Positive India: ग्रामीण समस्याओं को हल करने के लिए 140 से अधिक मशीनों का आविष्कार कर चुके हैं असम के यह शख्स - जानें कौन हैं पद्मश्री उद्धब भराली

Dec 17, 2020, 23:05 IST

2019 में  पदम् श्री अवार्ड से पुरस्कृत किये गए उद्धब भराली ने अभी तक 140 से अधिक शानदार आविष्कार कर उन्हें पेटेंट कराया है। यह सभी आविष्कार गरीबों, किसानों, महिलाओं और विकलांगों की मदद और उन्हें सक्षम बनाने के लिए किये गए हैं। 

Padma Shri Uddhab Bharali life story in hindi
Padma Shri Uddhab Bharali life story in hindi

इनोवेशन मानवता को आगे बढ़ने, प्रगति करने और पनपने में मदद करती है। हालाँकि कई लोगों को लगता है कि कुछ नया करने के लिए बहुत सारा पैसा अनुसंधान और विकास में जाता है, परन्तु असम के यह इनोवेटर हमें दिखाता है कि कम पैसे और सीमित सुविधाओं में भी बहुत कुछ नया किया जा सकता है। यह हैं 2019 के पदम् श्री अवार्ड से पुरस्कृत किये गए उद्धब भराली। 

उद्धब ने अभी तक 140 से अधिक शानदार आविष्कार किए हैं और उन्हेंं पेटेंट भी कराया है। इन सभी अविष्कारों को हम दिन-प्रतिदिन देखते हैं या उपयोग करते हैं। यही नहीं, इन अविष्कारों को अपनाने, बड़े पैमाने पर उत्पादन करने और उपयोग में लाने के लिए सभी निर्माता स्वतन्त्र हैं। आइये जानते हैं उद्धब भराली के बारे में कुछ रोचक तथ्य।

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कॉलेज ड्रॉपआउट हैं उद्धब भराली

असम के उत्तर लखीमपुर जिले में एक मध्यम वर्गीय कारोबारी परिवार में जन्मे भराली ने अपनी स्कूली शिक्षा लखीमपुर से पूरी की। पढ़ाई में उज्ज्वल छात्र रहे भाराली को अक्सर उनके शिक्षक इसलिए कक्षा से बाहर खड़ा कर देते थे क्योकि उद्धब के जिज्ञासिक प्रश्नों का उत्तर उनके टीचर्स के पास भी नहीं होता था। 14 साल की उम्र में स्कूली शिक्षा पूरी होने के बाद, भराली ने जोरहाट इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लेने का फैसला किया। हालांकि, फीस के पैसे ना होने के कारण उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई को बीच में ही छोड़ दिया था। 

परिवार को क़र्ज़ से मुक्त करने के लिए किया था पहला आविष्कार 

अपने परिवार को बड़े पैमाने पर ऋण से उबारने के लिए भाराली ने केवल 23 वर्ष की उम्र में कई प्रकार की विषम नौकरियां की लेकिन अनुसंधान, विकास और अविष्कार के लिए अपने जुनून को कभी नहीं छोड़ा। अपने एक इंटरव्यू में वह बताते हैं कि असम में लखीमपुर एकअसम में लखीमपुर एक शून्य उद्योग जिला था और उस समय केवल चाय उद्योग फलफूल रहा था। उन्हें थोक में पॉलीथिन कवर की आवश्यकता थी और एक मशीन खरीदने के बजाय जिस पर उन्हें लाखों रुपये खर्च करने पड़ते, भराली ने लगभग 67,000 रुपये में खुद एक नई मशीन का आविष्कार किया। इस मशीन की सफलता ने भारली को अधिक मशीनों को विकसित करने का विश्वास दिलाया। अपने पिता के ऋणों को चुकाने के बाद, 1995 में, भराली को अरुणाचल प्रदेश में एक पनबिजली परियोजना में प्रयुक्त मशीनरी के रखरखाव के लिए एक अनुबंध मिला लेकिन उन्हें तीन साल बाद घर लौटना पड़ा क्योंकि उनके बड़े भाई का लीवर स्क्लेरोसिस के कारण निधन हो गया था।

