आत्मज्ञान हमें कहीं से भी प्राप्त हो सकता है. मानव की बुद्धिमत्ता उसके विवेक में निहित होती है जो उसे अज्ञानता से प्रकाश की ओर जाने में मदद करता है. वास्तव में यह विवेक स्कूल द्वारा दी जा रही शिक्षा के जरिये ही प्राप्त होता है. स्कूल सीखने का एक ऐसा केंद्र है जो छात्रों को अपने लिए मौका बनाने और समाज में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में सक्षम बनाता है. हालांकि हमारा विकास हमारे घर से शुरु होता है लेकिन स्कूल में हम न सिर्फ नई चीजें सीखतें हैं बल्कि हम जिन चीजों को सीख चुके हैं उन्हें परिष्कृत भी करते हैं. यदि हम स्कूल को अपना घर बना लें तो क्या होगा ? ऐसा तभी संभव हो सकता है जब हम किसी बोर्डिंग स्कूल में दाखिला ले लें. ऐसा स्कूल जहां हम अपने शैक्षिक गतिविधियों और अन्य प्रासंगिक गतिविधियों को पढ़ाई के प्रति अधिक समर्पित करने वाले माहौल में कर सकें. अब हम भारत के 9 प्रतिष्ठित बोर्डिंग स्कूलों के बारे में बात करने जा रहे हैं. ये स्कूल महत्वाकांक्षी छात्रों के साथ– साथ उन माता– पिता की भी पहली पसंद हैं जो अपने बच्चों को उनकी इच्छाओं को पूरा करने हेतु उनके प्रयासों में सफल होते देखना चाहते हैं.
1. मोंटफोर्ट स्कूल, यरकौड
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मोंटफोर्ट स्कूल, यरकौड लड़के और लड़कियों के लिए माध्यमिक स्कूल है. यह भारत के तमिलनाडु राज्य में सालेम के पास यरकौड शहर में सेंट गैब्रीएल के मोंटफोर्ट ब्रदर्स द्वारा चलाया जाने वाला आवासीय संस्थान है. प्रथम विश्व युद्ध के दौरान स्थापित यह स्कूल आरंभ में एक यूरोपीय स्कूल था.
1 जून 1917 को मोंटफोर्ट में दाखिला लेने वाले पहले छात्र जॉर्ज स्पिट्टेलर से यह स्कूल शुरु हुआ था. वर्ष 1975 में 'मेफिल्ड' द्वारा खरीदे जाने के बाद वर्तमान इमारत में उच्च माध्यमिक शिक्षा की कक्षाएं शुरु करने के लिए इसे दिया गया. वर्तमान में यहां तीसरी कक्षा से सातवीं कक्षा तक की पढ़ाई होती है. फिल्म निर्माता नागेश कुकनूर, राजनीतिज्ञ शशि थरूर, भूतपूर्व क्रिकेटर रोजर बिन्नी और ऐसे ही अन्य व्यक्तित्व यहां के पूर्व छात्र रहे हैं.
2. दून स्कूल, देहरादून
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यह भारत का देहरादून स्थित बोर्डिंग स्कूल है जो सिर्फ लड़कों के लिए है. भारत के अव्वल स्कूलों में से एक दून स्कूल की स्थापना 1935 में कलकत्ता के वकील सतीश रंजन दास द्वारा की गई थी. देहरादून छावनी क्षेत्र में यह स्कूल एकल कैंपस में करीब 72 एकड़ (290,000 वर्ग मीटर) जमीन पर बना है. दो होल्डिंग हाउस हैं जहां पहले वर्ष में नए छात्रों को रखा जाता है. इसके आलाव इसके पांच मुख्य हाउस हैं. प्रत्येक हाउस का संचालन हाउसमास्टर करते हैं. इनकी सहायता के लिए एक वरिष्ठ छात्र होता है जिसे हाउस कैप्टन कहा जाता है. यहां, बच्चों को "डॉसकोस– Doscos" कहा जाता है, जो दून स्कूल (“Doon” and “school") का संक्षिप्त नाम है. राजीव गांधी, राहुल गांधी, प्रणय रॉय, करण थापर, शिवेंद्र मोहन सिंह जैसे व्यक्तित्व यहां के पूर्व छात्र रहे हैं.
