अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) द्वारा हाल ही में जारी की गयी ‘वर्ल्ड एम्प्लॉयमेंट एंड सोशल आउटलुक’ रिपोर्ट में वर्ष 2017 तथा 2018 में भारत में बेरोज़गारी दर में 3.5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया गया है. इससे पहले जारी की गई रिपोर्ट में बेरोजगारी दर 3.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था.
भारत के संदर्भ में रिपोर्ट
• भारत में वर्ष 2017 में बेरोज़गारों की संख्या 17.8 मिलियन की अपेक्षा 18.3 मिलियन तक हो सकती है.
• अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018 में भारत में बेरोज़गारों की संख्या 18.6 मिलियन रहने का अनुमान है, जबकि पहले इसी रिपोर्ट में बेरोज़गारों की संख्या 18 मिलियन रहने का अनुमान लगाया गया था.
• प्रतिशत के संदर्भ में ILO ने सभी तीन वर्षों 2017, 2018 और 2019 के लिये भारत में बेरोज़गारी दर 3.5% पर स्थिर रहने का अनुमान लगाया है।
• एशिया पैसिफिक क्षेत्र में 2017 से 2019 के दौरान 23 मिलियन नई नौकरियाँ सृजित होंगी और भारत सहित अन्य दक्षिण एशियाई देशों में नए रोज़गार सृजित होंगे किंतु पूरे क्षेत्र में बेरोज़गारों की संख्या बढ़ेगी.
वैश्विक संदर्भ में रिपोर्ट
• रिपोर्ट के अनुसार एशिया पैसिफिक क्षेत्र में बेरोज़गारों की संख्या वर्ष 2018 में 83.6 मिलियन तथा वर्ष 2019 में 84.6 मिलियन रहने का अनुमान है, जबकि वर्ष 2017 में यह 82.9 मिलियन थी.
• चीन में भी वर्ष 2018 में बेरोज़गारों की संख्या 37.6 मिलियन तथा 2019 में 37.8 मिलियन तक बढ़ने की संभावना व्यक्त की गई है, जबकि 2017 में इसके 37.4 मिलियन रहने का अनुमान था.
• इस रिपोर्ट के मुताबिक़ अनौपचारिकता की व्यापकता ने दक्षिण एशिया में कार्यशील गरीबी को कम करने की संभावनाओं को और कम करना जारी रखा है.
• वैश्विक रूप से वर्ष 2018 में बेरोज़गारों की संख्या 192.3 मिलियन हो जाएगी, जबकि 2017 में यह 192.7 मिलियन थी.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है की मज़बूत आर्थिक वृद्धि के बावजूद कम गुणवत्ता वाली नौकरियाँ सृजित हो रही हैं तथा वर्ष 2019 तक दक्षिण एशिया के 72% कामगारों के रोज़गार अतिसंवेदनशील अवस्था में रहेंगे.
• अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार अतिसंवेदनशील रोज़गार उन लोगों को संदर्भित करता है जो अत्यंत संकटकालीन परिस्थितियों में नियोजित हैं, उनके पास रोज़गार की औपचारिक व्यवस्था नहीं है और सामाजिक सुरक्षा के लिये किसी कार्यक्रम या योजना तक इनकी पहुँच नहीं है और इस प्रकार वे आर्थिक चक्र में खतरे की स्थिति में हैं.
• रिपोर्ट के अनुसार अतिसंवेदनशील रोज़गार दक्षिण एशिया में लगभग 72%, दक्षिण-पूर्व एशिया में 46% तथा पश्चिम एशिया में 31% श्रमिकों को प्रभावित करेगा और पुरुषों की तुलना में महिलाओं पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ेगा.
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अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन, अंतरराष्ट्रीय आधारों पर मजदूरों तथा श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए नियम बनाता है. यह संयुक्त राष्ट्र की विशिष्ट संस्था है. वर्ष 1969 में इसे विश्व शांति के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मज़दूरों के अधिकारों के लिए अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन (आईएलओ) का गठन किया गया. संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राज्यों में से लगभग 187 इसके सदस्य हैं. अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन (आईएलओ) मजदूर वर्ग के लोगों के लिये अंतरराष्ट्रीय नियमों के उल्लंघन की सभी शिकायतों को देखता है. इसके पास त्रिकोणिय संचालन संरचना है अर्थात् सरकार, नियोक्ता और मजदूर का प्रतिनिधित्व करना. सरकारी अंगों और सामाजिक सहयोगियों के बीच मुक्त और खुली चर्चा उत्पन्न करने के लिये, अंतरराष्ट्रीय श्रमिक कार्यालय के रूप में अंतरराष्ट्रीय श्रमिक संगठन सचिवालय कार्य करता है. इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्ज़रलैंड में स्थित है.
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