.. जहां गढे़ जाते हैं भविष्य

Feb 4, 2009, 03:58 IST

विश्व के टॉप यूनिवर्सिटीज में शुमार जेएनयू का हिस्सा बनने की हसरत हर स्टूडेंट की होती है। यह हसरत खासकर इसलिए भी होती है, क्योंकि यहां के लैंग्वेज कोर्स का स्टूडेंट्स में जबर्दस्त क्रेज है। जेएनयू में नए सत्र के लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। कैसे होगी इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में एंट्री, बता रहे हैं अमित निधि..

राजधानी दिल्ली..अरावली की पहाडी..हर तरफ हरियाली का नजारा और इन्हीं हरियाली के बीच एक ऐसा विश्वविद्यालय, जो न केवल भारत की शान है, बल्कि जहां गढे जाते हैं सुनहरे भविष्य के ताने-बाने भी। जी हां, हम बात कर रहे हैं, वर्ष 1969 में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के नाम से स्थापित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की। वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान स्थापित कर चुके इस विश्वविद्यालय में एडमिशन को लेकर न केवल भारतीय, बल्कि विदेशी छात्रों में भी बेहद क्रेज रहता है। उल्लेखनीय है कि करीब साढे पांच हजार स्टूडेंट्स और लगभग 550 फैकल्टी के स्ट्रेंथ वाले इस विश्वविद्यालय में रिसर्च ओरिएंटेड पोस्टग्रेजुएट कोर्स को अधिक प्रमुखता दी गई है। यहां कई तरह के कोर्स संचालित किए जाते हैं। खास बात यह है कि इन कोर्सो की फीस काफी कम है। लेकिन हम यहां आपको बताने जा रहे हैं जेएनयू के पॉपुलर लैंग्वेज कोर्स के बारे में, जिसमें एडमिशन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। एडमिशन की प्रक्रिया से रूबरू होने से पहले हम जानते हैं, जेएनयू में उपलब्ध लैंग्वेज कोर्स और संभावनाओं के बारे में..

लैंग्वेज कोर्स

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लैंग्वेज, लिटरेचर ऐंड कल्चर स्टडीज  के अंतर्गत प्रमुख लैंग्वेज कोर्स की पढाई के साथ-साथ रिसर्च की सुविधा भी मौजूद है। आइए, अब नजर डालते हैं, जेएनयू में उपलब्ध प्रमुख लैंग्वेज कोसरें पर..

बैचलर ऑफ आ‌र्ट्स कोर्स (आनर्स) :  पर्सियन, अरेबिक, चाइनीज, जेपनीज, कोरियन, फ्रेंच, जर्मनी, रशियन और स्पेनिश। 

मॉस्टर ऑफ आ‌र्ट्स कोर्स :  इंग्लिश, लिंग्विस्टिक, उर्दू, हिन्दी,पर्सियन, अरेबिक, चाइनीज, जेपनीज, कोरियन, फ्रेंच, जर्मनी, रशियन और स्पेनिश। 

पीएचडी/ एमफिल कोर्स :  इंग्लिश, लिंग्विस्टिक, उर्दू, हिन्दी, पर्सियन, अरेबिक, चाइनीज, जेपनीज, कोरियन, फ्रेंच, जर्मनी, रशियन और हिन्दी ट्रांसलेशन। इसके अलावा, इटेलियन, मंगोलियन, पश्तो, पुर्तगाल और उर्दू भाषा में पार्ट-टाइम लैंग्वेज कोर्स भी उपलब्ध हैं।

नए सत्र की शुरुआत

जेएनयू में वर्ष 09-10 सत्र के लिए आवेदन प्रक्रिया की शुरुआत हो चुकी है और विभिन्न कोर्स के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं। वर्ष 09-10 सत्र में एडमिशन के लिए प्रवेश परीक्षा 15 से 18 मई, 2009 के बीच होगी। यहां संचालित होने वाले कोर्सो में एडमिशन के लिए आवेदन की अंतिम तारीख है-16 मार्च, 2009।

कैसे मिलेगी एंट्री

जेएनयू में एंट्री के लिए आपको एंट्रेंस एग्जामिनेशंस के दौर से गुजरना होगा। हालांकि कुछ कोर्सो में एडमिशन मौखिक परीक्षा के आधार पर भी होता है। खासकर लैंग्वेज कोर्स में एडमिशन लेने के लिए संबंधित भाषा पर आपकी अच्छी पकड होनी चाहिए। यदि आप बैचलर(आ‌र्ट्स) कोर्स में एंट्री चाहते हैं, तो 10+2 परीक्षा में कम से कम 45 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण होना जरूरी है। वहीं यदि आप एमए कोर्स में प्रवेश के इच्छुक हैं, तो ग्रेजुएशन में संबंधित विषय में न्यूनतम 45 प्रतिशत अंक होने चाहिए।