3. सेंट मैरी हाई स्कूल, माउंट आबू
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राजस्थान के अरावली पर्वतमाला में माउंटआबू के रेगिस्तान में शहरी जीवन की आपाधापी से दूर स्थित निजी कैथोलिक स्कूल का संचालन आयरिश ईसाई भाईयों द्वारा किया जाता है. यह स्कूल लड़कों के लिए है और यहां डे (स्कूल के बाद घर वापस जाने वाले) और बोर्डिंग (आवासीय) दोनों ही प्रकार के छात्रों का दाखिला होता है. शैक्षिक वर्ष आमतौर पर मार्च से नवंबर का होता है. केंद्रीय आईसीएसई बोर्ड परीक्षा के साथ शिक्षा ग्रेड चार से शुरु होती है और ग्रेड दस पर खत्म हो जाती है. खेलों के लिए स्कूल में फुटबॉल के छह मैदान, तीन वॉलीबॉल कोर्ट और बासकेटबॉल के चार कोर्ट हैं. स्कूल में एक स्विमिंग पूल भी है.
4. डलहौजी पब्लिक स्कूल, डलहौजी
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तीन दशक पहले स्थापित यह स्कूल सह– शिक्षा वाला बोर्डिंग स्कूल है. यह छह हाउस में बंटा है. प्रत्येक का प्रबंधन हाउस मास्टर द्वारा किया जाता है जिनकी मदद के लिए एक हाउस कैप्टन, एक हाउस पर्फेक्ट और एक असिस्टेंट पर्फेक्ट होता है. इस स्कूल में 4 वर्ष ( किंडरगार्टन) से लेकर 16 वर्ष (ग्रेड दस) तक के 1250 से भी ज्यादा छात्र हैं. इनमें से 1,000 आवासीय छात्र हैं और बाकी के डे स्कॉलर्स. मूल रूप से सैनिकों के वापस लौटने की याद में ब्रिटिश सेना द्वारा स्थापित यह स्कूल अब एक छोटा आत्मनिर्भर छात्र बस्ती बन चुका है. यह केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से संबद्ध है.
5. बिशप कॉटन स्कूल, शिमला
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28 जुलाई 1859 को बिशप जॉर्ज एडवॉर्ड लिंच कॉटन द्वारा स्थापित यह स्कूल एशिया में लड़कों के लिए बनाए गए सबसे पुराने बोर्डिंग स्कूलों में से एक है. इसमें चार हाउस हैं. हाउस ट्यूटर्स या हाउस मास्टर्स इन चार हाउस का काम काज संभालते हैं. तीसरी कक्षा से आठवीं कक्षा तक स्कूल का अपना पाठ्यक्रम चलता है. नवीं कक्षा से बारहवीं कक्षा तक सीआईएससीई पाठ्यक्रम चलता है. तीसरी से आठवीं कक्षा तक के बच्चे छात्रावास में मैट्रन और एक ही उम्र के साथ रहने वाले बच्चों की देखरेख में रहते हैं. बिशप कॉटन के पूर्व छात्रों को ओल्ड कॉटोनियंस (Old Cottonians) कहते हैं. इनमें से कुछ प्रतिष्ठित पूर्व छात्र हैं– जस्टिस आर. एस. सोढ़ी, एच. एस. बेदी आदि . स्कूल के छात्रों में कई छात्र कमीशन अधिकारी रह चुके हैं.
6. स्टेप बाई स्टेप इंटरनेशनल स्कूल, जयपुर
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केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से संबद्ध यह स्कूल राजस्थान की राजधानी जयपुर में 35 एकड़ जमीन पर बना प्रमुख स्कूल है. छात्रों के लिए स्कूल में विश्वस्तरीय सुविधाएं जैसे इंडोर गतिविधियां, मूर्तिकला स्टूडियो, फैशन टेक्नोलॉजी स्टूडियो, भारतीय लोक नृत्य एवं पाश्चात्य नृत्य कला, 4– साउंडप्रूफ संगीत स्टूडियो, बड़ा कैफेटेरिया, ऑडिटोरियम (सभागार), नाटक केंद्र और थिएटर, प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान केंद्र हैं.
