ईरान ने इज़रायल को हमले की चेतावनी देने के बाद, ड्रोन और मिसाइलों से इज़राइल पर हमला कर दिया है. इसके साथ ही मध्य पूर्व में एक बार फिर तनाव बढ़ गया है. इसके साथ ही खाड़ी सहित कई देश हाई अलर्ट पर है.
इसके साथ ही दोनों देशों के बीच वर्षों से चली आ रही कड़वाहट में एक नए अध्याय की शुरुआत की शुरुआत हो गयी है. इससे पहले पिछले अक्टूबर में इज़राइल द्वारा हमास पर युद्ध की घोषणा के बाद ईरान के हमले ने इज़राइल की टेंशन और बढ़ा दी है.
वहीं अमेरिका सहित कई यूरोपीय देशों ने क्षेत्र में शांति बनाये रखने की अपील की है. अमेरिका खुले तौर पर इज़राइल के पक्ष में खड़ा नजर आ रहा है. चलिये जानते है कि आखिर दोनों देशों में बीच इस संघर्ष की शुरुआत कैसे हुई.
ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला:
सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान ने इजराइल पर एक बड़ा हवाई हमला किया है. इज़राइल रक्षा बल (आईडीएफ) के प्रवक्ता डैनियल हगारी के अनुसार, ईरान, इराक, यमन और लेबनान के हिजबुल्लाह से लगभग 350 रॉकेट उसकी तरफ दागे गए है. लगभग 170 ड्रोन और 120 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलों सहित 300 से अधिक प्रोजेक्टाइल इजरायल की ओर दागे गए है.
ईरानी के एक सेना अधिकारी का कहना है कि हमने नेवातिम एयरबेस को निशाना बनाया था, उन्होंने आरोप लगाया कि यहीं से अप्रैल की शुरुआत में इजरायल ने ईरानी वाणिज्य दूतावास पर हमला किया था.
ईरान ने इज़रायल पर क्यों किया हमला?
इज़राइल और ईरान लंबे समय से प्रतिद्वंद्वी हैं. इस महीने की शुरुआत में सीरिया के दमिश्क में ईरानी वाणिज्य दूतावास पर एक संदिग्ध हमला हुआ जिसको लेकर ईरान इज़राइल को जिम्मेदार ठहरा रहा है.
बता दें कि 1 अप्रैल को हवाई हमले में ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के विदेशी कुद्स फोर्स के एक वरिष्ठ कमांडर सहित कई अधिकारी मारे गए थे, जब वे दमिश्क दूतावास परिसर में एक बैठक में भाग ले रहे थे. इसके जवाब में ईरान ने इज़राइल पर हमले की घोषणा की थी.
वहीं भारत सहित दुनिया के कई देश इस घटनाक्रम पर नजर बनाये हुए है, आगे की अभी कोई स्थिति अस्पष्ट नहीं है. इसके अलावा इज़राइल को अपने सहयोगियों से खुले युद्ध से पीछे हटने और तनाव कम करने के सुझाव मिल रहे है.
इज़राइल की क्या है प्रतिक्रिया:
इज़राइल ने भी इस हमले के जवाब की तैयारी में है. इज़राइल के युद्ध मंत्रिमंडल द्वारा लिए गए निर्णय तत्काल अगले कदम तय करेंगे. युद्ध मंत्रिमंडल के एक सदस्य बेनी गैंट्ज़ ने कहा कि इज़राइल "ईरान से उस तरीके और समय पर कीमत वसूल करेगा जो हमारे लिए उपयुक्त हो"
ईरान के साथ कौन?
ईरान ने मध्य पूर्व में सहयोगियों और प्रॉक्सी ताकतों का एक नेटवर्क बनाया है, जिसके बारे में उसका कहना है कि यह क्षेत्र में अमेरिका और इजरायल के हितों को चुनौती देने वाली "प्रतिरोध की धुरी" का हिस्सा है. सीरिया ईरान का सबसे महत्वपूर्ण सहयोगी है. ईरान ने रूस के साथ मिलकर बशर अल-असद की सीरियाई सरकार को देश के एक दशक लंबे गृह युद्ध से बचने में मदद की थी.
लेबनान में हिजबुल्लाह ईरान द्वारा समर्थित सशस्त्र समूहों में सबसे शक्तिशाली है. वहीं यमन में, ईरान हुथी आंदोलन को समर्थन देता है, जो देश के सबसे अधिक आबादी वाले क्षेत्रों को नियंत्रित करता है.
भारतियों के लिए जारी हुई एडवाइजरी:
दोनों देशों के बीच के संघर्ष पर भारत सरकार भी नजर बनाये हुए है. इज़राइल में भारतीय मिशन ने 14 अप्रैल को ईरान द्वारा किए गए हमलों के बाद अपने नागरिकों के लिए एक नई "महत्वपूर्ण सलाह" जारी की, जिसमें उन्हें शांत रहने और सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करने की सलाह दी गई.
इज़राइल में भारतीय दूतावास ने अपने सोशल मीडिया हैंडल के माध्यम से कहा कि ''क्षेत्र में हाल की घटनाओं के मद्देनजर इजरायल में सभी भारतीय नागरिकों को शांत रहने और स्थानीय प्राधिकारियों द्वारा जारी सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करने की सलाह दी जाती है.'' साथ ही दूतावास स्थिति पर करीबी नजर रख रहा है.
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