इंजीनियरिंग या मेडिकल की तैयारी का सही समय कक्षा 10 या कक्षा 12??

Jun 1, 2018, 11:40 IST

छात्रों में हमेशा यह दुविधा का पात्र बना रहता है कि IIT JEE या NEET की तैयारी कक्षा 10वी के बाद करना सही होता है या कक्षा 12वी के बाद? इसी विषय में हम कुछ ज़रूरी टिप्स के बारे में बात करेंगे जिनसे छात्रों की दुविधा के निवारण के साथ  JEE तथा NEET एग्जाम की तैयारी में भी मदद मिलेगी.

right time to prepare jee and neet
right time to prepare jee and neet

जो छात्र इंजीनियर या डॉक्टर बनने का सपना देखते है उन लोगों की पहली प्राथमिकता होती है कि वे किसी अच्छे संस्थान से मेडिकल या इंजीनियरिंग की डिग्री लें. दरअसल अच्छे संस्थान में एडमिशन के लिए छात्रों में पढ़ाई की सही रणनीति तथा सही समय पर शुरू करना अति आवश्यक है. छात्रों में हमेशा यह दुविधा का पात्र बना रहता है कि IIT JEE या NEET की तैयारी कक्षा 10वी के बाद करना सही होता है या कक्षा 12वी के बाद? इसी विषय में हम कुछ ज़रूरी टिप्स के बारे में बात करेंगे जिनसे छात्रों की दुविधा के निवारण के साथ  JEE तथा NEET एग्जाम की तैयारी में भी मदद मिलेगी.

दरअसल कक्षा 11वीं से ही बेसिक कॉन्सेप्ट्स का क्लियर होना ज़रूरी है. क्यूंकि  इन दोनों परीक्षा में जो प्रश्न पूछे जाते हैं उनमें 11वीं तथा 12वीं का पूरा पाठ्यक्रम होता है. यदि कोई छात्र कक्षा 11वीं से ही इन की तैयारी शुरू कर दे तो उसे पूरे पाठ्यक्रम को अच्छी तरह समझ कर प्रैक्टिस कर आगे बढ़ने में काफी समय मिलता है. वहीँ दूसरी ओर जो छात्र कक्षा 12वीं के बाद JEE तथा NEET की तैयारी शुरू करते हैं उन्हें 11वीं तथा 12वीं का पूरा पाठ्यक्रम पता होता है लेकिन प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए जितना समय अनुकूल रूप से देना होता है उतना सही माईने में नहीं मिलता है. आइये एक-एक कर दोनों ही परिस्तिथियों के बारे में विस्तार में जानते हैं.

 

यदि छात्र कक्षा 10वीं के बाद ही तैयारी शुरू करते हैं तो उसके कई लाभ हैं जैसे की:

1. परफॉरमेंस: कई छात्रों का अकादमिक स्तर JEE तथा NEET की तैयारी के अनुसार उतना अच्छा नहीं होता है तथा बहुत से ऐसे बेसिक कॉन्सेप्ट्स होते हैं जिन्हें अच्छी तरह से समझना बहुत ज़रूरी होता है. ऐसे में जो छात्र कक्षा 10वीं के बाद JEE तथा NEET की तैयारी करना शुरू करते हैं उन्हें अपने बेसिक कॉन्सेप्ट्स को ठीक करने का पूरा मौका मिलता है. छात्र आसानी से अपने सभी विषयों के वीक पॉइंट्स तथा स्ट्रोंग पॉइंट्स को भी समझ सकते हैं तथा इसके अनुसार अपनी तैयारी पर ध्यान दे सकते हैं.

2. आत्मविश्वास: किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने का सही तरीका होता है उसमें पूरी तरह समय देना तथा पूरी मेहनत से उसे प्राप्त करने के लिए आगे बढ़ना. जब कोई छात्र कक्षा 10वीं के बाद से ही अपनी तैयारी को पूरा समय देना शुरू करता है तो जैसे-जैसे वह अपने लक्ष्य के समीप आता जाता है उसका आत्मविश्वास भी और बढ़ता जाता है. क्यूंकि जब एक छात्र अपनी तैयारी को पूरा समय देता है तो उसे पता होता है कि उसकी एग्जाम की तैयारी कैसी है और वह एग्जाम में कितना अच्छा प्रदर्शन कर सकता है. तो अर्ली प्रिपरेशन छात्रों के कॉन्फिडेंस को बढ़ाने में एक अहम भूमिका निभाती है.

