कई साल पहले आम धरणा थी कि विज्ञान से 12वीं पास करने वाले छात्रों के पास ही बेहतरीन करियर ऑप्शन होते हैं l लेकिन अब यह धारणा बदल रही है, कॉमर्स से 12वीं पास करने वाले छात्रों के पास भी अब कई बेहतरीन करियर ऑप्शंस हैं l पहले 12वीं पास करने वाले छात्रों के बीच सिर्फ चार्टर्ड एकाउंटेंट और कंपनी सेक्रेटरी का क्रेज रहता था पर अब यहाँ भी बदलाव आएं हैं l
जीएसटी लागू होने के बाद कॉमर्स ग्रेजुएट्स की डिमांड बहुत ज़्यादा बढ़ गयी है l यही नहीं कॉमर्स ग्रेजुएट्स की डिमांड के साथ-साथ उनकी सैलरी में भी उछाल आया है l मीडिया में आयी खबरों के अनुसार, पहले 15,000 की सैलरी पर फ्रेश कॉमर्स ग्रेजुएट हायर करना आसान था पर अब फ्रेश ग्रेजुएट की मिनिमम सैलरी 20,000 रुपये प्रति माह है | जीएसटी और उनसे जुड़े हुए सॉफ्टवेयर का ज्ञान रखने वाले छात्रों को और ज़्यादा सैलरी मिलने की संभावना रहती है |
आइए जानते हैं कॉमर्स से 12वीं पास करने के बाद कुछ बेहतरीन करियर ऑप्शंस
1: बी.कॉम. और बी.कॉम. ऑनर्स:
बैचलर ऑफ कॉमर्स और बैचलर ऑफ कॉमर्स (ऑनर्स), ये दोनों कॉमर्स से 12वीं पास विद्यार्थियों के लिए सदाबहार करियर ऑप्शंस हैं l बीकॉम में विद्यार्थियों को अकाउंट्स, गुड्स अकाउंटिंग इत्यादि की जानकारी दी जाती है वही बीकॉम ऑनर्स में विद्यार्थियों को इन विषयों के अलावा एक विषय में स्पेशलाइजेशन भी करना होता है l दोनों कोर्सेज की अवधि 3 साल की होती है पर बी.कॉम की तुलना में बी.कॉम (ऑनर्स) कोर्स को ज़्यादा तवज्जो दी जाती है l हालाँकि दोनों ही कोर्सेज को करने वाले योग्य विद्यार्थियों की मार्केट में काफी डिमांड है l बी.कॉम और बी.कॉम (ऑनर्स) की डिग्री लेने के बाद यदि विद्यार्थी किसी कंपनी में ट्रेनी की तरह काम कर ले तो अच्छी सैलरी पर प्राइवेट कंपनियों में आसानी से नौकरी मिल जाती है l
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2: बी.कॉम. इन फाइनांशियल मार्केट्स:
बैचलर ऑफ कॉमर्स इन फाइनांशियल मार्केट्स में फाइनांस, स्टॉक मार्केट, इंवेस्टमेंट्स, कैपिटल इत्यादि विषय पढ़ाये जाते है l इस कोर्स की अवधि भी 3 साल होती है l इस डिग्री को प्राप्त करने के बाद अगर विद्यार्थी किसी नामी कंपनी में इंटर्नशिप कर ले तो उसे आसानी से फाइनांस प्लानर, फाइनांस कंट्रोलर, रिस्क मैनेजमेंट इत्यादि पदों पर नौकरी मिल जाती है l
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3: बी.कॉम. इन बैंकिंग एंड इंश्योरेंस:
इस कोर्स में विद्यार्थियों को अकाउंटिंग, इंश्योरेंस लॉ, बैंकिंग लॉ और इंश्योरेंस रिस्क कवर जैसे विषयों की जानकारी दी जाती है l इस डिग्री में बैंकिंग और इंश्योरेंस इंडस्ट्री से जुड़े हुए विषयों की गहन जानकारी दी जाती है l इस कोर्स में विद्यार्थियों को पढ़ाई के अलावा बैंकिंग और इंश्योरेंस से जुड़े प्रोजेक्ट भी करने होते हैं l इस कोर्स को करने वाले विद्यार्थियों के पास गवर्मेंट और प्राइवेट सेक्टर में अपार संभावनाएं हैं l
