ICMR समेत तीन संस्थानों के TB जांच को WHO का मिला समर्थन

Jul 4, 2020, 13:05 IST

आइसीएमआर के अतिरिक्त अन्य दो संस्थान-फाउंडेशन फॉर इनोवेटिव न्यू डायग्नोस्टिक्स (FIND) और मोलबियो डायग्नोस्टिक्स हैं.

WHO nod for Truenat rapid molecular assays for TB in Hindi
WHO nod for Truenat rapid molecular assays for TB in Hindi

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने टीबी (क्षय रोग) का प्रारंभिक अवस्था में पता लगाने और उसकी एक प्रमुख दवा की प्रतिरोधक क्षमता का आकलन करने के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) समेत तीन संस्थानों की तरफ से किए जा रहे जांच का समर्थन किया है.

तीनों अनुसंधान संस्थानों ने कहा कि उनकी टीबी का शुरुआत में पता लगाने हेतु 'रैपिड मोलेकूलर ट्रूएंट एसेस' जांच और साथ ही वयस्कों व बच्चों में रिफैम्पिसिन प्रतिरोधक का पता लगाने की उनकी जांच का डब्ल्यूएचओ ने समर्थन किया है. रिफैम्पिसिन टीबी के इलाज में सामान्य तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली दवा है.

ICMR समेत तीन संस्थान

आइसीएमआर के अतिरिक्त अन्य दो संस्थान-फाउंडेशन फॉर इनोवेटिव न्यू डायग्नोस्टिक्स (FIND) और मोलबियो डायग्नोस्टिक्स हैं.

ट्रूएंट एक नई तरह की जांच प्रक्रिया

ट्रूएंट एक नई तरह की जांच प्रक्रिया है. इसमें तेजी से ट्यूबरकुलोसिस (टीबी) और रिफैम्पिसिन प्रतिरोधक की पहचान होती है. इसमें सभी तीन तरह की जांच के नतीजे आधे घंटे से भी कम समय में आ जाते हैं.

टीबी का पता लगाने के लिए तीन तरह की जांच

गौरतलब है कि टीबी का पता लगाने के लिए तीन तरह की जांच की जाती है, जिसमें ट्रूएंट एमटीबी, ट्रूएंट एमटीबी प्लस और ट्रूएंट एमटीबी-आरआइएफ डीएक्स शामिल हैं. इसमें पहले की दो जांच से टीबी वैक्टीरिया का पता चलता है, जबकि तीसरी जांच से रिफैम्पिसिन प्रतिरोधक की पहचान होती है.

साल 2018 में एक करोड़ टीबी के मामले

बयान के मुताबिक, दुनिया भर में संक्रामक बीमारी से होने वाली मौत में टीबी एक प्रमुख कारण है. साल 2018 में एक करोड़ टीबी के मामले थे एवं 15 लाख लोगों की इससे मौत हो गयी थी. इसमें कहा गया है कि दवा विरोधी टीबी एक विशेष चुनौती पेश करती है, इसमें रिफेम्पिसिन और अन्य दवाओं के लिए प्रतिरोध बढ़ रहा है जो इस बीमारी का इलाज करते हैं.

साल 2030 तक टीबी को समाप्त करने का लक्ष्य

बयान में कहा गया है कि साल 2018 में रिफेम्पिसिन प्रतिरोधी तपेदिक के करीब पांच लाख नये मामलों का निदान किया गया था. साल 2030 तक टीबी को समाप्त करने के विश्व स्वास्थ्य संगठन के लक्ष्य को पूरा करने हेतु टीबी के निदान एवं इलाज के बीच के अंतर को पाटने के लिये तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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