भारतीय वायु सेना को अपने लड़ाकू जेट बेड़े को बहुत बड़ी मजबूती मिली है. भारत और चीन के बीच सीमा पार जारी तनाव को ध्यान में रखते हुए तीनों सेनाएं अपनी रक्षा क्षमता में बढ़ोतरी करने में जुटी हुई हैं. फ्रांस से दो सेकेंड हैंड मिराज 2000 लड़ाकू विमान वायु सेना को मिले हैं, जिन्हें ग्वालियर एयरबेस पर पहुंचाया गया है.
भारत पहुंचे ये दोनों विमान इससे पहले फ्रांस के लड़ाकू विमानों के बेड़े में शामिल थे. फ्रांस से भारत पहुंचे दोनों मिराज विमान ट्रेनर वर्जन हैं. भारत के पास लगभग 51 मिराज विमान हैं, जिसमें तीन स्क्वाड्रन बने हैं ओर सभी की तैनाती ग्वालियर वासु सेना स्टेशन पर है.
भारत इन विमानों को अपग्रेड कर रहा है
फ्रांस की मदद से भारत इन विमानों को अपग्रेड कर रहा है, लेकिन बीच में कुछ विमानों के क्रैश हो जाने की वजह से अपग्रेडेशन में इस्तेमाल होने वाले कुछ किट बच गए थे, जिनको इन दोनों विमानों में फिट किया जाएगा.
बालाकोट स्ट्राइक में महत्वपूर्ण भूमिका
भारतीय वायुसेना के पास पहले से भी मिराज लड़ाकू विमानों का बेड़ा है. भारत ने 26 फरवरी 2019 को जब बालाकोट स्ट्राइक की थी तब 12 मिराज 2000 जेट्स ने नियंत्रण रेखा पार पाकिस्तान में घुसे थे और आतंकवादी शिवर को ध्वस्त कर दिए थे. बालाकोट स्ट्राइक के लिए मिराज को उसके स्पाइस-2000 बमों की वजह से चुना गया जो कि 70 किलोमीटर की दूरी तक मार सकते हैं.
जानें मिराज की खासियत
भारत के पास सुखोई और मिग-29 जैसे कई लड़ाकू विमान थे लेकिन वायुसेना ने मिराज 2000 से ही बालाकोट ऑपरेशन को अंजाम दिया. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस ऑपरेशन में कुल 12 मिराज विमान शामिल थे. यहां तक 1999 के कारगिल युद्ध में भी मिराज 2000 विमानों ने ही निर्णायक भूमिका निभाई थी. लड़ाई के दौरान अधिक से अधिक वजन ले जाने जाने की क्षमता, सटीकता और लेजर गाइडेड बम, और सर्जिकल स्ट्राइक जैसे हमलों को अंजाम देने में मिराज 2000 को महारत हासिल है. ये विमान सिंगल और डबल सीटर दोनों तरह के आते हैं. मिराज 1980 के दशक से सेवा में हैं.
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