7. वेलहम गर्ल्स स्कूल, देहरादून
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वर्ष 1957 में स्थापित यह लड़कियों के लिए एक परंपरागत बोर्डिंग स्कूल है जो हिमालय की तलहटी में देहरादून में स्थित है. यह स्कूल मुख्य रूप से उत्तर भारत के कुलीन वर्ग की बेटियों के लिए था. स्कूल के हाउस का नाम बुलबुल्स (Bulbuls), फ्लाईकैचर्स (Flycatchers), हूपोज (Hoopoes), ओरियोल्स (Orioles) और वुडपेकर्स (Woodpeckers ) हैं. सभी नाम चिड़ियों के नाम पर रखे गए हैं. दो छात्रों का दल– एक हाउस कैप्टन और एक वाइस कैप्टन के नेतृत्व में प्रत्येक हाउस की जिम्मेदारी हाउस मिस्ट्रेस या मैट्रन की होती है. जूनियर और सीनियर लड़कियों के छात्रावास अलग– अलग हैं. स्कूल के उल्लेखनीय पूर्व छात्रों में बृंदा करात, सुभाषिनी अली, करीना कपूर खान, दीपा मेहता, तवलीन सिंह और अन्य हैं.
8. राजकुमार स्कूल, राजकोट
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राजकोट शहर के बीचोंबीच यह स्कूल 26 एकड़ जमीन पर बना है. राजकुमार स्कूल, राजकोट जो बाद में कॉलेज बन गया, कि स्थापना 1868 ई. में हुई थी. यह भारत के पुराने 12 संस्थानों में से एक है. इसका डिजाइन कर्नल कीटिंग ने बनाया था और बॉम्बे के गवर्नर एच.बी. सर सेमूर फिजराल्ड ने 1970 में इसका विधिवत उद्घाटन किया था. इसके प्रसिद्ध पूर्व छात्रों में शामिल हैं– हिम्मतसिंहजी विजयराजजी, जानेमाने पक्षीविज्ञानी और कच्छ राज्य के राजकुमार, कुमार श्री दुलीपसिंहजी (प्रसिद्ध क्रिकेट खिलाड़ी), भावनगर राज्य के महाराजा भावसिंहजी द्वितीय, हिम्मतसिंहजी विजयराजजी, भावसिंहजी माधवसिंहजी, पोरबंदर के महाराणा और ऐसे ही अन्य प्रतिष्ठित व्यक्ति.
9. मायो कॉलेज, अजमेर
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राजस्थान के अजमेर शहर में स्थित मायो कॉलेज सिर्फ लड़कों के लिए बना स्वतंत्र बोर्डिंग स्कूल है. इसकी स्थापना 1875 में रिचर्ड बुर्के ने की थी. ये मायो के छठे अर्ल ( इंग्लैंड के सामंतों की विशिष्ट पदवी) थे और 1869 से 1872 तक भारत के वायसराय रहे थे. यह भारत के सबसे पुराने सार्वजनिक बोर्डिंग स्कूलों में से एक है. इसका उद्देश्य इस्टर्न कॉलेज जैसी गुणवत्ता वाली शिक्षा रियासत के नेताओँ के संतानों को मुहैया कराना था. वास्तव में ब्रिटिशों ने मायो को उच्च जाति के भारतीयों के बेटों खासकर राजपुताना के राजकुमारों और रईसों के लिए बनवाया था. इसमें 12 हाउस हैं जिनमें से 8 हाउस सीनियर हाउस हैं, एक होल्डिंग हाउस ( कक्षा सातवीं) और 3 जूनियर हाउस हैं. प्रसिद्ध पूर्व छात्रों में शामिल हैं– राजनीतिज्ञ के. नटवर सिंह, लेखक इंद्र सिन्हा, फिल्म निर्देशक टीनू आनंद, अभिनेता विवेक ओबेरॉय, थिएटर के कलाकार आमिर रजा हुसैन और अन्य.
वर्ष 1957 में स्थापित यह लड़कियों के लिए एक परंपरागत बोर्डिंग स्कूल है जो हिमालय की तलहटी में देहरादून में स्थित है. यह स्कूल मुख्य रूप से उत्तर भारत के कुलीन वर्ग की बेटियों के लिए था. स्कूल के हाउस का नाम बुलबुल्स (Bulbuls), फ्लाईकैचर्स (Flycatchers), हूपोज (Hoopoes), ओरियोल्स (Orioles) और वुडपेकर्स (Woodpeckers ) हैं. सभी नाम चिड़ियों के नाम पर रखे गए हैं. दो छात्रों का दल– एक हाउस कैप्टन और एक वाइस कैप्टन के नेतृत्व में प्रत्येक हाउस की जिम्मेदारी हाउस मिस्ट्रेस या मैट्रन की होती है. जूनियर और सीनियर लड़कियों के छात्रावास अलग– अलग हैं. स्कूल के उल्लेखनीय पूर्व छात्रों में बृंदा करात, सुभाषिनी अली, करीना कपूर खान, दीपा मेहता, तवलीन सिंह और अन्य हैं.
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