सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने 28 मार्च 2017 को जजों की नियुक्ति सम्बंधित केंद्र सरकार द्वारा भेजे गये प्रस्ताव को नामंजूर कर दिया.
कॉलेजियम ने हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति के लिए चयनकर्ताओं का दायरा बढ़ाने से इन्कार किया. केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव में हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति के लिए प्रत्याशियों के चयन की परामर्श प्रक्रिया को व्यापक करने का सुझाव दिया गया था.
सरकार ने पिछले वर्ष कॉलेजियम के पास प्रक्रिया ज्ञापन (एमओपी) भेजा था. इसी में परामर्श के क्षेत्र को और व्यापक बनाने का भी अनुच्छेद दिया गया था लेकिन कॉलेजियम का नेतृत्व कर रहे देश के मुख्य न्यायाधीश जे एस खेहर ने इस अनुच्छेद के लिए मना कर दिया.
सरकार का प्रस्ताव
केंद्र सरकार चाहती है कि प्रक्रिया ज्ञापन में हाईकोर्ट के मौजूदा जजों, वरिष्ठ वकीलों और विभिन्न राज्यों के महाधिवक्ताओं को भी शामिल किया जाए. यह लोग भी खंडपीठ में नियुक्तियों के लिए उपयुक्त उम्मीदवारों के नामों का सुझाव दे सकेंगे.
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम का एकमत यह था कि उम्मीदवारों के नाम तय करने का अधिकार केवल हाईकोर्ट के कॉलेजियम तक ही सीमित रहना चाहिए. यह इससे बाहर नहीं होना चाहिए अन्यथा अधिकारों का उपयोग करके नियुक्तियों को प्रभावित किया जा सकता है.
पृष्ठभूमि
उच्च न्यायापालिका में जजों की नियुक्ति के लिए निर्धारित प्रक्रिया ज्ञापन (एमओपी) को अंतिम रूप देने की कोशिश की जा रही है. जनवरी 2016 से सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार इसे अंतिम रूप देने का प्रयास कर रहे हैं. मौजूदा व्यवस्था में दो प्रक्रिया ज्ञापन हैं, एक सुप्रीम कोर्ट के लिए और दूसरा देश के 24 हाईकोर्ट के लिए है.
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