शिक्षक, शिक्षा और कॅरियर

Sep 7, 2011, 14:26 IST

शिक्षक वह नहीं जो छात्र के दिमाग में तथ्यों को जबरन ठूंसे, बल्कि वास्तविक शिक्षक तो वह है जो उसे आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करे

शिक्षक वह नहीं जो छात्र के दिमाग में तथ्यों को जबरन ठूंसे, बल्कि वास्तविक शिक्षक तो वह है जो उसे आने वाले कल की चुनौतियों के लिए तैयार करे।

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन

आज शिक्षा जीवन की अनिवार्य शर्त बन गई है। इसके बिना विकसित मानव की कल्पना नहीं की जा सकती है। जीवन की आधारभूत जरूरतों रोटी-कपडा के बाद मानव को मानव कहलाने के लिए जिस चीज की जरूरत शायद सबसे ज्यादा होती है वह है-शिक्षा। यह शिक्षा ही है जिसकी मदद से हम किताबी आदर्शो का तारतम्य जीवन की सच्चाईयोंसे स्थापित कर पाते हैं, विचारों को एक रचनात्मक केंद्र देते हैं, सही गलत में भेद कर पाते हैं और सबसे अहम राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में अपना योगदान दे पाते हैं। खुद सरकार भी शिक्षा को देश के विकास की प्रमुख शर्त व राष्ट्रीय चरित्र की गारंटी मानती है। यही कारण है कि देश में हर स्तर पर शिक्षा के प्रचार-प्रसार के लिए हर मुमकिन कदम उठाए जा रहे हैं। लेकिन ये कोशिशें उस शिक्षक के बगैर पूरी नहीं हो सकती है, जो इस पूरी प्रक्रिया की रीढ है। शिक्षक अक्षरों व मात्राओं का जोड सिखाकर ऐसे इंसान की रचना करता है जो देश की किस्मत को नई दिशा देते हैं। यही कारण है कि 5 सिंतबर को भारत में शिक्षक दिवस हर वर्ष मनाया जाता है।

बदलते दौर, बदलती शिक्षा

आज शिक्षकों का रोल कईलिहाज से पहले से अलग है। बदलते सामाजिक, आर्थिक समीकरण, व्यापक होती सोच के बीचअध्यापकों की भूमिका भी व्यापक हुई है। यहां केवल कोर्स के अनुरूप पढाना भर ही उसकी जिम्मेदारी नही रह गई है, बल्कि इस कॅरियर सेंट्रिक दौर में परीक्षा के तनावग्रस्त माहौल से लेकर छात्रों की कांउसिलिंग, पैरेंट्स व छात्र के बीच बेहतर कोऑर्डिनेशन, फ्यूचर प्रॉस्पेक्ट्स तक से परिचित कराना इनके ही काम में शुमार है। ऐसे में यदि वे अपने काम को बखूबी अंजाम देने में सफल रहते हैं तो देश के भविष्य को एक खूबसूरत आकार मिलना तय है। यही कारण है कि प्रत्येक देश की सरकार आधुनिक तरीके से शिक्षा देने के लिए प्रयत्‍‌नशील रहती है और शिक्षकों की महत्ता बनी रहती है।

गुरु-शिष्य की भारतीय परंपरा

किसी भी देश का आने वाला कल इसी बात पर निर्भर करता हैकि उस कल को दिशा देने वाले कौन हैं।

विनोबा भावे, भूदान आंदोलन के प्रणेता


यदि भारतीय पृष्ठभूमि में गुरु शिष्य परंपरा की बात करें तो कई महान उदाहरण हमारे सामने हैं। जरा सोचिए कि क्या शिवाजी, वास्तव में छत्रपति शिवाजी होते, यदि उन्हें समर्थ गुरु रामदास जैसा समर्थ गुरु न मिलता? क्या उन रामकृष्ण परमहंस को कमतर आंका जा सकता है, जिन्होंने भारतीय संस्कृति का वैश्विक महानाद करने वाले विवेकानंद को दिशा दी। क्या अर्जुन जैसा महान धनुर्धर गुरु द्रोणाचार्य के आशीर्वाद के बगैर यह मुकाम पाता? या फिर स्वामी हरिदास के सानिध्य के बगैर तानसेन की तान में मिठास संभव थी? जी नहीं। यह इनके गुरुओं का ही प्रताप था, जिसकी बदौलत इन लोगों ने असाधारण ख्याति अर्जित की। कबीर, सूरदास, कर्ण जैसे न जाने कितने नामों से आज भी इतिहास के पन्ने रौशन हो रहे हैं। ये सभी महान गुरुओं की ही देन हैं।

