भारत में शिक्षा का महत्व आ िदकाल से रहा है। दरअसल, इसकेबिना विकसित समाज की कल्पना की ही नहीं जा सकती है। आज इस प्रोफेशन में अंतर सिर्फ इतना आया है कि प्राचीन शिक्षा जहां आश्रमों या जंगलों में होती थी, वहीं आधुनिक शिक्षा आईटी के सहारे अब घर बैठे भी संभव होने लगी है। यही कारण है कि विश्व के प्राय: सभी देशों की सरकारें शिक्षा के विकास पर खूब पैसे खर्च करती हैं। इस पर विशेषज्ञों का तर्क यह है कि वर्तमान में शिक्षा से संबंधित कंपनियां ही मंदी को मात दे सकती हैं। हालांकि इस सेक्टर की महत्ता को समझते हुए सरकार भी अब भारत को एजुकेशन हब बनाने का सपना देख रही है। इसी के तहत आने वाले वर्षो में नए आईआईटी, आईआईएम सरीखे इंस्टीटयूट्स अस्तित्व में होंगे। वैसे, स्कूल-कॉलेज, यूनिवर्सिटीज, स्किल डेवलॅपमेंट सेंटर्स आदि की संख्या भी बढाए जाने की उम्मीद है। दरअसल, जिस रफ्तार से देश के एजुकेशन सिस्टम की काया पलटने की तैयारी हो रही है, उससे इस सेक्टर में बडे पैमाने पर लोगों को नौकरियां मिल सकती हैं। यदि आपका भी सपना शिक्षक बनकर ज्ञान बांटने का है, तो यह पेशा आपके लिए बेहतर है।
कोर्स के प्रकार
टीचर बनने के लिए किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से टीचर्स ट्रेनिंग अनिवार्य शर्त है। आमतौर पर टीचर्स ट्रेनिंग चार प्रकार के होते हैं- नर्सरी टीचर्स ट्रेनिंग, टीचर्स ट्रेनिंग सर्टिफिकेट यानी टीटीसी, बीएड और नेट के माध्यम से भी आप टीचर बन सकते हैं।
क्या हो योग्यता
नर्सरी और टीटीसी कोर्स में प्रवेश के लिए किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से बारहवीं उत्तीर्ण होना जरूरी है। बीएड के लिए ग्रेजुएशन तथा नेट या डॉक्टरल डिग्री के लिए किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय या संस्थान से पीजी अनिवार्य शर्त है।
प्रवेश-प्रक्रिया
सर्वाधिक पॉपुलर कोर्साे में से एक कोर्स है बीएड, जिसमें ग्रेजुएशन में प्राप्त अंकों के आधार पर या प्रवेश परीक्षा के आधार पर एडमिशन मिलते हैं। वैसे, शेष कोर्सो में भी इसी तरह की प्रवेश-प्रक्रिया अपनाई जाती है। आमतौर पर बीएड प्रवेश परीक्षा में टीचिंग एप्टिटयूड, जनरल अवेयरनेस, नॉलेज एप्टिटयूट तथा प्रॉब्लम बेस्ड ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न ही पूछे जाते हैं। कहीं-कहीं ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्नों के साथ-साथ डिस्क्रिप्टिव टाइप प्रश्न भी पूछे जाते हैं। जो शिक्षक सेवारत हैं और टीचिंग से संबंधित कोर्स करना चाहते हैं, उनके लिए डिस्टेंस लर्निग से कोर्स करना एक बेहतर विकल्प माना जाता है।
क्या हैं सिफारिशें
जहां तक भारत में एजुकेशन सेक्टर के विकास की बात है, तो अभी हाल ही में यूजीसी ने ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में 735 नए विश्वविद्यालय खोलने का प्रस्ताव सरकार के समक्ष रखा है। फिलहाल देश में 388 यूनिवर्सिटीज हैं। इतनी बडी संख्या में यूनिवर्सिटीज के खुलने से लगभग तीन लाख शिक्षकों के नए पद सृजित होने की संभावना है। वैसे, नॉलेज कमीशन ने भी सलाह दी है कि यदि देश को नॉलेज सोसायटी में बदलना है, तो 1500 यूनिवर्सिटीज की जरूरत होगी। हाल ही में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए)ने 6000 नए मॉडल स्कूल खोलने का फैसला भी लिया है। पहले फेज में 2500 मॉडल स्कूल खोले जाएंगे। इसके अतिरिक्त कई महत्वाकांक्षी योजनाएं भी बनाई गई हैं।
क्या हैं संभावनाएं
हाल ही में कतर बेस्ड अल्टानमिया ग्रुप ने पुणे की एक वोकेशनल ट्रेनिंग संस्था के साथ डील की है। कई और कंपनियां भी इस क्षेत्र में कदम रखना चाहती हैं। इनमें यूएस बेस्ड ल्यू स्टर्लिग पार्टनर्स, कतर बेस्ड एजुकेशनल होल्डिंग ग्रुप आदि हैं। वहीं माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनी की भी एजुकेशन सेक्टर में बडे पैमाने पर निवेश की योजना है। इसके अलावा, कई और इंस्टीटयूट्स भी मेगा एक्सपैंशन प्लान पर विचार कर रही हैं। जानकार कहते हैं कि इससे एजुकेशन सेक्टर में बडे पैमाने पर ट्रेंड प्रोफेशनल्स की जरूरत और बढ जाएगी। भारत सरकार द्वारा 16 सेंट्रल यूनिवर्सिटी, 370 कॉलेज, आठ इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी), सात इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ मैनेजमेंट (आईआईएम), 10 एनआईटी, 20 इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, पांच इंडियन इंस्टीटयूट ऑफ साइंस एजुकेशन ऐंड रिसर्च (आईआईएसईआर) और 50 ट्रेनिंग व रिसर्च सेंटर खोलने के लिए 306.82 बिलियन रुपये खर्च करने की योजना है।
