मकर संक्रांति हिन्दुओं के सबसे शुभ दिनों में से एक है और यह भारत के लगभग सभी हिस्सों में अनगिनत सांस्कृतिक रूपों में अपार भक्ति, उल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाने वाला एक त्योहार है.
हिन्दुओं के अन्य त्योहारों के विपरीत मक्रर संक्रांति सूर्य की स्थिति पर निर्भर करता है. इस शुभ दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं. प्रत्येक 80 साल में पर संक्रांति एक दिन आगे हो जाती है. आम तौर पर मकर संक्रांति का त्योहार 14 जनवरी को पड़ता है.
मकर संक्रांति का इतिहास
आमतौर पर मान्यता है कि संक्रांति एक देवी का नाम है. एक किंवदंती के अनुसार, संक्रांति ने सनकारासुर नाम के एक दैत्य का वध किया था. मकर संक्रांति के दूसरे दिन तो कारादिन या किंकरांत कहा जाता है. इसी दिन देवी ने किंकारासुर की हत्या की थी.
मकर संक्राति की जानकारी पंचांग से मिलती है. पंचांग हिंदू धर्म का होता है जिससे संक्रांति की उम्र, रूप, पहनावा, दिशा और गतिविधि के बारे में पता चलता है.
मकर संक्रांति का महत्व
मकर संक्रांति के दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाता है. कर्क संक्रांति से मकर संक्रांति के बीच की अवधि दक्षिणायन कहलाती है.
मान्यताएं
• मान्यता है कि जो लोग इस दिन गंगा, गोदावरी, यमुना, कृष्णा या कावेरी नदी के किनारे बसे पवित्र स्थानों में स्नान करते हैं उन्हें सबसे ज्यादा फायदा होता है.
• इस दिन किया गया दान सबसे ज्यादा फलदायी होता है.
• इस दिन हल्दी– कुमकुम समरोह के जरिए सोई हुई आदि– शक्ति को ब्रह्मांड की रक्षा के लिए जगाया जाता है. इससे एक व्यक्ति के मन में सगुण भक्ति का आभास पैदा होता है और भगवान के प्रति आध्यात्मिक भावना को बढ़ावा मिलता है.
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