शोर्ट टर्म कोर्सेज़ का मतलब और इन्हें करने के फायदे -
कुछ हफ्तों से लेकर कुछ महीनों तक की अवधि के कोर्सेज़ को हम शोर्ट टर्म कोर्सेज़ कहते हैं | आम तौर पर छोटे कोर्सेस 3-6 महीने की अवधि के होते हैं | कंप्यूटर के शोर्ट टर्म कोर्सेज़ करने के बहुत सारे फायदे हैं, सबसे पहला फ़ायदा यह हैं की, इन कोर्सेज़ की अवधि काफी कम होती है, जिसके कारण हम इन्हें जल्द पूरा कर एक अच्छी जॉब हासिल कर सकते हैं |
इसके अलावा इनका एक महत्वपूर्ण फायदा यह भी है, कि आप शोर्ट टर्म कोर्सेज़ को अपने किसी मेन कोर्स के साथ-साथ कर सकते हैं | यह कोर्सेज़ स्कूल के छात्र भी कर सकते हैं, यानि की अगर आप कक्षा 10th या 12th के छात्र हैं, तो आप अपनी पढाई के साथ-साथ कोई भी एक कंप्यूटर का शोर्ट टर्म कोर्से कर सकते हैं | कक्षा 10th और 12th के छात्रों के लिए यह कोर्स करने का सबसे अच्छा समय गर्मी की छुट्टियों का होता है | भारत में शोर्ट टर्म कोर्सेज़ करवाने वाले कई इंस्टीट्यूट है, जहाँ आप आसानी से कोई भी अच्छा कोर्स सीख सकते हैं | यहाँ हम आपको कुछ ऐसे ही जॉब ओरिएंटेड शोर्ट टर्म कोर्सेज़ के बारे में बताने जा रहें हैं जो आपके लिए काफी फायदेमंद साबित होंगे|
जॉब ओरिएंटेड शोर्ट टर्म कोर्सेज़ इस प्रकार हैं -
1 # डिजिटल मार्केटिंग-
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डिजिटल मार्केटिंग को एक अच्छा और विस्तृत कोर्स माना जाता है | इस कोर्स के अंतरगर्त बहुत से टॉपिक्स आते हैं, जैसे की- SEO, कंटेंट राइटिंग, कंटेंट मार्केटिंग, सोशल मीडिया मार्केटिंग, ईमेल मार्केटिंग, लीड जेनरेशन आदि | भारत में डिजिटल मार्केटिंग के दो बहुत ही महत्वपूर्ण फार्मेट है ‘ऑनलाइन और ऑफलाइन’ | ऑनलाइन कोर्से में आप घर बैठे ही इ-बुक, ऑडियो, विडियो और PDF फाइल्स के ज़रिये अपना कोर्से पूरा कर सकते हैं | जबकि ऑफलाइन कोर्से का तात्पर्य पारंपरिक कक्षा से है |
डिजिटल मार्केटिंग के कोर्स के पश्चात् जॉब ऑप्शन्स-
• डिजिटल मर्केटर
• डिजिटल मार्केटिंग प्रोफेशनल
• ऑनलाइन ब्रांड मैनेजमेंट प्रोफेशनल
• सोशल मीडिया मेनेजर
• SEO कंसलटेंट
• डिजिटल मार्केटिंग इंस्ट्रक्टर
जैसा की हम जानते हैं, कि डिजिटल मार्केटिंग एक विस्तृत कोर्स है और काफी सारे टॉपिक इसके अंतर्ग्रत है | जिसके कारण सभी टॉपिक्स में मास्टर होना थोड़ा मुश्किल है |
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2 # SEO कोर्स-
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SEO यानि की सर्च इंजन ओप्टीमाइज़ेशन | यह भी एक ऐसा कोर्स है, जो बहुत सारे जॉब्स के ऑप्शन के अवसर देता हैं | सर्च इंजन ओप्टीमाइज़ेशन एक ऐसा तकनीक है जिसे द्वारा वेबसाइट के रैंक को बूस्ट करने और सर्च इंजन की अलग-अलग वेब एंटीटिज़ पर काम करता है | डिजिटल मार्केटिंग की तरह सर्च इंजन ओप्टीमाइज़ेशन में भी ऑनलाइन और ऑफलाइन कोर्सेज़ मौजूद हैं |
सर्च इंजन ओप्टीमाइज़ेशन के कोर्स के पश्चात् जॉब ऑप्शन्स :
• SEO प्रोफेशनल
• प्रोजेक्ट मेनेजर
• SEO कंसलटेंट
• वेबसाइट ऑडिटर
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3 # ग्राफिक डिजाईन कोर्स -
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ग्राफिक डिजाईन कोर्से रचनात्मक विचारों के लोगो के लिए बहुत अच्छा विकल्प है | आम तौर पर ग्राफिक डिजाईन कोर्से की अवधी 6 महीने की होती है | इस कोर्स में कई टॉपिक सम्मिलित हैं जैसे की- इमेज एडिटिंग, इमेज इन्हेंसिंग (image editing and enhancing), एडिटिंग सॉफ्टवेर प्रोग्राम (Adobe Photoshop, Illustrator etc), स्केचिंग, लोगो डीजईनिंग, UI डीजईनिंग और प्रिंटिंग तकनीक |
ग्राफिक डिजाईन कोर्स के कोर्स के पश्चात् जॉब ऑप्शन्स :