कॅरियर के मुकाम पर शिक्षक

माना जाता हैकि शिक्षा एक अनवरत प्रक्रिया है, जो जन्म के ठीक बाद से ही शुरू हो जाती है। जीवन के अलग-अलग चरणों पर बारीक अनुभवों व उद्यीपनों के सहारे शुरू हाने वाली शिक्षा कब महामानव का निर्माण कर देती हैं, कम ही लोग अंदाज लगा पाते हैं। उम्र के इन्हीं तीखे मोडों में बदलावों के धुंधलके से छात्र को राह दिखाना शिक्षक का काम है।

0-5 वर्ष

ये जीवन का शुरूआती दौर होता है, जहां शिशु के लिए उसका परिवार उसकी पहली पाठशाला व मां उसकी पहली शिक्षक होती है। यहां उसके आसपास के वातावरण का प्रभाव उसके दिमाग पर स्थाई पैठ बनाते हैं। इस स्तर पर शिक्षक को बच्चे के प्रति स्नेह व धर्यसे भरा होना जरूरी है। इस काम में नर्सरी ट्रेनिंग टीचर्स का रोल खास होता है, जो बाल मनोविज्ञान, बाल शिक्षाशास्त्र की मदद से बच्चे क ी पढाईमें रुचि जगाता है और खेल खेल में पढाई भी कराता है। नर्सरी ट्रेनिंग में बाल मनोविज्ञान को समझने की कला सिखाई जाती है। आजकल इस तरह के ट्रेनिंग प्राप्त शिक्षकों की काफी मांग है।

5-10वर्ष

यह अवधि व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह वह दौर होता है,जब बच्चे को अपनी पढाई के अनुरूप खुद के दायित्वों का बोध होने लगते हैं। अब यह शिक्षक पर ही है कि वह कैसे अपने शिष्य को यहां से गढता है। बीटीसी या प्राइमरी टीचर्स ट्रेनिंग वालों के लिए यहां जॉब के बेहतरीन अवसर होते हैं, जो अपने लेशन प्लान व ट्रेनिंग में मिले अनुभवों से छात्रों की पढाई आसान करता है।
 
10-15वर्ष

छात्र के जीवन में यह एक मिला जुला पीरियड होता है। जहां वह धीरे-धीरे ही सही, अपनी पढाई के प्रति गंभीरता लाता है। माना जाता है कि उम्र के इस ट्रांजीसन फेज पर शिक्षक की एक गलती छात्र के कॅरियर के लिए कोढ बन सकती है। इन कक्षाओं में बीएड डिग्री धारकों के लिए अच्छे अवसर होते हैं। विषय की समझ, कॉन्सेप्ट क्लियर करने का ढंग, शली यहां अध्यापक के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।

15 से 20 वर्ष

यह वह दौर है, जब वह कॅरियर की दहलीज पर अपना पहला पग रखता है। एक संवेदनशील शिक्षक ही उनके इस कदम को कामयाब बना सकता है। इस समय शिक्षक गाइड की तरह कार्य करता है और उन्हें क्षमता के अनुरूप विकसित करने में मदद करता है। इस समय शिक्षक का रोल काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। उसे एक साथ दोस्त और गुरु दोनों का रोल निभाना पडता है। विषय की गहरी नॉलेज के साथ-साथ अध्यापकीय अनुभव शिक्षक की सबसे बडी जरूरत होती है। बीएड के साथ ग्रेजुएट स्तर पर नेट, एमफिल, पीएचडी इस स्तर पर टीचिंग की न्यूनतम आवश्यकताएं हैं।

20 के बाद

देखा जाता हैकि अमूमन छात्र 20 तक आते-आते अपने कॅरियर व भविष्य के बारे में काफी कुछ तय कर लेते हैं। आवश्यकता होती है तो बस निर्णयों को कामयाबी की शक्ल देने की, जिसमें कोचिंग संस्थान, स्कूल के अध्यापक सभी प्रमुख रोल निभाते हैं। इस समय ऐसे शिक्षकों की जरूरत पडती है, जो इंडस्ट्री और मांगों के अनुरूप स्टूडेंट्स को शिक्षा दे सके और बेहतर प्रोफेशनल्स तैयार कर सके। अध्यापन संबधी अनुभव के साथ पल-पल बदलती इंडस्ट्री की समझ वाले टीचर्स की काफी मांग होती है।