सन् 1990 से 2000 के बीच किसानों की मदद के लिए 24 मशीनों का आविष्कार किया 

1990 और 2000 के दशक के मध्य में, भाराली ने 24 उत्पाद विकसित किए, जो किसानों की सहायता करने पर केंद्रित थे। वह कहते हैं, “मैं हर क्षेत्र में कुछ नया करना चाहूंगा, लेकिन मेरा ज्यादातर अनुरोध कृषि क्षेत्र से आता है। बड़ी कंपनियां बड़ी प्रस्तुतियों के लिए मशीनों का विकास करती हैं, लेकिन क्या कोई किसानों और उन कठोर कामों को आसान करने के बारे में सोचता है?” उन्होंने किसानों के लिए कृषि प्रक्रियाओं को आसान बनाने के लिए चाय-पत्तियों को आसानी से काटने के कटर,असमिया धान की चक्की का रीडिजाइन और विभिन्न प्रकार के औजारों का आविष्कार किया।

शारीरिक रूप से अक्षम को स्वतंत्र बनाने के लिए किये कई इनोवेशन 

उन्होंने विशेष रूप से विकलांगों को अधिक स्वतंत्र करने पर भी ध्यान केंद्रित किया है। उन्होंने बिना पैरों या हाथों के लोगों के लिए सस्ती और मॉड्यूलर एक मशीन का निर्माण किया जिससे उन्हें खाना खाने, एक कप संभालने और यहां तक की लिखने में मदद करने के लिए, बस एक कोहनी पैड का उपयोग करने की ज़रूरत है। उद्धब के इन अविष्कारों का लाभ गरीब लोग भी आसानी से उठा सकते हैं क्योंकि ये सभी उपकरण बेहद किफायती हैं। 

उद्धब को अपनी इनोवेशन के लिए मिल चुके हैं कई अवार्ड 

2005 में नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन, अहमदाबाद ने भाराली की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें एक ग्रासरूट इनोवेटर का दर्जा दिया। साल 2006 में अनार की डी-सीडिंग मशीन के लिए उनके डिजाइन को भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में अपनी तरह का पहला आविष्कार माना गया। यह मशीन अनार के दानों को किसी भी क्षति के बिना बाहरी पतली परत से अलग कर सकती है। इस मशीन के द्वारा प्रति घंटे लगभग 55 किलोग्राम अनार को डी-सीड किया जा सकता है। उनकी इस मशीन को काफी सराहना मिली और इसके बाद उन्होंने टर्की और अमेरिका में भी इस मशीन को एक्सपोर्ट किया। 

इन उपकरणों के अलावा, उनके कई नवाचार जैसे की रेमी पुनरावर्तन मशीन, लहसुन छीलने की मशीन, तम्बाकू पत्ती कटर, धान थ्रेशर, गन्ना छीलने की मशीन, पीतल के बर्तन चमकाने की मशीन, सुरक्षित मूसली छीलने की मशीन, जटरोफा डी-सीडर, यंत्रीकृत निराई मशीन, पैशन फलों का रस निकालने वाली मशीन, खाई खोदने वाला यंत्र इत्यादि काफी लोकप्रिय है और विदेशों में भी इनका इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्हें 2019 में भारत सरकार द्वारा पदमश्री पुरस्कार दिया गया था। 

असम के सभी प्रमुख क्षेत्रों में गेस्ट फैकल्टी के रूप में और विभिन्न भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IIT) में व्याख्यान के लिए भराली को आमंत्रित किया जाता है। भराली भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), गुवाहाटी में प्रौद्योगिकी की उन्नति के लिए रूरल टेक्नोलॉजी एक्शन ग्रुप (RUTAG) के तकनीकी सलाहकार हैं। उन्हें असम कृषि विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि भी प्रदान की गई है। उन्हें हिस्ट्री चैनल के टीवी शो OMG! में भी दिखाया गया है।

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