• ग्राफिक डिजाइनर
• ब्रैंड आइडेंटिटी मैनेज़र
• प्रिंटिंग स्पेशलिस्ट
• क्रिएटिव डाईरेकटर
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4 # एनीमेशन और मलटीमिडिया -
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एनीमेशन और मलटीमिडिया कोर्से ग्राफिक डिजाईन का ही एक अंश है | आज कल काफी मात्रा में छात्र एनीमेशन और मलटीमिडिया विशेषज्ञता कोर्स कर रहे हैं | शोर्ट टर्म कोर्सेज़ के साथ-साथ इसमें लंबी अवधि के डिग्री कोर्स जैसे की, B.Sc इन एनीमेशन और मलटीमिडिया भी उपलब्ध है | यदि आपको डिप्लोमा या सर्टिफिकेशन करना है, तो आप वह भी कर सकते हैं | एनीमेशन और मलटीमिडिया के अंतरगर्त जो मुख्य टॉपिक इस प्रकार हैं- VFX और VFX प्रो (VFX and VFX Pro), एनीमेशन की मूल बातें (Basics of Animation),फिल्म डिजाईन और एनीमेशन, गेम डिजाईन और एनीमेशन आदि |
एनीमेशन और मलटीमिडिया कोर्से के पश्चात् जॉब ऑप्शन्स :
• VFX प्रोफेशनल
• फिल्म एनीमेशन प्रोफेशनल
• विजुअल इफ़ेक्ट आर्टिस्ट(Visual Effects Artist)
• इंस्ट्रकटर(Instructor)
• इ कॉमर्स सेक्टर
5 # क्रिएटिव राइटिंग-
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क्रिएटिव राइटिंग को डिजिटल मार्केटिंग का भी भाग कहा जा सकता है | यह शोर्ट टर्म कोर्स लेखन कला में सुधार लाने के लिए किया जाता है | इसमें एक खास लेखन शैली विकसित कर उसे डिजिटल मार्केटिंग में प्रयोग करना है | इस कोर्स के अंतरगर्त कुछ मुख्य टॉपिक इस प्रकार हैं - इंग्लिश ग्रामर, कंटेंट लेआउट, मार्किंग आर्टिकल्स आदि |
क्रिएटिव राइटिंग कोर्स के पश्चात् जॉब ऑप्शन्स :
• कंटेंट राइटर
• कंटेंट एडिटर
• कंटेंट मार्केटिंग प्रोफेशनल
• डिजिटल पब्लिशिंग प्लेटफार्म
6 # वेब डिजाईन और डेवलपमेंट कोर्स-
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जैसा की नाम से ही पता चलता है कि वेबसाईट को डिज़ाइन करना या उसके मेनटेनेन्स से जुड़ी चीज़े इस कोर्स में उपलब्ध है | इस कोर्स में जो दो मुख्य टॉपिक हैं वह इस प्रकार है- वेब इस्क्रिप्टिंग और ग्राफिक मल्टीमीडिया (Web Scripting and Graphics & Multimedia) | इस कोर्स में जो टापिक आते हैं वह मुख्यतः वेब एडिटर, HTML, CSS, PHP, PERL, Java, java scripts आदि हैं |
वेब डिजाईन और डेवलपमेंट कोर्स के पश्चात् जॉब ऑप्शन्स :
• वेब डिज़ाइनर
• डिज़ाइनर टेक स्टार्टअप
• इ-कॉमर्स साईट
• ऑनलाइन पब्लिशिंग प्लेटफार्म
• डिज़ाइन कंसलटेंट
7 # CADD (कंप्यूटर एडेड डिजाइन एंड ड्राइंग)-
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यह शोर्ट टर्म कोर्स उन छात्रों के लिए बेहतर है जो टेक्निकल बैकग्राउंड से हैं | कक्षा 12वी के छात्र भी अपने ज्ञान और स्किल्स बढानें के लिए यह कोर्स कर सकते हैं | हलाकि इंजीनियरिंग के छात्र जो सिविल, इलेक्ट्रिकल या मैकेनिकल स्ट्रीम से हैं उनके लिए काफी अच्छा कोर्स है | CADD कोर्स में काफी सारे CADD सॉफ्टवेयर प्रोग्राम हैं जिनमे सबसे ज्यादा प्रचलित कोर्स ऑटो कैड (Auto CAD) है | इस कोर्से की मदद से इंजीनियरिंग और ग्रेजुएशन के छात्र की ड्राफ्टिंग स्किल्स काफी अच्छी हो जाती है |
CADD कोर्स के पश्चात् जॉब ऑप्शन्स :
ड्राफ्टिंग से जुड़ी जॉब आसानी से मिल सकती है | इसके आलावा बहुत सारी इलेक्ट्रिकल और कंस्ट्रक्शन से जुड़ी कम्पनीज़ कों CADD से जुड़े लोगों की तलाश रहती है |
8 # हार्डवेयर इंजीनियरिंग / टेकनिशियन-