प्रवेश के पॉपुलर रास्ते

शिक्षक बनने के लिए शिक्षित होना काफी होता है, लेकिन बेहतर और अच्छी शिक्षा के उद्देश्य से सरकारी और निजी स्तर पर ट्रेनिंग दी जाती है, ताकि टीचर्स अपने अनुभव से स्टूडेंट्स को सही शिक्षा देने में कामयाब हो सके। प्रमुख परीक्षाएं इस प्रकार हैं

एनटीटी - माना जाता है कि शिक्षा के बुनियादी स्तर पर अध्यापकों का बच्चों के प्रति संवेदनशील होना आवश्यक होता है। यही कारण है कि नर्सरी स्तर पर योग्य अध्यापकों की मांग बहुत बढ चुकी है। एनटीटी यानि नर्सरी टीचर्स ट्रेनिंग जैसे प्रोग्राम पूरा कर आप इस क्षेत्र में इंट्री ले सकते हैं। इस कोर्स में प्रवेश की न्यूनतम योग्यता बारहवीं पास होती है।

बीटीसी - प्राथमिक शिक्षा के प्रति सरकार की बढी गंभीरता के चलते आज बीटीसी का स्कोप बहुत बढ चुका है। बीटीसी क्वालीफाइड युवाओं के पास प्राइमरी कक्षाओं में पढाने का मौका होता है। यह दो वर्षीय पाठ्यक्रम होता है, जहां न्यूनतम योग्यता स्नातक मांगी जाती है।

बीएड -शिक्षा क्षेत्र में आज बीएड एक प्रमुख व सबसे पंसदीदा डिग्री मानी जाती है, जिसे पूरा कर आप माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं में पढाने योग्य हो जाते हैं। बदलते सरकारी प्रावधानों के बीच आज प्राइमरी से लेकर उच्चतर माध्यमिक कक्षाओं में बीएड डिग्री धारकों की मांग सर्वाधिक हैं। किसी भी स्ट्रीम में स्नातक छात्र, बीएड परीक्षा दे सकते हैं।

टीईटी - टीईटी यानि टीचर इलेजिबिलटी टेस्ट। टीचिंग लाइन में इंट्री का यह सबसे नवीनतम रास्ता है। अब टीचर्स ट्रेनिंग के बाद टीईटी सभी के लिए अनिवार्य हो गया है, जहां सरकार ने इसे एक मानक के तौर पर इस्तेमाल करना शुारू किया है। ऐसे में यदि आपको निचली, माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक अध्यापक के तौर पर यहां प्रवेश लेना है तो टीईटी क्वालीफाई करना ही होगा।

यूजीसी, नेट ,एमफिल - स्नातक व उच्च स्नातक कक्षाओं में अध्यापन के लिए यूजीसी नेट, एमफिल या फिर पीएचडी में से कोई एक योग्यता पूरी करनी होती है, जिन्हें पूरा कर आप डिग्री कॉलेज में बतौर रीडर, लेक्चरर, प्रोफेसर बन सकते हैं। इस परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए किसी भी विषय में पीजी जरूरी है।

एक संभावनाओं भरा कॅरियर

आज देश का शिक्षा क्षेत्र योग्य अध्यापकों की कमी से जूझ रहा है। ज्ञान आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार यदि देश को नॉलेज सोसायटी में बदलना है तो आने वाले सालों में देश में करीब 1500 नई यूनिवर्सिटीज खोलनी होंगी। तो वहीं आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति पहले ही देश में 6000 नए मॉडल स्कूल खोलने को रजामंदी दे चुकी है। प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग हो या छोटी-बडी कक्षाओं की कोचिंग्स, प्राइवेट ट्यूशन हों या फिर ऑनलाइन ट्यूशन सब इसी में आते हैं। हालिया समय में इसके तेज विस्तार के चलते देश के कई शहर कोचिंग हब के तौर पर जाने जा रहे हैं।

