कई बार कड़ी मेहनत के बावजूद परीक्षा में बच्चों की बैकलॉग आ जाती है। इसे लेकर उनके मस्तिष्क में कई प्रश्न दौड़ते रहते हैं। इस लेख में हम उन सभी प्रश्नों के उत्तर जानने की कोशिश करेंगे।
बैक्लॉग (सप्ली) पेपर्स वास्तव में है क्या?
बैक्लॉग शब्द का प्रयोग उन पाठ्यक्रमों के लिए किया जाता है जिनमें छात्र अभी तक पास नहीं कर पाया हो। कभी– कभी इसका इस्तेमाल चौथे (सामान्यतया, अंतिम) वर्ष के अंत में उन विषयों के लिए किया जाता है जिनमें पास होना बाकी होता है। इसे सही तरीके से समझाने के लिए, मान लीजिए कि X नाम का व्यक्ति तीसरी छमाही (3 सेमेस्टर) में विषय A में फेल हो जाता है। वह व्यक्ति तीसरी छमाही (3 सेमेस्टर) में ही नहीं रह जाए, इसलिए वह व्यक्ति 4 सेमेस्टर के आखिर में होने वाली परीक्षा के साथ विषय A की परीक्षा दे कर पास हो सकता है।
बैक्लॉग्स को क्लीयर करने और हमारे करिअर एवं नौकरी की संभावनाओं पर इसके प्रभाव के बारे में हमारे मन में कई सवाल उठते हैं।
Jagranjosh.com द्वारा छात्रों के बैक्लॉग्स से संबंधित सबसे प्रत्याशित और मूल संदेहों में से कुछ का हल यहां ढूंढ़ने की कोशिश की गयी है l
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1. यदि पहले वर्ष में आपको किसी विषय में बैक्लॉग मिलता है तो क्या इससे आपके इंटर्न या नौकरी की संभावनाओं को नुकसान होगा?

जवाब है नहीं। तब तक जब तक कि आप अपनी इंटर्नशिप पर जाने की तारीख तक इस बैक्लॉग को क्लीयर नहीं कर लेते। यह आपके इंटर्न या नौकरी को नुकसान नहीं पहुंचाने जा रहा। लेकिन इंटर्नशिप के लिए आवेदन करने से पहले आपको इसे क्लीयर कर लेना होगा क्योंकि कंपनी इसके बारे में आपसे सवाल कर सकती है और आप किसी भी प्रकार के अवसर से हाथ धो सकते हैं।
जब बात बैक्लॉग्स की आती है तो प्रत्येक कंपनी का मानदंड अलग होता है। कुछ कंपनियां एक एक्टिव बैक्लॉग की अनुमति देती है जबकि अन्य सिर्फ पैसिव बैक्लॉग्स की। टीसीएस जैसी कंपनियां कैंपस प्लेसमेंट्स में 1 वर्ष के ड्रॉप वालों को भी लेती है।
लेकिन पात्रता मानदंड ही यह फैसला करता है कि आप एप्टीट्यूड टेस्ट दे सकते हैं या नहीं। बाद के चरणों में बैक्लॉग मायने नहीं रखता। यदि आपने साक्षात्कार में अच्छा किया तो कोई भी बैक्लॉग्स पर ध्यान नहीं देता। सिर्फ एक शर्त होती है, पाठ्यक्रम (कोर्स) पूरा करने से पहले आपको उन्हें क्लीयर कर लेना है।
2. इंजीनियरिंग के कोर्स के दौरान किसी भी विषय में मिला बैक्लॉग क्या मेरा करिअर बर्बाद कर देगा?
नहीं। इंजीनियरिंग में एक बैक्लॉग आपका करिअर नहीं बर्बाद करेगा। बैक्लॉग का मतलब यह नहीं होता कि उस विषय में आप कम जानते हैं। हमेशा यह याद रखें कि इंजीनियरिंग में परीक्षाएं देना व्यवस्था के साथ सामंजस्य बैठाने जैसा होता है। उतार– चढ़ाव इंजीनियरिंग का हिस्सा हैं। बारहवीं (XII) तक हम सभी अच्छे ग्रेड लाने के आदि होते हैं और अचानक जब इंजीनियरिंग की परिस्थितियों का सामना करते हैं, हम अपनी लय बरकरार नहीं रख पाते क्योंकि हम इस प्रकार की सीखने वाली व्यवस्था के आदि नहीं होते। इसलिए किसी को भी इस बैक्लॉग को अपने जीवन के महत्वपूर्ण मोड़ के तौर पर लेना चाहिए और गलतियों से सीखने की कोशिश करनी चाहिए। आपने जो पढ़ा उसमें आपको अच्छा होना चाहिए और आपको उन्हीं क्षेत्रों में नौकरी की तलाश करनी चाहिए जिसमें आप अच्छे हैं और जिस तरह का काम करना आप पसंद करते हैं।
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3. इंजीनियरिंग के पहले या दूसरे साल में दो या तीन से अधिक बैक्लॉग्स मिलने के बाद फिर से वापसी कैसे करें?
जबाव तीन 'डी' में निहित है– डिसिप्लीन (अनुशासन), डेडिकेशन (समर्पण) और डेलिगेंट वर्क ( एकाग्रचित्त हो कर काम करना)। अपनी कमजोर कड़ियों पर काम करना शुरु करें। अपनी विफलता के कारणों को जानने की कोशिश करें, एक योजना तैयार करें और अपनी विफलता को अपनी मजबूती बनाने के लिए उस पर काम करें। इन सब का नियमित रूप से अनुशासन के साथ पालन किया जाना चाहिए और वह भी बिना एक भी दिन अनुशासन तोड़े।
4. अपनी कक्षाओं में नियमित रूप से जाएं, नोट्स तैयार करें और हमेशा पिछले वर्ष के पेपर को हल करें

टाल–मटोलः टाल– मटोल करने के रवैये से बाहर निकलें। बार– बार उत्कृष्टता हासिल करने के लिए अपने मन में स्थिर विचार या जुनून विकसित करने की कोशिश करें। जब भी आपको लगे कि आपका मन पढ़ाई से हट रहा है, हमेशा याद रखें कि आप फिर से वही गलती करने जा रहे हैं जिसने अतीत में आपको विफल बनाया था। समय का प्रबंधन बेहद अनिवार्य है। इसकी आदत डालने की कोशिश करें।
Jagranjosh.com उम्मीद करता है कि इस लेख से बैक्लॉग्स के बारे में जानने और उसके डर को भगाने में आपको बहुत मदद मिलेगी। याद रखें! सफलता लगातार सीखने वालों को मिलती है। प्रत्येक दिन कुछ नया सीखने की कोशिश करें। क्यों कि असफलता ही सफलता की जननी है l
चियर्स।
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