वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) की ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2017 के मुताबिक दुनिया में महिलाओं और पुरूषों के बीच लैंगिक असमानता बढ़ी है. 144 देशों को शामिल करने वाले इस सूचकांक में भारत 21 पायदान फिसलकर 108वें स्थान पर आ गया है. अर्थव्यवस्था में महिलाओं की कम भागीदारी और मामूली वेतन के चलते भारत रैंकिंग में चीन और बांग्लादेश से भी पिछड़ गया है.
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डब्ल्यूईएफ ग्लोबल जेंडर गैप रिपोर्ट 2017 के अनुसार भारत ने महिला और पुरुषों के मामले में 67 फीसदी अंतर पाटने में सफलता हासिल की है. इस इंडेक्स में बांग्लादेश 47वें और चीन 100वें स्थान पर हैं.
ग्लोबल के शीर्ष पर, लिंग गैप इंडेक्स आइसलैंड है देश ने अपने अंतराल का लगभग 88% बंद कर दिया है नौ साल तक यह विश्व का सबसे लिंग-समान देश रहा है. इंडेक्स की शुरुआत से पहली बार पूरी दुनिया में जेंडर गैप के मामले में हालात सुधरने के बजाय बिगड़ी है.
शीर्ष 10 में:
देश | स्थान |
आइसलैंड | 1 |
नॉर्वे | 2 |
फिनलैंड | 3 |
रवांडा | 4 |
स्वीडन | 5 |
निकारागुआ | 6 |
स्लोवेनिया | 7 |
आयरलैंड | 8 |
न्यूजीलैंड | 9 |
फिलीपींस | 10 |
रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक दशक से धीरे-धीरे ही सही लेकिन लगातार खाई कम हो रही थी. लेकिन यह क्रम इस साल टूट गया और पहली बार खाई और चौड़ी होती दिखाई दी. भारत की सबसे बड़ी चुनौतियां आर्थिक भागीदारी और अवसर स्तंभ में हैं जहां देश 139 के साथ-साथ स्वास्थ्य और अस्तित्व के स्तम्भ के स्थान पर है जहां देश को 141 स्थान पर रखा गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि दशकों की धीमी प्रगति के बाद वर्ष 2017 में महिला-पुरुष असमानता को दूर करने के प्रयास ठहर से गये हैं. साल 2006 के बाद यह पहला मौका है जब यह अंतर बढ़ा है.
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (विश्व आर्थिक मंच) दुनिया भर में चार मानकों, शिक्षा, स्वास्थ्य, आर्थिक अवसर और राजनीतिक प्रतिनिधित्व का आकलन कर यह रिपोर्ट तैयार करता है. कम वेतन और अर्थव्यवस्था में महिलाओं की सीमित भागीदारी के चलते भारत का स्थान अपने पड़ोसी देश, चीन और बांग्लादेश से भी पीछे है.
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