भारतीय न्यूट्रीनो लैब
सबसे बड़ा है इसका चुंबक:
भारत में एक बड़ी न्यूट्रीनो लैब बनाने की इजाजत सरकार ने दी है। 250 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बनने वाली इस भूमिगत लेबोरेटरी का नामकरण इंडियन न्यूट्रीनो ऑब्जरवेटरी (आईएनओ) किया गया है और इसका निर्माण तमिलनाडु के बोडी बेस्ट हिल्स रिजर्व फॉरेस्ट में किया जाएगा।
क्या खास है लेबोरेटरी में?
आईएनओ का निर्माण 50,000 टन चुंबकीयकृत लोहे से किया जाएगा। यह चुंबक जेनेवा, स्विट्जरलैंड में बनाये गये लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर के 12,000 टन चुंबक से भी ज्यादा बड़ा होगा। इतना बड़ा चुंबक आज तक दुनिया की किसी भी मशीन में नहीं लगाया गया है। इस दृष्टिकोण से यह लैब काफी महत्वपूर्ण है।
किस तरह कार्य करेगा यह चुंबक?
इस न्यूट्रीनो लैब में न्यूट्रीनों लोहे के साथ परस्पर क्रिया करेंगे और चार्ज कणों को बाहर निकालेंगे, जिनके पथ को लोहे के चुंबकीय क्षेत्र द्वारा मोड़ दिया जाएगा। लोहे के शीट के अंदर लगभग 30,000 डिटेक्टर लगे होंगे और वे चार्ज कणों को पहचान लेंगे।
प्रारंभ में आईएनओ वातावरणीय न्यूट्रीनो का अध्ययन करेंगे जिनकी उत्पत्ति उस समय होती है जब कॉस्मिक किरणें ऊपरी वायुमंडल से टकराती हैं। यह एक्सपेरीमेंट आने वाले समय के लिए काफी महत्वपूर्ण है।
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