संघ का स्वरुप

संघीय कार्यपालिका के अन्तर्गत राष्टरपति, उपराष्टरपति तथा प्रधानमंत्री के नेतृत्व में एक मंत्रिपरिषद होती है, जो राष्टरपति को सलाह देती है।

Sep 15, 2011, 13:39 IST

संघ का स्वरूप

कार्यपालिका (Executive)

संघीय कार्यपालिका के अन्तर्गत राष्टरपति, उपराष्टरपति तथा प्रधानमंत्री के नेतृत्व में एक मंत्रिपरिषद होती है, जो राष्टरपति को सलाह देती है।

राष्टरपति

राष्टरपति का निर्वाचन एक निर्वाचक मंडल के सदस्य आनुपातिक प्रतिनिधि प्रणाली के आधार पर एकल संक्रमणीय मत द्वारा करते हैं। इस निर्वाचक मंडल में संसद के दोनों सदनों तथा राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य होते हैं। राष्टरपति को अनिवार्य रूप से भारत का नागरिक, कम से कम 35 वर्ष की आयु तथा लोकसभा का सदस्य बनने का पात्र होना चाहिए। राष्टरपति का कार्यकाल पाँच वर्ष का होता है। वह इस पद पर पुन: भी चुना जा सकता है। संविधान के अनुच्छेद 61 में निहित कार्यविधि के अनुसार राष्टरपति को महाभियोग द्वारा उसके पद से हटाया जा सकता है। वह उपराष्टरपति को सम्बोधित स्व-हस्तलिखित पत्र द्वारा पदत्याग कर सकता है।

रक्षा सेनाओं की सर्वोच्च कमान भी राष्टरपति के पास होती है। राष्टरपति को संसद का अधिवेशन बुलाने, उसे स्थगित करने, उसमें भाषण देने और उसे संदेश भेजने, लोकसभा भंग करने, दोनों सदनों के अधिवेशन काल को छोड़कर किसी भी समय अध्यादेश जारी करने, क्षमादान देने, दंड   देने के अधिकार प्राप्त हैं।

उपराष्टरपति

उपराष्टरपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा एक निर्वाचक मंडल के सदस्य करते हैं। उसमें संसद के दोनों सदनों के सदस्य होते हैं। उपराष्टरपति को अनिवार्य रूप से भारत का नागरिक, कम से कम 35 वर्ष की आयु का और राज्यसभा का सदस्य बनने का पात्र होना चाहिए। उसका कार्यकाल पाँच वर्ष का होता है और वह इस पद के लिए   पुन: चुना जा सकता है। संविधान के अनुच्छेद 67 (ख) में निहित कार्यविधि द्वारा उसे पद से हटाया जा सकता है।

उपराष्टरपति राज्यसभा का पदेन सभापति होता है। जब राष्टï्रपति, बीमारी या अन्य किसी कारण से अपना कार्य करने में असमर्थ हो गया हो, तब नए राष्टï्रपति को चुने जाने तक वह कार्यवाहक राष्टरपति के रूप में कार्य करता है। ऐसी स्थिति में वह राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्य करना बंद कर देता है।

मंत्रिपरिषद्
कार्य संचालन में राष्टरपति की सहायता करने तथा उसे परामर्श देने के लिए प्रधानमंत्री के नेतृत्व में एक मंत्रिपरिषद् की व्यवस्था है। प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्टरपति करता है तथा अन्य मंत्रियों की नियुक्ति भी राष्टरपति, प्रधानमंत्री के परामर्श से करता है। मंत्रिपरिषद् संयुक्त रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होती है।

मंत्रिपरिषद् में तीन तरह के मंत्री होते हैं

(1) कैबिनेट मंत्री (वे मंत्री जो मंत्रिमंडल के सदस्य होते हैं),

(2) राज्यमंत्री (जो विभाग का स्वतंत्र रूप से कार्यभार संभाले हुए हों) और

(3) राज्यमंत्री।

विधायिका (Legislature)

 संघ की विधायिका को संसद कहा जाता है। इसमें राष्ट्रपति और संसद के दोनों सदन लोकसभा तथा राज्यसभा शामिल हैं। संसद की बैठक पिछली बैठक के छ: महीने बाद तक अवश्य बुलानी होती है। कुछ मौकों पर दोनों सदनों का संयुक्त अधिवेशन बुलाया जाता है।

लोकसभा

लोकसभा के सदस्य वयस्क मताधिकार के आधार पर लोगों द्वारा सीधे चुने जाते हैं। संविधान में इस समय लोकसभा के 552 सदस्यों का प्रावधान है। इनमें 530 सदस्य राज्यों और 20 सदस्य केन्द्रशासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करते हैं। राष्टï्रपति को एंग्लो इंडियन समुदाय के दो व्यक्तियों को मनोनीत करने का अधिकार है।
लोकसभा का कार्यकाल, यदि उसे भंग न किया जाए तो, सदन की पहली बैठक की तिथि से लेकर 5 वर्ष होता है। किंतु यदि आपातस्थिति लागू हो तो यह अवधि संसद द्वारा बढ़ाई जा सकती है किंतु ऐसा कुछ शर्र्तों के साथ ही किया जा सकता है।

राज्यसभा

इस समय राज्यसभा के 245 सदस्य हैं। इनमें से 233 सदस्य राज्यों तथा केन्द्रशासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व करते हैं और 12 सदस्य राष्टरपति द्वारा मनोनीत हैं। राज्यसभा के सदस्यों का चुनाव सम्बन्धित विधानसभाओं के चुने हुए सदस्यों द्वारा एकल संक्रमणीय मत के आधार पर आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के जरिए किया जाता है। राज्यसभा कभी भी भंग नहीं होती और उसके एक तिहाई सदस्य हर दो वर्ष बाद अवकाश  ग्रहण करते हैं।

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