चीन के OBOR के समकक्ष अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया और भारत की योजना

Feb 21, 2018, 12:21 IST

चीन ने जमीन और समुद्री रास्तों से व्यापार मार्गों को बेहतर बनाने के लिए OBOR प्रोजेक्ट शुरू किया है. इस प्रोजेक्ट में कई हाईस्पीड रेल नेटवर्क होंगे, जिसका विस्तार यूरोप तक होगा.

OBOR alternative India, US, Australia, Japan in talks
OBOR alternative India, US, Australia, Japan in talks

चीन के बेल्ट ऐंड रोड प्रॉजेक्ट को चुनौती देने के लिए ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, जापान और भारत ने मिलकर एक संयुक्त परियोजना बनाई है. यह चारों देश मिलकर संयुक्त क्षेत्रीय बुनियादी ढांचा योजना की तैयारी कर रहे हैं. ऑस्ट्रेलियन फाइनैंशल रिव्यू के मुताबिक, भारत ने यह तैयारी पेइचिंग के बढ़ते दबदबे को कम करने के लिए की है.

इस महत्वपूर्ण योजना के तहत एशिया से अफ्रीका तक उच्च स्तरीय आधारभूत ढांचा तैयार किया जाएगा. इसके लिए अमेरिका, जापान, आस्ट्रेलिया और भारत अपने साथी देशों के साथ मिलकर जमीन और समुद्री रास्तों से व्यापार मार्गों को बेहतर बनाएंगे. दक्षिणपूर्व, दक्षिण और मध्य एशिया के अलावा मध्य पूर्व और अफ्रीका तक इसे फैलाया जाएगा.

गौरतलब है कि चीन ने जमीन और समुद्री रास्तों से व्यापार मार्गों को बेहतर बनाने के लिए OBOR प्रोजेक्ट शुरू किया है. इस प्रोजेक्ट में कई हाईस्पीड रेल नेटवर्क होंगे, जिसका विस्तार यूरोप तक होगा. विश्व के 60 देशों को अपने करीब लाने और दुनिया की दो तिहाई आबादी को अपनी अर्थव्यवस्था से सीधे जोड़ने के लिए चीन ने यह प्रोजेक्ट शुरू किया है.

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क्या है वन बेल्ट-वन रोड (OBOR) प्रोजेक्ट

वन बेल्ट-वन रोड (OBOR) परियोजना का उद्देश्य चीन द्वारा विश्व के अन्य देशों के साथ अपने समुद्री रास्तों से व्यापार मार्गों को बेहतर बनाना है. इस परियोजना के तहत यूरोप से जोड़ने के लिए रेल नेटवर्क भी स्थापित किये जायेंगे होंगे. एशिया और अफ्रीका की चुनिंदा बंदरगाहों से होकर यह मार्ग गुजरेगा जिसके बीच रास्ते विभिन्न प्रकार के फ्री ट्रेड जोन स्थापित किये जायेंगे. चीन का दावा है कि वह OBOR प्रोजेक्ट से विश्व के 65 देशों को एक-दूसरे के क़रीब लाएगा और दुनिया की दो तिहाई आबादी को अपनी अर्थव्यवस्था से सीधे जोड़ देगा.

भारत की आपत्ति
भारत का इस परियोजना पर एतराज इसलिए जायज है क्योंकि OBOR उस चीनी-पकिस्तानी इकोनॉमिक कोरिडोर यानी चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे से गुज़रती है, जो पाकिस्तान के कब्ज़े वाले कश्मीर में है. भारत इसे अपना हिस्सा मानता है और इस इलाके में आर्थिक गतिविधियों में चीन के शामिल होने पर ऐतराज़ जताता रहा है. इस इलाके में बुनियादी ढांचे को बेहतर करने के लिए चीन अब तक 46 अरब डॉलर का निवेश भी कर चुका है, जिस पर भारत लगातार ऐतराज़ जताता रहा है.

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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