आर्थिक समीक्षा (2012-13) के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था अब धीरे-धीरे यूरोपीय ऋण संकट की वजह से उत्पन्न आर्थिक मंदी के दौर से बाहर निकल रही है। आर्थिक समीक्षा के अनुसार वित्त वर्ष 2013-14 में देश की आर्थिक वृद्धि दर 6.1-6.7 फीसदी के मध्य रह सकती है। समीक्षा के अनुसार 2012-13 में आर्थिक दर के मात्र 5 फीसदी तक ही सीमित रहने की संभावना है। खास बात यह है कि इसमें पूरा एक चैप्टर नौकरियों व इम्प्लॉयमेंट सेक्टर पर आधारित है। सर्वे के अनुसार यदि हम भारी-भरकम युवा वर्ग की प्रतिभा का सही तरह से सदुपयोग कर सके तो भारत का भविष्य काफी उ”वल हो सकता है। यहां पर गौरतलब है कि वर्ष 2011-30 के मध्य भारतीय श्रमशक्ति में जुडने वाले आधे लोग 30-49 आयुवर्ग के होंगे। सर्वे में प्रोडक्टिव इम्प्लॉयमेंट की बात भी कही गई। जून 2011 से जून 2012 के मध्य देश में 6.94 लाख नई नौकरियों का सृजन हुआ जिसमें अकेले आईटी-बीपीओ सेक्टर में ही 4.44 लाख नई नौकरियां लोगों को मिलीं। नई नौकरियों के लिहाज से टेक्सटाइल सेक्टर का स्थान आईटी के बाद है।
युवा आबादी देश के लिए वरदान
भारत तेजी से युवाओं का देश बनता जा रहा है। इसकी वजह से देश की श्रमशक्ति में तेजी से इजाफा हो रहा है। जनगणना-2011 के अंतरिम आंकडों के अनुसार जहां 2001 में नौकरी योग्य आयुवर्ग (15-59 वर्ष) की कुल आबादी में हिस्सेदारी 58 फीसदी थी, वहीं 2021 में इसका अनुपात बढकर 64 फीसदी हो जाएगा। सन 2011 से 2016 के मध्य 6.35 करोड नए लोग नौकरी योग्य आयुवर्ग में दाखिल हो जाएंगे। इन आंकडों की खास बात यह है कि इसमें भी अधिकांश आबादी 20-35 वर्ष आयुवर्ग की होगी। इस तरह से भारत दुनिया का सबसे युवा देश बन जाएगा। सन 2020 में एक औसत भारतीय मात्र 29 वर्ष का ही होगा जबकि एक औसत चीनी 37 व एक औसत अमेरिकी 45 वर्ष का होगा।
रेलवे में नौकरियां ही नौकरियां
भारतीय रेलवे दुनिया का दूसरा सबसे बडा इम्प्लॉयर है। अपने देश में तो नौकरियों के लिहाज से यह सबसे बडा ऑर्गेनाइजेशन है। रेल बजट (2013-14) में अगले एक वर्ष के दौरान लगभग 1.52 लाख नौकरियां देने का प्रस्ताव रखा गया है। रेलवे में भर्ती की प्रक्रिया शुरू भी हो चुकी है। हाल ही में रेलवे ने लगभग 47,000 नौकरियों के लिए अप्लीकेशन आमंत्रित किए थे जिसपर लगभग 2.2 करोड लोगों ने नौकरी के लिए आवेदन किया था।
इंफ्रास्ट्रक्चर साबित होगा ग्रोथ इंजन
किसी भी देश के इंप्लॉयमेंट सेक्टर के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर ग्रोथ इंजन साबित होता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए वित्त मंत्री ने 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान कुल 1 खरब अमेरिकी डॉलर के निवेश का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसमें से 47 फीसदी प्राइवेट सेक्टर से जुटाने की बात कही गई है। प्राइवेट सेक्टर की इस क्षेत्र में भागीदारी से न केवल इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में निवेश बढेगा बल्कि इसकी वजह से इंप्लॉयमेंट के अवसर भी खासे पैदा होंगे। गांवों में इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए नाबार्ड द्वारा संचालित रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड को 20,000 करोड रु. कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर को बढावा देने के लिए गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान व उत्तर प्रदेश में 3000 किमी. सडकों का निर्माण किया जाएगा। बजट में दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के विस्तार की बात भी कही गई है। जापान की सहायता से गुजरात के धौलेरा व महाराष्ट्र के शेंद्रा बिडकिन सहित सात नए शहरों का निर्माण भी किया जाएगा। चेन्नई-मंगलूर और बंगलूर-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर का निर्माण करने का प्रस्ताव भी बजट में रखा गया है। सरकार द्वारा इस क्षेत्र में उठाए गए कदमों से आने वाले वक्त में यह जॉब्स के लिहाज से हॉट सेक्टर साबित होने जा रहा है।
