क्या है रोमियो-जूलियट कानून जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगी है राय

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने चर्चा में आये रोमियो-जूलियट कानून पर केंद्र सरकार से अपनी राय मांगी है. कोर्ट ने भारत में सहमति से किशोरों के यौन संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने वाले इस रोमियो-जूलियट कानून के आवेदन के बाद यह कदम उठाया है. क्या है रोमियो-जूलियट कानून चलिये समझते है.  

Aug 21, 2023, 12:55 IST
क्या है रोमियो-जूलियट कानून जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगी है राय
क्या है रोमियो-जूलियट कानून जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगी है राय

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने चर्चा में आये रोमियो-जूलियट कानून पर केंद्र सरकार से अपनी राय मांगी है. कोर्ट ने भारत में सहमति से किशोरों के यौन संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर रखने वाले इस रोमियो-जूलियट कानून के आवेदन के बाद यह कदम उठाया है. 

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में रोमियो-जूलियट कानून को लेकर एक जनहित याचिका दायर की गई है. ऐसा लगता है कि आने वाले समय में भारत में 18 साल से कम उम्र के लड़के-लड़कियों के बीच सहमति से सेक्स को वैध माना जा सकता है.    

याचिका में क्या कहा गया है?

इस याचिका में कहा गया है कि भारत में 18 साल से कम उम्र के बहुत सारे लड़के-लड़कियां ऐसे हैं जो आपसी सहमति से यौन संबंध बनाते हैं. लेकिन भारतीय कानून के अनुसार ऐसे मामले में माता पिता की शिकायत पर लड़के को क़ानूनी रूप से गिरफ्तार कर लिया जाता है.  

क्या है रोमियो-जूलियट कानून?

रोमियो- जूलियट कानून वैधानिक बलात्कार कानूनों के अपराधियों को कुछ हद तक सुरक्षा प्रदान करते हैं जहां नाबालिग ने यौन संबंध के लिए सहमति दी है, और जहां नाबालिग और कथित अपराधी के बीच उम्र का अंतर कम है.  

भारत में वर्तमान में इस तरह के सम्बन्ध को अपराध माना जाता है, जिसका अर्थ है कि दो कम उम्र के लोगों के बीच, या अधिक उम्र के साथी और कम उम्र के व्यक्ति के बीच किसी भी यौन संबंध को वैधानिक बलात्कार माना जाएगा.

आसान शब्दों में कहे तो अगर यौन संबंध बनाने वालों के बीच आपसी सहमति हो और लड़का-लड़की के बीच बहुत ज्यादा उम्र का अंतर ना हो तो ऐसी परिस्थिति में उसे यौन शोषण नहीं माना जाएगा.

वर्तमान में क्या कहता है भारतीय कानून?

भारत में वर्तमान में जो कानून लागू है उसके अनुसार, 18 साल से कम उम्र के बच्चे की सहमति का कोई आधार नहीं है. भारत में बच्चों को यौन अपराधों से बचाने के लिए पॉक्सो यानी द प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्शुअल ऑफंसेंस एक्ट, 2012 लागू है. 

भारतीय कानून के अनुसार यदि किशोर (18 साल से कम उम्र) आपसी सहमति से भी यौन संबंध बनाते है तो वह सहमति महत्वहीन है. यह एक्ट कहता है कि यदि कोई व्यक्ति कम उम्र के व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाता है तो उसे यौन उत्पीड़न का दोषी माना जाएगा.

भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के अनुसार भारत में 16 साल से कम उम्र की लड़की के साथ यौन संबंध बनाना रेप की श्रेणी में आता है, चाहे वह संबंध एक दूसरे की सहमति से ही क्यों न बनाया गया हो.

कई देशों में लागू है यह कानून:

इस तरह के प्राविधान वाले कानून कई देशों में लागू है जिसकों भारत में भी लागू करने की पहल की जा रही है. ताकि लड़कों को गिरफ्तारी से बचाया जा सके. अगर किसी लड़के की उम्र नाबालिग लड़की से चार साल से ज्यादा नहीं है, और वह आपसी सहमति से संबंध बनाते है तो यह अपराध की श्रेणी में नहीं आयेगा.   

केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया होगी अहम:

अब देश में हर किसी को इस याचिका पर केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार है, यह एक गंभीर विषय है इसलिए सरकार का पक्ष अहम होगा. सरकार का रुख बलात्कार से जुड़े कानून की दिशा तय करने में अहम रोल निभाएगा.  

देश में पॉक्सो मामलों की क्या है स्थिति?

एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में कुल पॉक्सो मामलों में से 11.6 फीसदी मामलों में आरोपियों की उम्र 19-25 साल के बीच थी. वहीं 10.9 प्रतिशत मामलों में आरोपियों की उम्र 25-35 के बीच थी. जबकि 6.1 फीसदी मामलों में आरोपी की उम्र 35-45 के मध्य थी.    

Bagesh Yadav
Bagesh Yadav

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