आधुनिकीकरण के दौर में शिक्षक

भारतीय ज्ञान आयोग के चैयरमैन सैम पित्रोदा के अनुसार इस क्षेत्र मे भविष्य में वे ही लोग कामयाब होंगे, जो तकनीकों के जरिए खुद को व्यक्त करने की कला में माहिर हैं। आज विज्ञान की तरक्की ने हर क्षेत्र को बदला है। शिक्षा इसमें कोई अपवाद नहीं है। इन दिनों डिस्टेंस लर्निंग, ऑनलाइन एजुकेशन, मॉडर्न एजुकेशन गैजेट्स, एडसेट्स, वर्चुअल क्लासेज जैसी टेक्नोलॉजी ने अध्यापक के वर्क प्रोफाइल को रीडिफाइन किया है। बताया तो यहां तक जा रहा हैकि परिवर्तनों की गति यही रही तो आने वाले सालों में इस क्षेत्र का चेहरा ही बदल जाएगा। ऐसे में इस कॅरियर में प्रवेश लेने जा रहे युवाओं के लिए जरूरी योग्यताओं के साथ टेक्नोसेवी होना भी अहम हो चला है।

शिक्षा में दार्शनिक प्रतिमानों के प्रतीक: सर्वपल्ली राधाकृष्णन

देश के पहले उपराष्ट्रपति व प्रसिद्ध शिक्षाविद डॉ. राधाकृष्णन का जन्म दिवस (5 सितंबर) देश में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। 1909 में मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज में असिस्टेंट लेक्चरर के तौर पर अपने कॅरियर की शुारूआत करने वाले डॉ. राधाकृष्णन ने देश व प्रदेश के कई प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में अध्यापन कार्यकिया। इस बीच उनकी कई किताबें व शोध भी प्रकाशित हुए, जिसमें भारतीय दर्शन पर लिखी उनकी किताब इंडियन फिलोसफी जिसे इस विषय पर मास्टर पीस का दर्जाहासिल है, सर्वप्रमुख है। शंकराचार्य, माधवाचार्य, रामानुज आदि के दर्शनों पर उनकी लिखी टीकाएं आज भी अध्ययन का विषय हैं। एक शिक्षाविद, दार्शनिक व प्रशासक के रूप में उनकी क्षमताओं को सम्मान देते हुए सरकार ने उन्हें 1954 में भारत रत्न से नवाजा।

प्रमुख देशों के शिक्षक दिवस

जिस प्रकार भारत में अध्यापक दिवस 5 सितंबर को मनाया जाता हैउसी प्रकार दुनिया के कई देशों में अलग अलग तारीखों में टीचर्सडे मनाया है। यहां दुनिया के कुछ प्रमुख देशों के टीचर्सडे दिए जा रहे है-

व‌र्ल्ड टीचर्स डे - 5 अक्टूबर

ब्राजील - 15 अक्टूबर

चीन - 10 सितंबर

मलेशिया - 16 मई

न्यूजीलैंड - 2 अक्टूबर

श्रीलंका - 6 अक्टूबर

आस्ट्रेलिया - अक्टूबर काआखिरी शुक्रवार

अमेरिका - मई के पहले हफ्ते में

जर्मनी - 5 अक्टूबर

अर्जेन्टीना - 11 सितंबर

प्रमुख संस्थान

जवाहरलाल नेहरु विवि

दिल्ली विवि

जामिया मिलिया विवि

बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी

इंदिरा गंाधी ओपन यूनिवर्सिटी

प्रमुख राज्यों के विश्वविद्यालय

जेआरसी टीम

Jagran Josh
Jagran Josh

Education Desk

    Your career begins here! At Jagranjosh.com, our vision is to enable the youth to make informed life decisions, and our mission is to create credible and actionable content that answers questions or solves problems for India’s share of Next Billion Users. As India’s leading education and career guidance platform, we connect the dots for students, guiding them through every step of their journey—from excelling in school exams, board exams, and entrance tests to securing competitive jobs and building essential skills for their profession. With our deep expertise in exams and education, along with accurate information, expert insights, and interactive tools, we bridge the gap between education and opportunity, empowering students to confidently achieve their goals.

    ... Read More

    आप जागरण जोश पर सरकारी नौकरी, रिजल्ट, स्कूल, सीबीएसई और अन्य राज्य परीक्षा बोर्ड के सभी लेटेस्ट जानकारियों के लिए ऐप डाउनलोड करें।

    Trending

    Latest Education News