जिस उम्र में अधिकांश लोग जीवन को त्यागने के बारे में सोचते हैं, उस उम्र में 93 वर्षीय मन कौर ने एथलेटिक्स में कदम रखा था। आठ साल बाद, 2018 में उन्होंने ऑकलैंड में विश्व मास्टर्स खेलों में 100 मीटर स्प्रिंट जीतकर भारत को गौरवान्वित किया। मन कौर को यह प्रेरणा और प्रोत्साहन उनके 78 वर्षीय बेटे गुरदेव ने दिया जो स्वयं एक शानदार एथलीट हैं। गुरुदेव ने भी विश्व मास्टर्स गेम में भाग लिया है, जिसे वरिष्ठ नागरिकों के लिए ओलंपिक माना जाता है। आइये जानते हैं कैसे शुरुआत हुए मन कौर के इस करियर की और कैसे रहा उनका अब तक का सफर।
बेटे के प्रोत्साहन से की 93 की उम्र में एथलेटिक करियर की शुरुआत
मन कौर के बेटे गुरदेव ने 2011 में अपनी माँ को खेलों से परिचित कराया। वह कहते हैं कि उनकी माँ 93 की उम्र में भी किसी बीमारी से ग्रस्त नहीं थी न ही वह कभी डॉक्टर के पास गई। गुरुदेव को अपनी माँ की क्षमता का अहसास हुआ और उन्होंने इस जाँचने के लिए सभी ज़रूरी टेस्ट कराए। मापदंडों से पता चला कि वह स्वस्थ थी और गुरुदेव ने तभी से उनकी ट्रेनिंग शुरू कर दी। 2011 में मन कौर ने ट्रेनिंग की शुरुआत की और उसी वर्ष लंबी कूद (3.21 मीटर) में एक रजत, और 100 मीटर दौड़ में कांस्य पदक जीता था।
सख्त प्रशिक्षण और डाइट प्लान का पालन करती हैं मन कौर
मान कौर एक सख्त प्रशिक्षण और आहार का पालन करती हैं और यह सुनिश्चित करती हैं कि हर दिन इसका पालन हो। कौर चंडीगढ़ में आउटडोर खेल के मैदानों में हर एकांतर दिन पर ट्रेनिंग करती हैं और अन्य दिनों में जिम जाती हैं। हर बार जब वह खेल मैदान में उतरती है, तो पांच बार 50 मीटर दौड़ लगाती है और 100 मीटर और 200 मीटर की एक-एक दौड़ लगाती है। जिम में कौर अपने ऊपरी शरीर को प्रशिक्षित करती हैं। उनके बेटे बताते हैं कि वह रोज सुबह उठकर केफिर का एक गिलास पीती है और दिन में दो बार अंकुरित गेहूं से बनी रोटियां खाती है। इसके अतिरिक्त, वह फलों के रस, चार चम्मच व्हीटग्रास जूस, नट्स और बीजों का सेवन करती हैं।
भाला फेंक और शॉट पुट भी खेलती हैं मन कौर
The world is consumed by fear of COVID-19, but here’s one ninety plus lady, Mrs. Kaur, who won’t be scared at all, in my opinion! She looks like she’s ready to outrace the virus. What an inspiration. pic.twitter.com/t6nKrayCTZ
— anand mahindra (@anandmahindra) March 11, 2020
दौड़ने और कूदने के अलावा, कौर को भाला फेंक और शॉट पुट भी पसंद है। उन्होंने 2017 के मास्टर्स खेलों में इन दोनों ही विषयों में भाग लिया था। इसके अलावा उन्हें एडवेंचर स्पोर्ट्स का भी शौक है। ऑकलैंड के स्काई टॉवर के शीर्ष पर चलने वाले सबसे बुजुर्ग व्यक्ति होने का गौरव भी उन्हें प्राप्त है। मन कौर ऑकलैंड से 192 मीटर ऊपर बने एक पुल को अपने बेटे का हाथ पकड़ कर पार किया था।
अब तक 20 से ज़्यादा मैडल जीत चुकी हैं "मिरेकल ऑफ़ चंडीगढ़"
93 की उम्र से शुरुआत करने के बाद भी 102 वर्षीय मन कौर अब तक 20 से अधिक मैडल जीत चुकी हैं। इनमे से कुछ मैडल ऐसे हैं जिनमे वह खुद का बनाया रिकॉर्ड ही तोड़ चुकी हैं। न्यूजीलैंड के ऑकलैंड में 2017 मास्टर्स गेम्स में उन्होंने अपने बनाए विश्व रिकॉर्ड में 7 सेकंड का सुधार किया। उन्होंने यह रेस 1 मिनट 14 सेकंड में पूरी की थी। वह अगले वर्ष जापान में होने वाले विश्व मास्टर्स गेम में स्वर्ण पदक जीतना चाहती हैं।
एक एथलीट के रूप में अपने अनुभव को देखते हुए कौर युवा उम्मीदवारों को सलाह देती हैं कि एथलीटों को स्वस्थ भोजन करना चाहिए और जंक फूड से बचना चाहिए। उत्तरार्द्ध स्वादिष्ट हो सकता है लेकिन हमारे शरीर के लिए अच्छा नहीं है। कौर को लगता है कि अच्छे स्वास्थ्य का राज अच्छा भोजन और नियमित व्यायाम है। मन कौर देश के प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक प्रेरणा हैं और यह साबित कर रहीं हैं की उम्र केवल एक संख्या है। अगर हौसले बुलंद हो तो किसी भी उम्र में कुछ नया किया जा सकता है।
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