Pandora Paper Leak: केंद्र सरकार ने 04 अक्टूबर 2021 को निर्देश दिया कि पैंडोरा पेपर लीक (Pandora Paper Leak) मामलों की जांच की निगरानी सीबीडीटी अध्यक्ष की अध्यक्षता में की जाएगी. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कहा है कि पैंडोरा पेपर्स से संबंधित मामलों की जांच की जाएगी.
इस जांच की निगरानी सीबीडीटी के चेयरमैन करेंगे, जिसमें सीबीडीटी, प्रवर्तन निदेशालय, भारतीय रिजर्व बैंक और वित्तीय खुफिया इकाई के अधिकारी शामिल होंगे. सरकार ने पैंडोरा पेपर्स लीक्स से जुड़े मामलों में जांच के निर्देश दिए हैं. इसमें भारत सहित दुनियाभर के तमाम उद्योगपतियों, राजनेताओं और सेलिब्रिटी के गैर-कानूनी निवेश का खुलासा किया गया है.
"Cases pertaining to ‘Pandora Papers’ to be investigated," says official spokesperson, CBDT pic.twitter.com/59TMXXmaDq
— ANI (@ANI) October 4, 2021
एक अंतर-सरकारी समूह का हिस्सा
सीबीडीटी के अनुसार, इन मामलों की प्रभावी जांच सुनिश्चित करने के लिए सरकार विदेशी संस्थाओं के साथ भी सक्रिय रूप से जुड़कर काम करेगी. सीबीडीटी ने कहा कि भारत सरकार भी एक अंतर-सरकारी समूह का हिस्सा है, जिसके तहत इस तरह के लीक से जुड़े कर जोखिमों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सहयोग और अनुभव साझा किए जाते हैं. वहीं, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने कहा कि अब तक कुछ भारतीयों के नाम मीडिया में आए हैं.
300 भारतीयों के नाम
पैंडोरा पेपर्सें में सचिन तेंदुलकर, अनिल अंबानी, विनोद अडाणी, नीरा राडिया, सतीश शर्मा, जैकी श्रॉफ, नीरव मोदी और किरण मजूमदार-शॉ समेत 300 भारतीय लोगों के नाम हैं.
पैंडोरा पेपर्स क्या हैं?
इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे) ने 1.19 करोड़ से ज्यादा गोपनीय फाइलों का भंडार प्राप्त किया है. इसने 150 समाचार आउटलेट्स के 600 से ज्यादा पत्रकारों की एक टीम का नेतृत्व किया. इन्होंने दो साल तक उसके माध्यम से छानबीन की. पैंडोरा पेपर्स मीडिया जगत के 600 से ज्यादा पत्रकारों की वित्तीय सेवाओं से 1.19 करोड़ दस्तावेजों की जांच पर आधारित है. आईसीआईजे ने इसमें हार्ड-टू-फाइंड (मुश्किल से मिलने वाले) स्रोतों को ट्रैक किया है.
दावा किया गया है कि पैंडोरा पेपर्स में 90 देशों से ज्यादा के 330 राजनेताओं के नाम सार्वजनिक किए जाएंगे. इस सूची में 380 भारतीयों के नाम होने की बात कही गई है. इन्होंने लाखों लाख डॉलर के निवेश को छुपा टैक्स बचाने के लिए गैर-कानूनी तरीके से वित्तीय लेनदेन किए. इनमें दुनियाभर के हाई-प्रोफाइल व्यक्तियों के नाम हैं.
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