जम्मू एवं कश्मीर लोक सेवा आयोग (जेकेपीएससी) द्वारा सहायक प्रोफेसरों के 1651 पदों के लिए अधिसूचित रिक्तियों को जम्मू एवं कश्मीर हाइकोर्ट ने जारी रखने का निर्णय लिया है.
इस आशय की जानकारी नेशनल कांफ्रेस के विधायक पीर अफाक अहमद के विधानसभा में पूछे गए एक प्रश्न के जबाव में दी गई.
विदित हो कि सहायक प्रोफेसरों के 1651 पदों नेट/पीएचडी साथ पात्रता मानदंडों में से एक के रूप में लिये जाने की बात विज्ञापन में कही गई थी.लेकिन कुछ समय पहले तक एमफिल को भी पात्रता मानदंडों में रखा जाता था.
लेकिन एमफिल को 2010 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा जारी किए गए नए दिशा निर्देशों के आधार पर मापदंड सूची से हटा दिया गया था.
नए नियमों के अनुसार एमफिल को किसी भी विभाग में सहायक प्रोफेसरों के पदों के लिए पात्रता मानदंड के रुप में चुना नही गया.
नए नियमों द्वारा पीड़ित एमफिल डिग्री पास उम्मीदवारों ने जम्मू और श्रीनगर के उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और कार्यकारी आदेश के जरिए संशोधन नियम को चुनौती दी थी .
कई सुनवाईयों के बाद उच्च न्यायालय के कार्यकारी आदेश के साथ ही 23-05-2013 को 2013 के अधिसूचना संख्या 09-पीएससी (डॉ पी) में पेश नोट को निरस्त कर दिया.
आदेश 2014/11/06 के खिलाफ जम्मू में उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष दीर्घावधि औसत दायर 1539/2014 कमल किशोर वर्मा और दूसरों के राज्य और दूसरों वी.एस. उच्च न्यायालय के आदेश अभी भी प्रतीक्षा कर रहे हैं.
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