RBI Withdraws Rs 2000 Notes: रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने हाल ही में ऐलान किया कि ₹2,000 के करेंसी नोट चलन से वापस लिए जायेंगे. हालांकि आरबीआई ने यह भी साफ कर दिया कि इससे घबराने की जरुरत नहीं है यह एक रूटीन प्रोसेस है.
बता दें कि 2000 रुपये के नोट से जुड़ा यह फैसला नोटबंदी के तहत नहीं आता. दो हजार के नोट को सिर्फ चलन से वापस लिया जा रहा है.
वैसे भारत में करेंसी नोटों को वापस लेनें और नोटबंदी का इतिहास कोई नया नहीं है. इससे पहले भी देश में ऐसे फैसले लिये जा चुके है. देश के केन्द्रीय बैंक द्वारा इससे पहले 5000 और 10 हजार रुपये के नोटों को भी जारी किया जा चुका है, हालांकि बाद उन्हें भी बंद कर दिया गया था.
₹2000 Denomination Banknotes – Withdrawal from Circulation; Will continue as Legal Tenderhttps://t.co/2jjqSeDkSk
— ReserveBankOfIndia (@RBI) May 19, 2023
₹2,000 के नोट की फिलहाल वैधता बनी रहेगी:
₹2,000 के करेंसी नोट के वापस लेनें के फैसले के बाद से ही आम लोगों के बीच इसकी काफी चर्चा है. ₹2,000 के करेंसी नोटों को 2016 में नोटबंदी के दौरान पेश किया गया था. आरबीआई ने साफ कर दिया है कि ₹2,000 के बैंक नोट की वैधता फिलहाल बरकरार रहेगी.
30 सितंबर है वापस करने की डेड लाइन:
रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से कहा गया है कि 23 मई से 30 सितंबर 2023 तक 2000 के नोटों को देश के सभी बैंकों में वापस किये जा सकेंगे. सरकार 2000 के नोटों की प्रिंटिंग पहले ही बंद कर चुकी है. आरबीआई फ़िलहाल 2000 रुपये के नोट को सर्कुलेशन से बाहर करना चाहती है.
₹2,000 के नोट क्यों वापस ले रहा है आरबीआई?
रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया, ₹2,000 के नोट को वापस लेनें के पीछे तर्क दिया है कि ₹2,000 के नोट आमतौर पर लेनदेन के उपयोग में नहीं लाये जा रहे, जिस कारण इनको वापस लिया जा रहा है. हालांकि अभी ये लीगल टेंडर बना रहेगा.
आरबीआई की ओर से आगे कहा गया कि आम लोगों की जरूरतों के लिय ₹2,000 के अलावा अन्य मूल्य के नोट पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है. ₹2,000 के नोट को नवंबर-2016 में पहली बार पेश किया गया था.
क्या रहा है नोटबंदी का इतिहास:
भारत में इस तरह का फैसला पहली बार नहीं लिया गया है. इससे पहले भी देश में लोगों को बड़ी मूल्य के नोटों की जमाखोरी से रोकने के लिए इस तरह के फैसले लिए जा चुके है. चलिए जानें इसके बारें में-
- 1978 में की गयी थी पहली बार नोटबंदी: आजादी के बाद, 1978 में देश में काले धन पर लगाम लगाने के लिए तत्कालीन मोरारजी देसाई सरकार ने नोटबंदी का फैसला लिया था. मोरारजी देसाई सरकार ने बड़े नोटों को बंद कर दिया था. उस समय की जनता पार्टी की नेतृत्व वाली सरकार ने 1000 रुपये, 5000 रुपये और 10 हजार रुपये के करेंसी नोटों को बंद कर दिया था.
- आजादी से पहले की बात करें तो 1946 में कर चोरी व काले धन पर रोक लगाने के लिए ₹500 व उससे अधिक मूल्य के नोट को बंद कर दिया गया था.
- वर्ष 1954 में ₹1,000, ₹5,000 और ₹10,000 के नोट दोबारा से चलन में आ गए थे, जिन्हें बाद में 1978 में बंद कर दिया गया था.
- वर्ष 2014 में सरकार ने अहम फैसला लेते हुए 2005 से पहले की नोट को चलन से वापस लिया था. क्योकिं 2005 से पहले की नोटों में कम सुरक्षा विशेषता थी.
- वर्ष 2016 में मोदी सरकार ने नोटबंदी पर बड़ा फैसला लेते हुए ₹500 व ₹1,000 के करेंसी नोट को चलन से बाहर कर दिया था. जिसके बाद नवम्बर 2016 में 2000 के नोट को जारी किया गया था. सरकार ने यह फैसला काले धन और कर चोरी पर लगाम लगाने के लिए लिया था.
क्लीन नोट पॉलिसी क्या है?
क्लीन नोट पॉलिसी (Clean Note Policy) के तहत, जनता को बेहतर सुरक्षा सुविधाओं के साथ अच्छी गुणवत्ता वाले करेंसी और सिक्के उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाता है. इसी कड़ी में आरबीआई ने 2014 में, 2005 से पहले जारी किए गए सभी बैंक नोटों को चलन से वापस लेने का फैसला किया था क्योंकि 2005 के बाद छपे बैंक नोटों की तुलना में उनमें (2005 से पहले की नोट) कम सुरक्षा विशेषता थी.
कालेधन पर लगेगी लगाम:
आरबीआई के पूर्व डिप्टी गवर्नर आर. गांधी, 2000 की नोट पर, केन्द्रीय बैंक के इस फैसले के बाद कहा कि इससे कालेधन पर 'काफी हद तक' लगाम लगाने में मदद मिलेगी. साथ ही उन्होंने कहा कि लोग अधिक मूल्य वाले नोट की जमाखोरी कर रहे हैं.
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