3. फ्रेशर छात्रों के IIT एग्जाम में उत्तिर्ण होने की संभावना अधिक: हमेशा यह देखा गया है कि ड्राप आउट छात्रों की तुलना में फ्रेशर छात्रों की इन दोनों परीक्षा में उत्तिर्ण होने की संभावना ज्यादा होती है. क्यूंकि जो छात्र JEE तथा NEET की तैयारी सुनिश्चित कर लेते हैं वह कक्षा 11वीं से ही अपनी क्लास की पढ़ाई के साथ-साथ किसी अच्छे कोचिंग इंस्टिट्यूट से या सेल्फ स्टडी पर शुरुवात से ही अच्छी पकड़ बना कर तैयारी भी शुरू कर देते हैं जिस कारण उनके पास पूरा समय होता है कि वह अपनी कमज़ोरियों को अच्छी तरह परख कर सुधार सकें. कक्षा 12वीं की तरह 11वीं में पूरा पाठ्यक्रम ख़तम करने की जल्दबाज़ी नहीं होती है. जिस कारण ड्राप आउट छात्रों की तुलना में फ्रेशर छात्रों के इन एक्जाम्स को क्रेक करने की संभावना बढ़ जाती है.

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4. रिविज़न:  छात्र कक्षा 11वीं से शुरुवाती तौर पर ही अपने सभी टॉपिक्स के नोट्स अच्छी तरह तैयार कर सकते हैं. जिस कारण अंतिम समय में रिविज़न के लिए समय भी ज्यादा मिलता है तथा नोट्स भी सही तरीके से उपलब्ध होते हैं.

अब यदि हम बात करें उन छात्रों की जो कक्षा 12वीं के बाद JEE तथा NEET की तैयारी शुरू करते हैं, उनके तैयारी करने की परिस्तिथि कुछ इस प्रकार होती है.

समय सीमा: कक्षा 12वीं के बाद जो छात्र तैयारी करना शुरू करते हैं उनके समय सीमा की अवधि बहुत कम होती है. ऐसे समय में छात्रों के लिए अपने सभी टॉपिक्स पर अच्छी पकड़ बनाना कठिन हो जाता है. छात्र कक्षा 12वीं के एग्जाम के लिए तो अच्छी तरह तैयारी कर लेते हैं लेकिन जब बात प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी की आती है तो वह उस समय कम होने के कारण पूर्ण रूप से तैयारी करने में विफल हो जाते हैं.

ड्राप आउट: छात्र जब कक्षा 12वीं के बाद JEE तथा NEET की तैयारी शुरू करते हैं तो अक्सर कई तरह के क्रेश कोर्स के बावजूद अच्छी तैयारी न होने के कारण ड्राप आउट का प्लान कर लेते हैं ताकि वह अपनी तैयारी अच्छी तरह कर सकें. जिस कारण उनका पूरा एक साल केवल तैयारी में बीत जाता है, जोकि छात्रों के लिए कई बार लाभप्रद साबित नहीं होता है.

लैंग्वेज बेरियर तथा कमजोरे कांसेप्ट: कई छात्र ऐसे होते हैं जिनके कक्षा 11वीं तथा 12वीं का अकादमिक स्तर तो अच्छा होता है लेकिन उन्होंने हिंदी मीडियम से अपनी परीक्षा दी होती है. ऐसे में छात्रों को तैयारी के दौरान कोचिंग इंस्टिट्यूटस में पढ़ाए जाने वाले टॉपिक्स को समझने में काफी समय लग जाता है क्यूंकि हिंदी के बजाय उन टॉपिक्स की इंग्लिश टर्मिनोलॉजी जानने और समझने में भी उनका काफी समय जाता है.

वहीँ दूसरी ओर जो छात्र CBSE या अन्य किसी इंग्लिश मीडियम बोर्ड से कक्षा 12वीं पास करते हैं तथा उसके बाद तैयारी करना शुरू करते हैं उनमें से कई ऐसे छात्र होते हैं जिनके बेसिक्स कई टॉपिक्स में या विषयों में कमज़ोर होते हैं तथा उन्हें उन कमजोरियों को ही इम्प्रूव करने में काफी समय लग जाता है.

निष्कर्ष: यहाँ हमने छात्रों को JEE तथा NEET की तैयारी करने वाले छात्रों को बताया कि कौन से कक्षा के बाद तैयारी करना अधिक लाभदायक होगा और किन  परिस्तिथियों  का उनको सामना करना पड़ेगा ताकि छात्र इन परिस्तिथियों को सही तरीके से समझ कर अपनी तैयारी ठीक समय पर शुरू कर सफलता प्राप्त कर सकें. आशा है कि हमारे बताए सुझाव आपके लिए मददगार साबित हों.

Jagran Josh
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Education Desk

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