डुएल कोर्सेज का महत्व

Feb 18, 2009, 03:47 IST

आजकल उन्हीं लोगों को नौकरी में वरीयता दी जा रही है, जो मल्टीटास्किंग वर्क में समर्थ हों। इस तरह के वर्क के कारण डुएल कोर्सो का प्रचलन दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है। क्या है डुएल कोर्स और इसके लिए किस तरह की सावधानी है जरूरी..

शुभम बचपन से ही पढने में तेज था। घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने की वजह से उसने इंटरमीडिएट करने के बाद कम्प्यूटर साइंस में कम्प्यूटर कोर्स किया और वर्तमान में नौकरी भी कर रहा है। अब उसकी स्थिति काफी अच्छी है और वह बेहतर करने के लिए डिस्टेंस लर्निग के माध्यम से ग्रेजुएशन भी कर रहा है। इस तरह के कोर्स करने में उन्हें काफी समय लग जाएगा। यदि आप भी मेहनती हैं और कम समय में ही दो डिग्री में पारंगत होना चाहते हैं, तो आप डबल डिग्री कोर्स करके अपनी मनचाही मंजिल आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।

क्या है डुएल कोर्स

इसके तहत एक ही समयावधि में छात्र एक ही विश्वविद्यालय से दो कोर्स की डिग्री महज एक वर्ष या अधिक समय व्यतीत कर प्राप्त कर सकते हैं। इस तरह के कोर्स में अमूमन एक परंपरागत कोर्स पर आधारित और दूसरी प्रोफेशनल या वोकेशनल डिग्री से जुडी कोर्स होती है। कुछ चुनिंदा और पॉपुलर कोर्स बीई प्लस एमबीए, बीटेक प्लस एमटेक, कम्प्यूटर साइंस प्लस एमटेक, बीबीए प्लस एलएलबी, बीकॉम प्लस एलएलबी,  एमबीए प्लस सीएए आदि कोर्स हैं। यदि आप इस तरह के कोर्स करना चाहते हैं, तो निम्नलिखित बातों का अवश्य ध्यान रखें।

अपनी क्षमता को जानें

किसी भी कोर्स को पूरा करने से पहले अपनी क्षमता का मूल्यांकन भी खुद ही करें। ऐसा देखा गया है कि अभ्यर्थी कोर्स का चयन बिना अपनी क्षमता को पहचाने ही कर लेते हैं और बाद में उसे पूरा न कर पाने की वजह से आर्थिक और मानसिक हानि उठाते हैं। एक्सप‌र्ट्स के अनुसार, किसी भी कोर्स का चयन आप अपनी मानसिक और आर्थिक क्षमता के मुताबिक ही करें। इसके साथ ही यह कोशिश भी करें कि कोर्स आपकी रुचि और एकेडमिक कोर्सेज से मेल खाता हो।

परखें संस्थान को

इस तरह के कोर्स बहुत सारे फर्जी संस्थान भी चलाते हैं, इसलिए आप इनके झांसे में कभी भी न आएं। बेहतर यही होगा कि सबसे पहले संस्थान की असलियत का पता कर लें कि यह मान्यता प्राप्त है कि नहीं! यदि किसी विश्वविद्यालय या संस्थान से एफिलेटेड हो, तो उस संस्थान की वेबसाइट से इसकी जांच कर सकते हैं। यदि उस संस्थान से सीनियर स्टूडेंट आपके आस-पास मिल जाए, तो वे आपको इसकी असलियत के बारे में बेहतर ढंग से बता सकते हैं।

सोच रखें व्यावहारिक

डुएल कोर्स का चयन करने से पहले यह सोचें कि यह कोर्स आपको आगे बढाने में कितने सहायक होंगे! आप जिस कोर्स को करने जा रहे हैं, उसकी बाजार में क्या डिमांड है और भविष्य में आगे बढने के लिए कितने स्कोप हैं! यदि इस तरह की सोच के साथ कोर्स का चयन करते हैं, तो इसका दोहरा लाभ भी मिलेगा।

कोर्स कॉम्बिनेशन का रखें ध्यान

इस कोर्स के चयन में कॉम्बिनेशन का अहम रोल होता है। इसके लिए सबसे बेहतर विकल्प यही है कि आप अपनी रुचि, क्षमता और बजट के अनुरूप कुछ विषयों में पढाई करने का निर्णय लें और उस विषय के साथ किस तरह के वोकेशनल या प्रोफेशनल कोर्स हो सकते हैं, उसका एक लिस्ट भी बनाएं। उस लिस्ट में से जो आपके अनुरूप सटीक बैठता है, उसका चयन करें। दरअसल, ऐसा करने का फायदा यह होगा कि आप बेहतर कोर्स का चयन आसानी से कर सकेंगे।

विजय कुमार झा

Jagran Josh
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Education Desk

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