स्किल डेवलपमेंट पर होगा जोर
स्किल्ड लेबर फोर्स किसी भी देश का असेट मानी जाती है। अंडर इंप्लॉयमेंट की समस्या काफी हद तक अनस्किल्ड लेबर फोर्स से ही जुडी हुई है। इसी समस्या से निपटने के लिए वित्त मंत्री ने इस वर्ष के बजट में युवाओं की स्किल्स को डेवलप करने के लिए 1 लाख करोड रु. की भारी-भरकम राशि आवंटित की है। स्किल ट्रेनिंग से न केवल इम्प्लॉयमेंट के अवसर बढेंगे बल्कि इससे उत्पादकता में भी वृद्धि होगी। इस तरह की योजना से प्रत्येक वर्ष लगभग 10 लाख युवाओं को ट्रेनिंग देने का लक्ष्य है। कुल मिलाकर 2017 तक पांच करोड लोगों को रोजगार के अनुसार ट्रेनिंग देकर स्किल्ड बनाने की योजना है। मान्यता प्राप्त इंस्टीट्यूट्स ट्रेनिंग करने वालों का एक टेस्ट लेंगे। जो इसमें क्वालीफाई करेंगे उन्हें एक सर्टीफिकेट के अतिरिक्त दस हजार रु. की धनराशि भी प्रदान की जाएगी।
एजुकेशन सेक्टर को दी गई प्रियॉरिटी
एजुकेशन सेक्टर को प्राथमिकता पर रखते हुए वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 17 फीसदी की बढोत्तरी करते हुए कुल 65,867 करोड रु. की राशि आवंटित की है। इसके अतिरिक्त काफी बडी संख्या में नई स्कॉलरशिप देने की घोषणा भी की गई है जिससे बडी संख्या में स्टूडेंट्स को लाभ मिलेगा। देश के नामी-गरामी एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स को और ऊंचाई पर ले जाने की योजना भी बजट में दर्शाई गई है। अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस और इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज को 100-100 करोड रु. के अनुदान का बजट में प्रावधान किया गया है। इसके अतिरिक्त मेडिकल, शिक्षा, ट्रेनिंग और रिसर्च के लिए 4727 करोड और एग्रीकल्चर रिसर्च को बढावा देने के लिए 3415 करोड रु. का प्रावधान किया गया है।
बैंकिंग व इंश्योरेंस होंगे हॉट
यदि आप बैं¨कग व इंश्योरेंस सेक्टर में जॉब करने के इच्छुक हैं तो आपके सामने संभावनाओं का पूरा संसार खुला हुआ है। बजट में एक महत्वाकांक्षी योजना के तहत हर घर को बैंक से जोडने और प्रत्येक व्यक्ति को इंश्योरेंस कवर के अंदर लाने की पहल की गई है। इस पहल के तहत हर बैंक शाखा में न केवल एक एटीएम खोला जाएगा बल्कि दस हजार से ज्यादा आबादी वाले सभी कस्बों में भारतीय बीमा निगम व साधारण बीमा निगम की एक-एक शाखा खोली जाएगी। बजट की इस घोषणा से आने वाले वक्त में बैंकिंग व बीमा क्षेत्र में लाखों नई जॉब अपॉर्चुनिटीज पैदा होंगी
अन्य क्षेत्रों में भी खुले हैं संभावनाओं के दरवाजे
आम बजट के प्रावधानों से न केवल इंफ्रास्ट्रक्चर, बैंकिंग व इंश्योरेंस जैसे सेक्टरों में नौकरी की बहार आने वाली है बल्कि एग्रीकल्चर, टेक्सटाइल, साइंस एंड टेक्नोलॉजी, ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टरों में भी काफी जॉब अपॉर्चुनिटीज पैदा होने की संभावना है। यद्यपि आईटी सेक्टर के लिए किसी विशेष रियायत की घोषणा नहीं की गई है फिर भी युवाओं के लिए यह सेक्टर पहले की तरह से ही हॉट बना रहेगा और इसमें सबसे ज्यादा नौकरियां पैदा होंगी। हाल के वर्षो में घटती बिक्री की वजह से आटोमोबाइल सेक्टर को काफी मुश्किलों का सामना करना पडा था। लेकिन जेएनएनयूआरएम के अंतर्गत 15,000 करोड रु. के आवंटन और 10,000 नई बसों की खरीद की संभावना से इंजीनियर ग्रेजुएट्स के लिए यहां भी संभावनाओं के द्वारा खुल गए हैं।
महिलाओं को दी गई खास तवज्जो
वित्त मंत्री ने महिलाओं के लिए एक एक्सक्लूसिव बैंक स्थापित करने की घोषणा की है। इस बैंक की स्थापना के लिए 10 अरब रु. का प्रावधान किया गया है और यह बैंक पूरी तरह से महिलाओं के द्वारा ही संचालित की जाएगी। यह बैंक न केवल महिलाओं के सेल्फ हेल्प ग्रुप्स को लोन देगा बल्कि उन्हें अपना स्वयं का बिजीनेस शुरू करने के लिए भी आर्थिक सहायता मुहैया करायेगा।
बजट शब्दावली