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एक कंप्यूटर का सही तरीके से काम करने के लिए उसके सॉफ्टवेयर के साथ उसके हार्डवेयर का सही होना भी बेहद ज़रूरी है | अगर एक कंप्यूटर के हार्डवेयर में कोई खराबी आती है, तो इसके कारण उपयोगकर्ता को परेशानी हो सकती है | इस समस्या का समाधान कोई हार्डवेयर टेक्नीशियन ही कर सकता है | कंप्यूटर हार्डवेयर इंजीनियरिंग/टेकनिशियन कोर्स के दौरान छात्रों को कंप्यूटर हार्डवेयर से जुड़ी बारीकियों का टेक्निकल ज्ञान दिया जाता है, इसके साथ-साथ कंप्यूटर हार्डवेयर में होने वाली खराबी और उनका समाधान भी बताया जाता है |
हार्डवेयर इंजीनियरिंग / टेकनिशियन कोर्स के पश्चात् जॉब ऑप्शन्स :
इस कोर्स को सफ़लता पूर्वक समाप्त करने के पश्चात् आप किसी भी सेल्स या रिपेयर एजेंसी में एक टेकनिशियन या कंप्यूटर इंजिनियर की जॉब पर काम कर सकते हैं | कुछ लोग अपना खुद का हार्डवेयर टेक्नीशियन का काम भी शुरू करते हैं जैसे या कोई मैन्युफैक्चरिंग कंपनी या खुद का व्यापार भी शुरू कर सकते है |
9 # कंप्यूटर अकाउंटिंग-
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भुगतान लेनदेन के संग्रह का सीधा मतलब अकाउंटिंग है, जिसमे पेमेंट लेना, भुगतान प्राप्त करना, राशी की सही जानकारी आदि से जुड़े डेटा को कंप्यूटर सॉफ्टवेयर की मदद से संभालना होता हैं | अकाउंटिंग छोटे से छोटे और बड़े से बड़े व्यापार में शामिल होता है | आज के समय में कंप्यूटर के कारण अकाउंटिंग में समय की बचत के साथ-साथ काफी सरल, और अधिक सटीक हो गया है, वरना पहले के समय में अकाउंटिंग पेन और पेपर की मदद से करना पड़ता था जिसके कारण कई बार व्यापार में परेशानी का सामना करना पड़ता था | अब काफी सारे सॉफ्टवेयर हैं जो अकाउंटिंग के लिए उपयुक्त हैं | यहाँ तक की कुछ व्यवसायों ने वित्तीय लेनदेन (financial transactions) के रिकॉर्ड रखने के लिए अपने स्वयं के कस्टम सॉफ्टवेयर विकसित कियें है | सबसे लोकप्रिय भारत में अकाउंटिंग के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला सॉफ्टवेयर Tally.ERP है।
कंप्यूटर अकाउंटिंग कोर्स के पश्चात् जॉब ऑप्शन्स :
छोटी से छोटी शॉप्स से लेकर बड़ी से बड़ी कम्पनीज़ में बहुत से अवसर उपलब्ध हैं |
10 # MS ऑफिस सर्टिफिकेट प्रोग्राम-
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माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस एप्लीकेशनस की एक संग्रह है, जो कार्यालय का काम और अधिक उत्पादक बनाता है। प्रमुख और सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला जो एमएस ऑफिस का हिस्सा हैं, वह- एमएस वर्ड, एमएस एक्सेल, एमएस एक्सेस और एमएस POWERPOINT हैं-। छात्रों को ऊपर बताये गए एप्लिकेशन का उपयोग करने के लिए, इस कार्यक्रम के अंतर्ग्रत सभी भाग को विस्तृत रूप में सिखाया जाता है ।
माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस एप्लीकेशनस कोर्स के पश्चात् जॉब ऑप्शन्स :
कोर्स पूरा करने के बाद, आप विभिन्न कार्यालयों में कंप्यूटर से जुड़ी जॉब्स प्राप्त करने में सक्षम हो जायेंगे जैसे- होटल, कार्यालय या शिक्षण संसथान |
निष्कर्ष- मुख्य सूची में जाने से पहले कुछ महत्वपूर्ण बातें ध्यान रखना जरूरी है | चाहे कोर्स सर्टिफिकेशन का हो या डिप्लोमा का, आप जो भी कोर्स करेंगे, वह आपके संस्थान के पढ़ाने के तरीके पर ही निर्भर करता है | इनकी अवधि भी संस्थान पर ही निर्भर करती है | सबसे महत्वपूर्ण बात यह होती है, कि जहाँ से भी आप यह कोर्स करें ध्यान रखें की संस्थान मान्यता प्राप्त हो, रेप्यूटेड हो, लैब्स में सभी चीज़े अच्छी और सही हो, वहाँ पढ़ाने वाले शिक्षकों के पढ़ाने का तरीका, और जो शिक्षण शुल्क है वह कितना है | उसके साथ-साथ जिस भी कोर्स को आप करने वाले हैं, उसके प्लेसमेंट का कितना स्कोप है |
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