सैलॅरी में हुई है बढोत्तरी
इस प्रोफेशन को अपनाने के बाद पैसे की कमी नहीं है। एक सरकारी टीचर की न्यूनतम सैलॅरी बारह हजार से कम नहीं होती है। लेक्चरर और प्रोफेसर्स की सैलॅरी तो चालीस हजार रुपये से ऊपर तक होती है। हालांकि सैलॅरी इस बात पर भी डिपेंड करती है कि आप किस वर्ग के स्टूडेंट को पढाते हैं! कहने का आशय यही है कि यदि आप हायर रैंक के स्टूडेंट्स को पढाते हैं, तो आपकी सैलॅरी उसी अनुपात में मिलेगी। गौरतलब है कि छठे वेतन आयोग की सिफारिश लागू होने के बाद इनके वेतन में काफी इजाफा हुआ है।
जॉब प्रॉस्पेक्ट्स
यदि जॉब प्रॉस्पेक्ट्स की बात करें, तो इस समय यह सेक्टर सबसे हॉट बना हुआ है। सरकारी और निजी क्षेत्रों में योग्य टीचरों की हमेशा डिमांड बनी रहती है। विदेश में भी भारतीय साइंस टीचर डिमांड में हैं। यदि आप इससे संबंधित कोर्स कर लेते हैं, तो निम्नलिखित क्षेत्रों में जॉब तलाश सकते हैं :
प्ले स्कूल
नर्सरी स्कूल
प्राइमरी या एलिमेंट्री स्कूल
सेकेंडरी स्कूल
कॉलेज व यूनिवर्सिटीज
एजुकेशनल रिसर्च इंस्टीटयूट
स्पेशल स्कूल
सेल्फ एंप्लॉयमेंट के अंतर्गत अपना इंस्टीटयूट या टयूटोरियल क्लासेज भी खोल सकते हैं।
संस्थान
दिल्ली विश्वविद्यालय, डिपार्टमेंट ऑफ एजुकेशन, दिल्ली
जामिया मिलिया इस्लामिया, जामिया नगर, दिल्ली
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी, वाराणसी
इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी
सभी राज्यों के मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय बीएड से संबंधित प्रमुख कॉलेजों के बारे में आप वेबसाइट www. india edu.com पर विजिट करके जान सकते हैं।
बेहतर स्कोप है टीचिंग में
भारतीय संस्कृति में शिक्षकों को हमेशा आदर की दृष्टि से देखा जाता है। लेकिन इस प्रोफेशन की क्या है खासियत, जानते हैं डीयू शिक्षक संघ के प्रेसिडेंट आदित्य नारायण मिश्रा से..
मैनेजमेंट क्रेज के इस युग में टीचिंग प्रोफेशन को किस रूप में देखते हैं?
यह सच है कि उदारीकरण के बाद नौकरी के नए-नए क्षेत्र आने की वजह से पिछले कुछ वर्षो से इस प्रोफेशन में योग्य युवा नहीं आ रहे थे। लेकिन अब स्थिति बिल्कुल बदल चुकी है। क्योंकि अब इस प्रोफेशन में न केवल पैसा है, बल्कि भरपूर सम्मान भी है। हालांकि एक सच यह भी है कि इन दिनों मंदी के कारण युवाओं को भी मनचाहे नौकरी नहीं मिल पा रही है। लेकिन यदि इसके विपरीत एजुकेशन सेक्टर को देखें, तो अभी भी काफी संख्या में ट्रेंड टीचर्स की कमी है।
किस विषय के भारतीय शिक्षक का विदेश में डिमांड है?
हर विषयों के शिक्षकों की डिमांड विदेश में है, लेकिन इकोनॉमिक्स, साइंस और कम्प्यूटर से संबंधित विषयों के टीचरों की काफी डिमांड हैं।
अन्य प्रोफेशनल कोर्सो से टीचिंग किस तरह भिन्न है?
हम सभी यह जानते हैं कि टीचर्स पर युवाओं और बच्चों को बेहतर शिक्षा देने की जिम्मेदारी होती है। क्योंकि उन्हीं के शिक्षा की बदौलत सभ्य और शिक्षित समाज का निर्माण होता है। इस कारण इस सेक्टर से जुडे लोगों की एक अहम जिम्मेदारी समाज के प्रति होती है, जो कि इसे अन्य प्रोफेशन से अलग करता है।
इस प्रोफेशन को अपनाने वाले युवाओं में किस तरह के आवश्यक गुण होने चाहिए?
इस प्रोफेशन को अपनाने वाले युवाओं में सेवाभाव के गुण अवश्य होने चाहिए। केवल यही नहीं, इसके साथ ही हमेशा अपने क्षेत्र से संबंधित विषयों को पढते रहना चाहिए। यदि संबंधित विषयों में कुछ नई जानकारी आती है, तो उसे अपने स्टूडेंट्स को तुरंत बताना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से शिक्षक और स्टूडेंट्स दोनों के ज्ञान में बढोत्तरी होती है, जो कि सभ्य, शिक्षित और विकसित समाज के लिए बेहद जरूरी है।
डीयू शिक्षक संघ के प्रेसिडेंट आदित्य नारायण मिश्रा से विजय कुमार झा की बातचीत पर आधारित
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