लैंग्वेज में स्कोप

आज पूरी दुनिया ग्लोबल विलेज में तब्दील हो चुकी है। इसलिए लैंग्वेज की जानकारी न केवल करियर के दृष्टिकोण से, बल्कि कम्युनिकेशन के लिहाज से भी बेहद जरूरी है। उदाहरण के तौर पर, यदि आप बॉन्जॉर (bonjour) सुनिए या कॉमेंट अलैजव्यूस (comment allezvous) कैसे हैं आप जैसे शब्दों से परिचित नहीं हैं, तो पेरिस या मेड्रिड जैसे शहरों में आपको लोगों से कम्युनिकेट करने में मुश्किल हो सकती है। इंडस्ट्री अनुमान के मुताबिक, वर्ष 2010 तक ऑफशोर इंडस्ट्री में एक लाख 80 हजार फॉरेन लैंग्वेज एक्सपर्ट की जरूरत होगी। वैसे, यदि आप फॉरेन लैंग्वेज में एक्सपर्ट हैं, तो टूरिज्म, हॉस्पिटैलिटी, कॉल सेंटर, मिनिस्ट्री ऑफ एक्सटर्नल अफेयर्स आदि में नौकरियां मिल सकती हैं। आइए अब पडताल करते हैं किन लैंग्वेज एक्सपर्ट की है डिमांड इन दिनों :

जेपनीज :  भारत और जापान के बीच व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंध दिन ब दिन मजबूत हो रहे हैं। ऐसी स्थिति में जेपनीज भाषा के जानकारों की डिमांड लगातार बढती ही जा रही है। खासकर इंटरप्रिटेटर की मांग अधिक है, जो बिजनेस ग्रुप या ऑफिशियल डेलिगेट्स के साथ मिल कर काम करते हैं। वैसे, इनके लिए टूरिज्म, एयरलाइंस और हॉस्पिटैलिटी में तो बेहतर संभावनाएं हैं ही, साथ ही, यूनिवर्सिटीज और प्राइवेट इंस्टीटयूट में भी जेपनीज टीचर की अच्छी-खासी मांग है।

जर्मन :  इन दिनों कॉमर्शियल क्लास में जर्मन लैंग्वेज इंटरप्रिटेटर की अच्छी डिमांड है। साथ ही, बीपीओ इंडस्ट्री को भी जर्मन बोलने वाले प्रोफेशनल्स की दरकार है। टूरिज्म, एयर लाइंस और हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री में ऐसे लोगों की जरूरत है, जो जर्मनी भाषा के जानकार हों।

चाइनीज :  चाइनीज दुनिया की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण भाषा है। साथ ही, चीन ग्लोबल इकोनॉमी और पॉलिटिक्स में भी खास स्थान रखता है। हाल के वर्षो में भारत और चीन के बीच व्यापारिक संबंध भी मधुर हुए हैं। ऐसी स्थिति में चाइनीज भाषा के जानकारों के लिए असीम संभावनाएं देखी जा रही हैं।

स्पेनिश :  स्टूडेंट्स के बीच स्पेनिश लैंग्वेज का काफी क्रेज है। बीपीओ इंडस्ट्री में भी स्पेनिश जानने वालों की डिमांड बनी रहती है। इन भाषाओं के अलावा, कोरियन, फ्रेंच, रशियन आदि भाषाओं के जानकारों की भी मार्केट में अच्छी-खासी डिमांड है। इन भाषाओं के जानकारों को अच्छी सैलॅरी पैकेज भी मिलता है।

