अंग भंग या दिव्यांगता की क्षति सदैव अपूर्णीय होती है. कोई भी व्यक्ति अपनी जिंदगी में दिव्यांग नही होना चाहता लेकिन कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं जिन पर किसी का वश नहीं चलता ये किसी के भी साथ घट सकती है. कभी कोई स्वस्थ व्यक्ति किसी दुर्घटना के परिणाम स्वरुप दिव्यांग हो सकता है तो कुछ बच्चे जन्मजात दिव्यांग होते हैं तो कोई स्वस्थ व्यक्ति किसी बीमारी की वजह से दिव्यांगता या अक्षमता का शिकार हो जाता है. कारण चाहे जो भी हो किन्तु निर्विवाद सत्य बस इतना हीं है कि एक दिव्यांग व्यक्ति का जीवन कष्ट पूर्ण या संघर्ष पूर्ण अवश्य हीं होता है. भारत में दिव्यांग व्यक्तियों की संख्या दो करोड़ से भी अधिक है.
दिव्यांगता और हमारा संविधान -
हमारा संविधान ऐसे असमर्थ या असहाय व्यक्तियों को जो किसी भी प्रकार की दिव्यांगता की श्रेणी में आते हैं सामान्य जीवन की सुविधा देने के लिए आरक्षण की सुविधाएँ प्रदान करता है. चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा प्रमाणित 40 फीसदी या उससे अधिक दिव्यांग व्यक्तियों को (जिसमें दृष्टिहीनता, दृष्टि बाध्यता ,श्रवण क्षमता में कमी, गति विषयक बाध्यता इत्यादि शामिल है ) समान अवसर, अधिकारों के सामान संरक्षण तथा सहभागिता के लिए भारत का संविधान अदिव्यांग या सामान्य व्यक्तियों की तरह हीं समान अवसर और सामान अधिकार प्रदान करता है. दिव्यांग या दिव्यांग व्यक्तियों को जीवन की प्रमुख धारा से जोड़ने के लिए देश का संविधान सरकारी तथा सरकार से अनुदान प्राप्त संस्थाओं की नौकरियों में उनके लिए आरक्षण का प्रावधान करता है. किन्तु इस आरक्षण के लाभ के लिए दिव्यांग व्यक्ति के पास दिव्यांग सर्टिफिकेट का होना अनिवार्य है जबकि हमारे देश में बहुत से ऐसे लोग हैं जो दिव्यांग नहीं होते हुए भी रिश्वत देकर या जोड़ तोड़ लगा कर दिव्यांग सर्टिफिकेट बनवा लेते हैं वहीँ बहुत से ऐसे मजबूर और असहाय लोग भी हैं जो वास्तव में दिव्यांगता से पीड़ित होने के बावजूद काफी मशक्कत के बाद भी अपने लिए दिव्यांगता का सर्टिफिकेट नहीं बनवा पाते और सरकारी नौकरियों में दिव्यांग आरक्षण के लाभ से वंचित रह जाते हैं.
तो आइए दोस्तों आज हम आपको बताएँगे कि दिव्यांग कोटे में सरकारी नौकरियों में आवेदन के लिए जरुरी वैलिड सर्टिफिकेट कहाँ और कैसे बनवाया जाता है. दिव्यांग सर्टिफिकेट बनवाने का प्रोसेस क्या है तथा दिव्यांग सर्टिफिकेट वेरिफिकेशन कैसे करवाएँ. तो इस क्रम में सबसे पहले हम यह जानने का प्रयास करते हैं कि दिव्यांग सर्टिफिकेट आखिर होता क्या है .
दिव्यांग सर्टिफिकेट -
डॉक्टरों की टीम द्वारा दिव्यांग व्यक्ति की पूरी जाँच पड़ताल के बाद बनाया गया सर्टिफिकेट दिव्यांग सर्टिफिकेट कहलाता है.
कहाँ कर सकते हैं उपयोग दिव्यांग सर्टिफिकेट का -
1995 में भारतीय संसद ने दिव्यांगता और अक्षमता से पीड़ित व्यक्तियों के लिए समान अवसर, अधिकारों के समान संरक्षण तथा पूर्ण सहभागिता के लिए एक क़ानून पारित किया जिसमें दिव्यांगता के कुछ प्रकारों को मान्यता प्रदान किया गया और ऐसी दिव्यांगता या अक्षमता से पीड़ित व्यक्तियों के लिए राष्ट्र की तरफ से कुछ विशेष अधिकार निर्धारित किए गए. जैसे -
1. सरकारी नौकरी में आरक्षण.
2. शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण.
3. जमीन आवंटन में प्राथमिकता.
4. सामाजिक सुरक्षा की स्कीमें.
5. अक्षमता के शिकार बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा. इत्यादि
इसके तहत बनाए गए कानून और उससे जुड़ी स्कीमें केवल उन लोगों के लिए है जो किसी विशेष अक्षमता या दिव्यांगता से 40% पीड़ित हैं और जिन्हें उसी आधार पर दिव्यांगता या अक्षमता का प्रमाण पत्र मिला हुआ है.
दिव्यांग प्रमाण पत्र कैसे बनवाएं -
दिव्यांग प्रमाण पत्र या दिव्यांग सर्टिफिकेट बनवाने के लिए सबसे पहली कंडीशन यह है कि अगर आपको चोट लग गई है और आप दिव्यांग हो गए हैं तो दिव्यांग सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करने समय तक आपको चोट लगे हुए कम से कम छह महीने हो जाने चाहिए क्योकि डॉक्टरों का मानना है कि कोई भी चोट छह महीने में अपने आप ठीक हो सकती है. किन्तु अगर कोई व्यक्ति जन्म से दिव्यांग है तो वह दिव्यांग सर्टिफिकेट बनवाने के लिए कभी भी आवेदन कर सकता है. आवेदन करने के लिए आवेदन कर्ता को अपने शहर के सिविल हॉस्पिटल या सरकारी अस्पताल में जाना होगा जहाँ उसे दिव्यांग सर्टिफिकेट के लिए एक आवेदन फॉर्म भरना होता है. इस आवेदन फॉर्म को भरने के लिए कुछ डाक्यूमेंट्स की आवश्यकता होती है. तो आइए जानते हैं कि दिव्यांग सर्टिफिकेट को भरने के लिए किन किन डाक्यूमेंट्स की जरुरत पड़ती है .
दिव्यांग सर्टिफिकेट बनवाने के लिए आवश्यक डाक्यूमेंट्स -
दिव्यांग सर्टिफिकेट के आवेदन पत्र के साथ व्यक्ति को अपना राशन कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, आधार कार्ड या फिर अपना कोई भी आईडी प्रूफ कार्ड लगाना अनिवार्य होता है. साथ हीं दिव्यांग व्यक्ति को इसमें अपने दिव्यांग अंग की फोटो भी लगानी होती है. इसके अलावा अपनी एक पासपोर्ट फोटो जिसमे फेस क्लियर दिखता हो लगानी होती है. फिर इस आवेदन पत्र को भरकर सम्बन्धित अधिकारी के पास जमा कराना होता है. जिसके बाद आवेदन कर्ता को मेडिकल टेस्ट के लिए पर्ची दे दी जाती है. जाँच के लिए बुलाने वाली पर्ची देने के बाद सामान्य रूप से उसी दिन व्यक्ति का मेडिकल टेस्ट कर लिया जाता है. मेडिकल टेस्ट में आई सर्जन, ईएनटी सर्जन,आर्थोपेडिक सर्जन,मानसिक चिकित्सालय का एक डॉक्टर तथा एक फिजिशियन समेत चिकित्सकों की पूरी टीम के द्वारा व्यक्ति के पूरे शरीर के अलावा खास तौर से दिव्यांगता के लिए जिम्मेदार अंग की जाँच भी की जाती है. पूरी जाँच के बाद दिव्यांगता का प्रतिशत लिखकर उसी दिन दिव्यांग सर्टिफिकेट बना दिया जाता है. यानि कि सेम डे व्यक्ति को दिव्यांगता का सर्टिफिकेट मिल जाता है किन्तु किसी किसी स्थानों पर इस दिव्यांग सर्टिफिकेट को बनने में 5 से 7 दिन का समय भी लग सकता है.
ऑनलाइन:
इसके अलावा अगर आप चाहें तो ऑनलाइन दिव्यांग सर्टिफिकेट भी बनवा सकते हैं. नेट पर ऑनलाइन दिव्यांग सर्टिफिकेट से सम्बन्धित सारी जानकारियाँ उपलब्ध है.
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