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India-EU: भारत और EU ने की ट्रेड एंड टेक्नोलॉजी काउंसिल के तहत तीन वर्किंग ग्रुप्स की स्थापना, जानें क्या है उद्देश्य?

भारत और यूरोपीय संघ ने तीन वर्किंग ग्रुप्स की स्थापना की स्थापना की. साथ ही एक नई व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद (Trade and Technology Council-TTC) की स्थापना की भी घोषणा की है.

भारत और EU ने की ट्रेड एंड टेक्नोलॉजी काउंसिल के तहत तीन वर्किंग ग्रुप्स की स्थापना
भारत और EU ने की ट्रेड एंड टेक्नोलॉजी काउंसिल के तहत तीन वर्किंग ग्रुप्स की स्थापना

भारत और यूरोपीय संघ (European Union) ने तीन वर्किंग ग्रुप्स की स्थापना की स्थापना की. साथ ही एक नई व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद (Trade and Technology Council-TTC) की स्थापना की भी घोषणा की है.

इसको लेकर यूरोपियन कमीशन ने हाल ही में एक बयान जारी किया. व्यापार और प्रौद्योगिकी परिषद को संयुक्त रूप से प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और EC प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन द्वारा अप्रैल 2022 में नई दिल्ली में लॉन्च किया गया था.

क्या है ट्रेड एंड टेक्नोलॉजी काउंसिल?

भारतीय विदेश मंत्रालय के एक हालिया बयान के अनुसार, TTC एक रणनीतिक समन्वय तंत्र है जो दोनों पक्षों को व्यापार, विश्वसनीय प्रौद्योगिकी और सुरक्षा की गठजोड़ में उत्पन्न होने वाली चुनौतियों से निपटने में मदद करेगा. साथ ही यह भारत और यूरोपियन यूनियन के मध्य मजबूत व्यापारिक सम्बन्ध को स्थापित करने में मदद करेगा.

भारत के साथ टीटीसी यूरोपीय संघ के लिए केवल दूसरी ऐसी परिषद है और भारत के लिए इस तरह का पहला ट्रेड एंड टेक्नोलॉजी काउंसिल है. यूरोपीय संघ और यूएस ने जून 2021 में एक टीटीसी लॉन्च किया था. 

इंडिया-ईयू वर्किंग ग्रुप्स, हाइलाइट्स:

पहली यूरोपीय संघ-भारत मंत्रिस्तरीय बैठक 2023 में आयोजित की जाने की योजना है. TTC की मंत्रिस्तरीय बैठकें तीन कार्य समूहों के प्रारंभिक कार्य पर निर्भर करेंगी जिनकी बैठक दो सप्ताह के भीतर आयोजित की जानी है. 

भारत और ईयू के मध्य  व्यापार, निवेश और जियोग्राफिकल इंडिकेशन पर द्विपक्षीय वार्ता के तीन सूत्रीय टीटीसी से अलग-अलग जारी रहेगी. साथ ही इन वार्ताओं के संचालन के लिए उच्च-स्तरीय व्यापार और निवेश संवाद प्रमुख अंग बना रहेगा.

इसके अलावा, पहली टीटीसी मंत्रिस्तरीय बैठक से अलग, ईयू-इंडिया हाई-लेवल डिजिटल इन्वेस्टमेंट फोरम (DIF) का आयोजन किया जा सकता है.
यह पहल इंडो-पैसिफिक में सहयोग के लिए यूरोपीय संघ की रणनीति के हिस्से के रूप में है जो एशियाई भागीदारों के साथ पहले से शुरू की गई डिजिटल साझेदारी का पूरक है.

इंडिया-ईयू वर्किंग ग्रुप्स का महत्व:

इंडिया-ईयू वर्किंग ग्रुप्स में चर्चा के लिए रणनीतिक प्रौद्योगिकियां, डिजिटल कनेक्टिविटी, हरित और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियां, व्यापार और निवेश जैसे मुद्दे शामिल है. 

हरित और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियां हरित प्रौद्योगिकियों पर भी ध्यान केंद्रित किया जायेगा, जिसमें निवेश और मानक शामिल हैं, साथ ही अनुसंधान और नवाचार पर जोर दिया जाएगा.

इंडिया-ईयू वर्किंग ग्रुप्स की सह-अध्यक्षता:

इंडिया-ईयू वर्किंग ग्रुप्स की सह-अध्यक्षता ईयू  की ओर से कार्यकारी उपाध्यक्ष मार्ग्रेथ वेस्टेगर (Margrethe Vestager) और वाल्डिस डोंब्रोव्स्की (Valdis Dombrovskis) द्वारा की जाएगी.  

भारत की ओर से इसकी सह-अध्यक्षता विदेश मंत्री एस जयशंकर, वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव करेंगे.

इंडिया-ईयू ट्रेड रिलेशन:

यूरोपीय संघ के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार 2021-22 में 116 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया था. वर्तमान में, यूरोपीय संघ अमेरिका के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है. वैश्विक व्यवधानों के बावजूद, द्विपक्षीय व्यापार ने 2021-22 में 43% से अधिक की प्रभावशाली वार्षिक वृद्धि हासिल की. यूरोप भारतीय निर्यात का दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है. 

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