जेएनयू के अंतर्गत आने वाले स्कूल

स्कूल ऑफ आ‌र्ट्स ऐंड एस्थेटिक्स

स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी

स्कूल ऑफ कम्प्यूटर ऐंड सिस्टम्स साइंसेज

स्कूल ऑफ एन्वायरनमेंटल साइंसेज

स्कूल ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी

स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज

स्कूल ऑफ लैंग्वेज, लिटरेचर और कल्चर स्टडीज

स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज

स्कूल ऑफ फिजिकल साइंसेज

स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज

स्पेशल सेंटर्स 

सेंटर्स फॉर द स्टडी ऑफ लॉ ऐंड गवर्नेंस

सेंटर्स फॉर मॉलिकुलर मेडिसिन

सेंटर फॉर संस्कृत स्टडीज 

सेंटर फॉर इंटरनेशनल ट्रेड ऐंड डेवलॅपमेंट

संक्षिप्त परिचय

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय

स्थापना : वर्ष 1969

चांसलर : प्रो. यशपाल

वाइस चांसलर : बी.बी.भट्टाचार्या

लोकेशन : नई दिल्ली

एफिलिएटेड : यूजीसी

वेबसाइट : www.jnu.ac.in

पॉपुलर हैं पीएचडी कोर्स

जेएनयू के लैंग्वेज कोर्स की अपनी एक अलग पहचान है। यहां केवल देशी ही नहीं, बल्कि विदेशी स्टूडेंट्स भी पढाई के लिए आते हैं। यहां के लैंग्वेज कोर्स की क्या है वैल्यू? हमने बात की जेएनयू में स्कूल ऑफ लैंग्वेज, लिटरेचर ऐंड कल्चरल स्टडीज के डीन प्रो. शंकर बसु से। प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश..

वर्तमान में भारतीय छात्रों के लिए लैंग्वेज कोर्स करना कितना फायदेमंद है?

वैश्वीकरण के कारण देश में मल्टीनेशनल कंपनियां बडेे पैमाने पर आई है, जिनमें ऐसे प्रोफेशनल्स की डिमांड बढी है, जो विदेशी भाषाओं का जानकार हों। इसके अलावा, नए-नए देशों से हमारे व्यापारिक रिश्ते भी फॉरेन लैग्वेंज को बढावा दिया है। यही वजह है कि सामान्य स्टूडेंट्स भी विदेशी भाषाओं के कोर्स के प्रति आकर्षित हुए हैं।

जेएनयू का लैंग्वेज कोर्स कितना पॉपुलर है?

यहां लैंग्वेज की पढाई वर्षो से चल रही है। वहीं अधिकतर यूनिवर्सिटीज ने हाल में ही लैंग्वेज प्रोग्राम की शुरुआत की है। हमारे यहां छात्रों को भाषा की गहन शिक्षा के अलावा, रिसर्च की बेहतर सुविधाएं भी मुहैया कराई जाती है। जेएनयू से पास-आउट होने के बाद करियर विकल्पों की कमी नहीं है।

किस लैंग्वेज कोर्स की पॉपुलरिटी इन दिनों अधिक है?

फॉरेन लैंग्वेज में इन दिनों जेपनीज, कोरियन, चाइनीज आदि कोर्स स्टूडेंट्स के बीच काफी लोकप्रिय हैं, क्योंकि इन कोर्सो में करियर की संभावनाएं इन दिनों अधिक हैं, जबकि विदेश से आने वाले ज्यादातर छात्र अंग्रेजी और लिंग्विस्टिक कोर्स को तवज्जो देते हैं। वैसे, पिछले चार-पांच वर्षों में रशियन लैंग्वेज में भी अच्छी डिमांड देखी जा रही है।

किस लैंग्वेज कोर्स में स्टूडेंट्स पीएचडी करना अधिक पसंद करते हैं?

इन दिनों अधिकतर छात्र फॉरेन लैंग्वेज की अपेक्षा अंग्रेजी, हिन्दी के अलावा, अन्य भारतीय भाषाओं में पीएचडी कोर्स करते हैं। इसकी वजह यह है कि फॉरेन लैंग्वेज कोर्स में ज्यादातर छात्र एमए करने के बाद जॉब करने लग जाते हैं।

विदेशी छात्रों के बीच जेएनयू की लोकप्रियता की वजह क्या है?

विदेशी छात्र भारत में आकर हायर एजुकेशन इसलिए भी लेना चाहते हैं, क्योंकि यहां कोर्स फीस, लिविंग कॉस्ट आदि अन्य देशों के अपेक्षा काफी कम है। साथ ही, रिसर्च के लिए जेएनयू  देश-विदेश में विख्यात है।

फॉरेन लैंग्वेज में करियर बनाने के लिए किस स्तर तक की पढाई जरूरी है?

फॉरेन लैंग्वेज में करियर बनाने के लिए फुल-टाइम कोर्स करना बेहद जरूरी है। कम से कम एमए तक पढाई करना बेहद जरूरी है। इसके बाद ही स्टूडेंट्स लैंग्वेज में बेहतर करियर बना सकते हैं।

जेएनयू में स्कूल ऑफ लैंग्वेज, लिटरेचर ऐंड कल्चरल स्टडीज के डीन प्रो. शंकर बसु से अमित निधि की बातचीत पर आधारित

Jagran Josh
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Education Desk

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