ग्राहक कौन है?
शब्द "ग्राहक" को न तो भारतीय क़ानून में और न ही अंग्रेजी विधियों में ही समझाया गया है. आम बोलचाल की भाषा में ग्राहक (बैंक के सन्दर्भ में) उसी को कहते हैं जो या तो बैंक का खाताधारक हो या बैंक में बैंक से सम्बंधित आपने कार्यों को अंजाम देता हो.
बैंकर और ग्राहक के कानूनी लक्षण
बैंकर और ग्राहक के बीच वैध कानूनी सुविधाओं को निम्नलिखित रूप में देखा जा सकता है. इसके अलावा इनके कुछ कानूनी दायित्व भी होते हैं जो इन्हें निभाने पड़ते हैं.
इनके अधिकार और दायित्व निम्नवत हैं:
1. ग्राहकों की तरफ से ड्राफ्ट और चेक प्राप्त करने की बाध्यता.
2. ग्राहकों को चेक उपलब्ध कराने का दायित्व.
3. ग्राहकों के साथ लेनदेन के सभी समुचित रिकार्ड बनाए रखने की बाध्यता.
4. ग्राहकों से किसी और ग्राहक के खाते के बारे में जानकारी न देना और न ही इस तरह की किसी भी प्रकार की गतिविधि में शामिल होना.
5. बाध्यता ग्राहक की एक्सप्रेस खड़ी निर्देश के अनुसार कार्य करने के लिए।
6. बैंकर खाते को बंद करने की जरूरत है अगर 6. दायित्व है, ग्राहक को तार्किक नोटिस देने के लिए।
7. बैंक खाता खोलने के समय ग्राहक को बैंक से सम्बंधित सभी प्रकार की जानकारियों को उपलब्ध कराना और उससे सम्बंधित सभी कागजातों को उसके द्वारा दिये गए पते पर भेजना.
8. विनियोग से सम्बंधित सभी प्रकार के कार्यों को सम्पादित करना और ग्राहकों को उनके बारे में बताना.
9. किसी भी माल और प्रतिभूतियों पर ग्रहणाधिकार करना और उनका रिकार्ड बनाये रखना.
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