4: बी.कॉम. इन एकाउंटिंग एंड फाइनेंस:
12वीं के बाद तीन साल की अवधि वाले इस कोर्स में विद्यार्थियों को टेक्सेशन, अकाउंट्स, फाइनांस इत्यादि से जुड़े हुए कोर्स पढ़ाए जाते हैं l इस कोर्स में फाइनांशियल नॉलेज पर ज़्यादा जोर दिया जाता है l इस डिग्री को हासिल करने के बाद विद्यार्थी किसी वित्तीय कंपनी में काम कर सकते हैं l अगर विद्यार्थी किसी कंपनी से इंटर्नशिप कर ले तो अच्छी सैलरी में नौकरी आसानी से मिल जाती है l
5: कॉस्ट एंड वर्क अकाउंटेंट:
द इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट ऑफ इंडिया द्वारा यह कोर्स कराया जाता है l इस कोर्स में दाखिला लेने के लिए विद्यार्थियों के एंट्रेंस एग्जाम देना होता है l 12वीं पास स्टूडेंट्स को पहले फाउंडेशन कोर्स करना होता है इसके बाद इंटरमीडिएट कोर्स करना होता है और फिर सीए की तरह ही फाइनल एग्जाम देकर कोर्स पूरा करना होता है l इस कोर्स को पूरा करने के बाद स्टूडेंट्स को कॉस्ट अकाउंटेंट से जुडे़ पदों पर आसानी से नौकरी मिल जाती है l
6: चार्टर्ड अकाउंटेंट:
कॉमर्स से 12वीं पास करने वाले ज़्यादातर विद्यार्थियों का सपना चार्टर्ड अकाउंटेंट बनने का होता है l हर बड़ी कंपनी में चार्टर्ड अकाउंटेंट का रोल बहुत अहम् होता है और आज भी समाज में इस पेशे को बहुत इज़्ज़त से देखा जाता है l इस कोर्स की अवधि काफी लम्बी होती है l इसकी शुरुआत कॉमन प्रोफिसिएंसी टेस्ट (CPT) से होती है, जिसे पास करने के बाद ही छात्र अपने लक्ष्य के पहले पड़ाव को पार कर दूसरे पड़ाव पर पहुंच सकता है l पूरा कोर्स और कुछ सालों के अनुभव के बाद विद्यार्थियों को आसानी से बड़ी कंपनी में नौकरी मिल जाती है l
7: कंपनी सेक्रेटरी:
भारत में आर्थिक गतिविधियों में कई सकारात्मक बदलाव हुए हैं और इन बदलावों के साथ कंपनी सेक्रेटरी कोर्सेज की डिमांड बहुत बढ़ गयी है l कंपनी सेक्रेटरी कोर्स के तीन चरण हैं- फाउंडेशन (आठ महीने), एग्जिक्यूटिव और प्रोफेशनल l ग्रेजुएट उम्मी्दवारों को आठ महीने के फाउंडेशन कोर्स से छूट होती है और उन्हें सीधे दूसरे चरण में एडमिशन मिल जाता है l एग्जिक्यूटिव और प्रोफेशनल कोर्स करने के बाद एक कंपनी या किसी अनुभवी या प्रैक्टिस कर रहे कंपनी सेक्रेटरी के साथ 16 महीने की ट्रेनिंग करना अनिवार्य होता है l
निष्कर्ष:
जैसा कि हमने पहले भी कहा है कि जीएसटी लागू होने के बाद कॉमर्स ग्रेजुएट्स की डिमांड बहुत ज़्यादा बढ़ गयी है और उनकी सैलरी में भी उछाल आया है l अब हर कंपनी छोटे-छोटे कामों के लिए CA और CS नहीं रख सकती इसलिए कंपनी अब कॉमर्स ग्रेजुएट को हायर कर रहीं हैं l विद्यार्थी चाहें तो अपने इंटरेस्ट के हिसाब से ऊपर दिए गए कोर्सेज में से एक कोर्स कर सकते हैं l
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