता है। इसी काल के दौरान सऊदी अरब में लगभग 500 संयुक्त उपक्रमों में भारतीय निवेश लगभग 2 अरब डॉलर था। इस बारे में प्रधानमंत्री का कहना था कि इस क्षेत्र और भी अधिक निवेश की संभानवा है। उन्होंने भारत में आधारिक संरचना क्षेत्र में सऊदी निवेश की वकालत की।
भारत-सऊदी अरब संबंध: पक्ष व विपक्ष
पक्ष में तर्क
(1) सऊदी अरब, भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता देश है इसलिए भारत के लिए रणनीतिक व आर्थिक दृष्टिकोण से काफी महत्वपूर्ण सहयोगी है।
(2) भारत में मुस्लिमों की संख्या सबसे ज्यादा है और सऊदी अरब में इस्लाम के दो सबसे ज्यादा पवित्र स्थल- मक्का व मदीना मौजूद हैं जिससे भारत के लिए सऊदी अरब का काफी ज्यादा महत्व है।
(3) भारत इस्लामिक आतंकवाद का लगातार सामना कर रहा है जिससे भी सऊदी अरब के सहयोग से निपटा जा सकता है।
विपक्ष में तर्क
(1) जब भी पाकिस्तान के साथ अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत का टकराव होता है, सऊदी अरब अक्सर पाकिस्तान के साथ ही खड़ा नजर आता है। कई बार उसने भारत के खिलाफ मत भी दिया है।
(2) सऊदी अरब में कट्टरपंथी वहाबी सरकार है। यह तथ्य भी भारत की धर्मनिरपेक्ष नीति के अनुकूल नहीं है। कई में कई ऐसे कट्टरपंथी संगठन सक्रिय हैं जिन्हें सऊदी अरब से पैसा मुहैया कराया जाता है।
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