भारतीय सशस्त्र सेनाओं में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिसके तहत कोई व्यक्ति वायुसेना में सेवा देने के बाद नौसेना और थल सेना में अपना योगदान दे। हालांकि सेना के अनुसार, पृथपाल सिंह एकमात्र ऐसे भारतीय है जिन्होंने सशस्त्र बलों के सभी तीनों विंगों में काम किया है। लगभग तीन दशक के करियर में, कर्नल पृथपाल सिंह गिल ने एक फ्लाइंग कैडेट, नेवी अधिकारी और सेना में कर्नल के पद पर अपना शौर्य दिखाया। वह दिसंबर 1970 में भारतीय सेना से एक कर्नल के रूप में सेवानिवृत्त हुए थे। 12 दिसंबर 2020 को उन्होंने अपनी 100वीं वर्षगांठ मनाई जिसके बाद सोशल मीडिया पर उन्हें बधाई देने वालों का सिलसिला शुरू हो गया। आइये जानते है कर्नल गिल के जीवन और करियर से जुड़े कुछ रोमांचक तथ्य।
फ्लाइट कैडेट के तौर पर हुई थी करियर की शुरुआत
(रिटा.) कर्नल पृथपाल सिंह गिल के करियर की शुरुआत 1942 में रॉयल इंडियन एयरफोर्स में बतौर पायलट ऑफिसर हुई थी। उस समय वह कराची में तैनात थे। परन्तु उनके पिता उनकी सुरक्षा को ले कर काफी चिंतित थे। उस समय उनके पिता की पहचान ब्रिटिश सेना के एक सीनियर अफसर से थी और उनसे सिफारिश कर पृथपाल के पिता ने 1943 में उनका ट्रांसफर नौसेना में करवा दिया।
दूसरे विश्व युद्ध में भी लिया था भाग
कर्नल पृथपाल सिंह माइन स्वीपिंग शिप व आईएनएस तीर में बतौर गज़ेटेड अधिकारी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। उन्होंने दुसरे विश्व युद्ध में भी हिस्सा लिया था। जब वह सब लेफ्टिनेंट के तौर पर वायुसेना में कार्यरत थे तो उनका चयन महाराष्ट्र के देवलाली स्थित लॉंग गननेरी स्टाफ कोर्स में हुआ। कोर्स काफी मुश्किल था लेकिन इस कोर्स में भी वे अव्वल रहे। उन्हें प्रशिक्षक गनरी के रूप में वर्गीकृत किया गया था।
नौसेना के बाद आए थल सेना में
फेफड़ों में पानी की उपस्थिति के कारण कर्नल गिल ने नौसेना से थल सेना में स्थानांतरण की मांग की जिसे मंजूरी दे दी गई और उन्हें ग्वालियर माउंटेन बैटरी में तैनात किया गया। बाद में उन्होंने 34 मीडियम रेजिमेंट के साथ काम किया और 71 मीडियम रेजिमेंट को तैयार कर उसकी कमान संभाली। उन्हें कर्नल के पद पर पदोन्नत किया गया और मणिपुर के उखरुल में असम राइफल्स सेक्टर में कमान सौंपी गई।
परिवार की तीन पीढ़ियों ने उनसे पहले सेना में दी थी सेवा
अपने परिवार से सेना में शामिल होने वाले पृथपाल सिंह पहले व्यक्ति नहीं हैं बल्कि उनके पिता हरपाल सिंह, दादा बीर सिंह और पड़दादा नेहान सिंह भी सेना में सेवा दे चुके हैं। उनके परिवार का कहना है कि एक युवा के रूप में, कर्नल गिल की खेलों में गहरी रुचि थी और उन्हें टेनिस, स्क्वैश और बैडमिंटन खेलना पसंद था। उन्हें शिकार करना भी पसंद था। कर्नल गिल के पोते ने कहा, "उम्र ने मेरे दादाजी को बिल्कुल नहीं बदला है, वह हर दिन पूरी तरह से जीते हैं।"
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