Lok Sabha Elections 2024: 'आदर्श आचार संहिता', धारा-144 से कैसे है अलग चलिये समझें?

चुनाव आयोग ने 16 मार्च को लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा कर दी थी. किसी भी देश के लोकतंत्र को मजबूत रखने के लिए चुनाव एक आवश्यक प्रक्रिया है. चुनाव के दौरान अक्सर आप आदर्श आचार संहिता और धारा-144 के बारें में सुनते रहते है. चलिये आज हम इनके अंतर को समझते है.  

May 13, 2024, 10:51 IST
धारा-144 और आदर्श आचार संहिता में अंतर
धारा-144 और आदर्श आचार संहिता में अंतर

चुनाव आयोग 16 मार्च को लोकसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा कर दी थी. किसी भी देश के लोकतंत्र को मजबूत रखने के लिए चुनाव एक आवश्यक प्रक्रिया है. भारत में भी इस समय लोकसभा चुनावों की काफी चर्चा हो रही है. 

आपको बताते चलें कि इस बार लोकसभा इलेक्शन 7 चरणों में आयोजित किये जा रहे है. पहले चरण की वोटिंग 19 अप्रैल को करायी जाएगी. वहीं सातवें और आखिरी चरण का मतदान 1 जून को कराया जायेगा और वोटों की गिनती 4 जून को करायी जाएगी. 

चुनावी तारीखों के ऐलान के साथ ही देश में आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct-MCC) लागू हो गयी. अक्सर लोगों को आदर्श आचार संहिता और धारा 144 में कंफ्यूजन होने लगता है कि दोनों के तहत एक ही तरह की पाबंधियाँ लगती है या ये कहे कि दोनों में कोई अंतर नहीं है. च      लिये आज इन दोनों के बारें में विस्तार से जानते है. 

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चलिये आदर्श आचार संहिता को समझें:

आदर्श आचार संहिता चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही लागू हो जाती है, चाहे वह विधानसभा का चुनाव हो या फिर लोकसभा का, तारीखों के ऐलान के साथ ही इसके तहत बने नियमों का पालन करना जरुरी हो जाता है. 

आदर्श आचार संहिता (MCC) भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा बनाया गया दिशा-निर्देशों का एक समूह है जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए जरुरी माना गया है. इसके तहत बने नियमों का पालन सभी राजनीतिक दलों और उनके उम्मीदवारों को करना होता है.

आदर्श आचार संहिता की कब हुई शुरुआत:

इसकी शुरुआत साल 1960 में केरल विधानसभा चुनाव के दौरान हुई थी. इसके तहत प्रशासन ने पॉलिटिकल पार्टियों और उनके उम्मीदवारों के लिए ‘आचार संहिता' बनायीं थी, जिसमें चुनावी सभाओं और भाषणों से सम्बंधित दिशा-निर्देश दिए गए थे.  

साल 1962 के लोकसभा चुनाव से पहले इलेक्शन कमीशन ने सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों और राज्य सरकारों से आचार संहिता पर फीडबैक लिया, जिसके बाद से ही पूरे देश में इसका पालन शुरू हो गया.   

धारा 144 को समझें:

धारा 144 एक औपनिवेशिक युग का कानून माना जाता है जिसका उद्देश्य आम जनता के लिए परेशानी को रोकना और क्षेत्र में शांति बनाए रखना है. इस आदेश का उपयोग किसी क्षेत्र के कुछ व्यक्तियों या आम जनता पर किया जा सकता है. इसके तहत क्षेत्र में 4 लोगों या इससे अधिक लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबन्ध होता है.      

धारा-144 और आदर्श आचार संहिता में अंतर:

धारा 144 और आदर्श आचार संहिता दोनों के तहत अलग तरह के प्राविधान बनाये गए है. अब हम यहां दोनों के बीच के अंतर को समझेंगे. 

      आदर्श आचार संहिता    

                    धारा-144

आदर्श आचार संहिता (MCC) भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा बनाया गया दिशा-निर्देशों का एक समूह है जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए जरुरी माना गया है.   धारा 144 एक औपनिवेशिक युग का कानून है. यह जिला मजिस्ट्रेट या राज्य सरकार द्वारा अधिकृत किसी अन्य कार्यकारी मजिस्ट्रेट को आदेश जारी करने की शक्ति प्रदान करता है. 
आदर्श आचार संहिता (MCC) के तहत लीगल रूप से कोई बाध्यता नहीं होती है.        यह क़ानूनी रूप से बाध्य है और इसमें सजा भी हो सकती है. धारा 144 के तहत आदेश का उपयोग किसी दिए गए क्षेत्र के कुछ व्यक्तियों या आम जनता पर किया जा सकता है.     
इसकी शुरुआत साल 1960 में केरल विधानसभा चुनाव के दौरान हुई थी. आचार संहिता के तहत लोकसभा और विधानसभाओं चुनावों की निष्पक्ष और संचालन की शक्ति दी गई है.        1973 की आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 किसी भी राज्य या क्षेत्र के कार्यकारी मजिस्ट्रेट को एक क्षेत्र में चार या अधिक लोगों की सभा पर रोक लगाने का आदेश जारी करने के लिए अधिकृत करती है.
आदर्श आचार संहिता (MCC) भारतीय संविधान के अनुच्छेद 324 के अनुरूप है जो एक रूल बुक की तरह है. इलेक्शन के दैरान कोई भी बिना सपोर्टिंग डॉक्यूमेंट के 50 हजार का कैश आप नहीं ले सकते है. साथ ही कॉस्ट ओर कम्युनल बेस के आधार पर वोट नहीं मांग सकते है.    धारा 144 के तहत किसी भी 'गैरकानूनी सभा' ​​के प्रत्येक सदस्य पर दंगे में शामिल होने का मामला दर्ज किया जा सकता है साथ ही क्षेत्र में इन्टरनेट को भी बंद किया जा सकता है. 
आदर्श आचार संहिता के प्रावधानों के तहत, सभा, जुलूस, मतदान के लिए नेताओं को दिशा-निर्देश जारी किये जाते है. साथ ही इसके तहत पोलिग बूथ के लिए भी विशेष दिशा-निर्देश जारी किये जाते है जिनका अनुपालन न करने पर कार्रवाई की जा सकती है. धारा 144 उपद्रव या किसी घटना के संभावित खतरों को देखते हुए लगायी जाती है, जिसमें मानव जीवन या संपत्ति को क्षति पहुंचाने की आशंका होती है.
इसके तहत राजनीतिक दलों की आलोचना उनकी नीतियों, कार्यों और फैसलों तक सिमित होनी चाहिए.     धारा 144 के तहत कोई भी आदेश दो महीने से अधिक समय तक लागू नहीं रहता लेकिन राज्य सरकार इसकी वैधता को दो महीने और अधिकतम छह महीने तक बढ़ा सकती है.
इसके तहत राजनीतिक दलों को अपनी किसी भी बैठक या रैली से पहले स्थानीय प्रशासन को सूचित करना आवशयक है ताकि बैठक के दौरान पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके.  धारा 144 स्थिति सामान्य होने पर इसे किसी भी समय वापस लिया जा सकता है. 
Bagesh Yadav
Bagesh Yadav

Senior Executive

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