वित्त विधेयक: यह बजट का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। वित्त विधेयक में सरकार द्वारा लगाए जाने वाले सभी तरह के करों का उल्लेख किया जाता है।
सरप्लस बजट: ऐसा बजट जिसमें सरकार की आय उसके व्यय से अधिक होती है।
पूंजी बजट: पूंजी बजट के अंतर्गत पूंजी प्राप्ति और पूंजी भुगतान का विवरण होता है।
प्राथमिक घाटा: सकल राजकोषीय घाटे में से ब्याज के भुगतान को घटाने से प्राथमिक घाटे की जानकारी मिलती है।
बजट घाटा: सरकार के कर राजस्व से अधिक व्यय करने पर उसके बजट में आया घाटा बजट घाटा कहलाता है, जिसकी पूर्ति उधार द्वारा की जाती है।
शून्य बजट: 1985 में भारतीय बजट में सर्वप्रथम प्रयुक्त शून्य आधार बजट की अवधारणा या व्यवस्था कहती है कि गैर योजना बजट के कोष को पूर्व योजनाओं के प्रावधान से अलग करके देखा जाए और उस मद का पुनर्मूल्यांकन करके नए सिरे से उसके धन की व्यवस्था की जाए।
भारत का संचित कोष: सरकार की संपूर्ण राजस्व आय,ऋण प्राप्ति तथा उसके द्वारा दिए गए ऋण की अदायगी से प्राप्त आय को मिलाकर भारत का संचित कोष बनता है। सरकार के सारे खर्च इसी कोष से पूरे होते हैं।
राजकोषीय घाटा: सरकार का कुल ऋण भार, जिसके अंतर्गत बाजार ऋण, लघु बचतें, प्रॉविडेंट फंड, बाह्य ऋण तथा बजटीय घाटे को शामिल किया जाता है।
लेखा अनुदान: संसद द्वारा अनुमानित व्यय के संबंध में दी गई अग्रिम स्वीकृति को लेखा अनुदान कहते हैं जो बजट की प्रक्रिया पूरी किए बिना आगामी वित्त वर्ष के लिए संसद द्वारा स्वीकृति होती है।
प्रत्यक्ष कर: व्यक्ति या कंपनियों पर लगाया जाने वाला कर, जो उनकी आय या संपत्ति पर लगाया जाता है। जैसे आयकर, निगम कर आदि।
अप्रत्यक्ष कर: उपभोक्ता के व्यय पर लगाया जाने वाला कर या वह कर जिसका तात्कालिक भुगतान तो कोई एक व्यक्ति करता है, परंतु वह व्यक्ति दूसरे व्यक्ति पर हस्तांतरित कर देता है, जिससे उस दूसरे व्यक्ति पर उस कर का वास्तविक करापात होता है। जैसे बिक्रीकर, उत्पाद शुल्क आदि।
सकल घरेलू उत्पाद: एक निश्चित समयावधि के अंदर देश की भौगोलिक सीमाओं के अंदर वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन का कुल प्रवाह। इसमें घिसावट को भी शामिल किया जाता है। बाजार कीमतों पर सकल घरेलू उत्पाद की गणना समस्त वस्तुओं व सेवाओं के उत्पादन का मूल्यांकन करके उन्हें जोडकर प्राप्त की जाती है।
आयोजना व्यय: ऐसे व्यय जिनकी व्यवस्था केंद्रीय योजना में रहती है, आयोजना व्यय कहलाता है।
गैर योजना व्यय: इसमें सरकार के उन सभी खर्चो को शामिल किया जाता है, जो योजना के अंतर्गत नहीं आते हैं। इसका कुछ भाग रक्षा और आंतरिक सुरक्षा पर और कुछ भाग विदेशी संबंधों, मुद्रा आदि पर खर्च होता है।
केंद्रीय आम बजट: विशेष तथ्य
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 में केंद्रीय बजट के प्रावधान को शामिल किया गया है। देश की आगामी वित्त वर्ष की सभी अनुमानित प्राप्तियों और व्यय का पूर्वानुमान बजट में पेश किया जाता है।?सरकार द्वारा प्राप्त तमाम धनराशियों को भारत के संचित कोष में तथा होने वाले तमाम खर्चो को इस कोष से घटाया जाता है या नामे खाते लिखा जाता है। संविधान की धारा 114(3) में निर्धारित किया गया है कि इस समेकित कोष से कोई भी पैसा लोकसभा की स्वीकृति के बिना निकाला नहीं जा सकता है। इसे प्रत्येक वर्ष फरवरी के अंतिम कार्य-दिवस में भारत के वित्त मंत्री द्वारा संसद में पेश किया जाता है। भारत के वित्त वर्ष की शुरुआत यानि 1 अप्रैल से इसे लागू करने के पहले बजट को संसद के दोनों सदनों द्वारा पारित कराया जाना जरूरी है। स्वतंत्रता मिलने के बाद से अब तक मोरारजी देसाई और पी. चिदम्बरम ने 8-8 बार वित्तमंत्री के रूप में बजट प्रस्तुत किया है।
जेआरसी टीम
Youth productivity BUDGETED
आर्थिक समीक्षा (2012-13) के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था अब धीरे-धीरे यूरोपीय ऋण संकट की वजह से उत्पन्न आर्थिक मंदी के दौर से बाहर निकल रही है...
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