आम बजट 2014-15: आर्थिक परिदृश्य व पहलें

Jul 10, 2014, 17:45 IST

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 10 जुलाई 2014 को लोकसभा में वित्त वर्ष 2014-15 का बजट पेश किया.

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 10 जुलाई 2014 को लोकसभा में वित्त वर्ष 2014-15 का बजट पेश किया. वर्तमान केंद्र सरकार द्वारा पेश किया गया यह पहला ‘आम बजट’ है.

आम बजट 2014-15: आर्थिक परिदृश्य

•    बेरोजगारी, अपर्याप्त मूलभूत सुविधाओं, अभावग्रस्त बुनियादी संरचना आदि समस्याओं के कारण आर्थिक विकास दर 5 प्रतिशत तथा द्विअंकीय मुद्रास्फीति है.

•    उभरती अर्थव्यवस्थाओं में जारी मंदी वैश्विक आर्थिक स्थिति में सुधार में अवरोधक बने हुए हैं.

•    वर्ष 2013-14 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनुमानित विकास दर की रिकवरी 3.6 प्रतिशत रही.

•    अगले तीन-चार वर्षों में 7.8 प्रतिशत की स्थिर विकास दर का लक्ष्य.

•    कर से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) अनुपात में सुधार और कर-भिन्न राजस्व वृद्धि होनी चाहिए.

•    वर्ष 2011-12 में राजकोषीय घाटा 5.7 प्रतिशत घटकर वर्ष 2013-14 में 4.5 प्रतिशत रह गया. यह मुख्यतः उच्चतर राजस्व वसूली की तुलना में घटते व्यय के कारण रहा.

•    वर्ष 2012-13 में चालू खाते के घाटे में 4.7 प्रतिशत का सुधार रहा जोकि वर्ष के अंत तक 1.7 प्रतिशत रहा. इस सुधार की वजह गैर-जरूरी आयातों एवं कुल मांग व्याप्त कमी रही.

•    4.1 प्रतिशत राजकोषीय घाटा पिछले दो वर्षों के निम्नतर जीडीपी विकास, स्थिर औद्योगिक विकास दर, अप्रत्यक्ष करों में धीमी वृद्धि, सब्सिडी के बोझ एवं उत्साहहीन कर उछाल की पृष्ठभूमि में निराशाजनक परिदृश्य.

•    राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को पूरा करने के लिए राजकोषीय समेकन के खाते में 2015-16 में 3.6 प्रतिशत और 2016-17 में 3 प्रतिशत राजकोषीय घाटे का अनुमान.

बजट अनुमान

•    राजकोषीय समेकन से समझौता किए बिना अधिदेश पूरा किया जाना.

•    सशस्त्र बलों के लिए पूंजीगत व्यय और उर्वरक सब्सिडी हेतु अतिरिक्त प्रावधान के साथ 1219892 करोड़ रुपये का आयोजना भिन्न व्यय.

•    575000 करोड़ रुपये का आयोजना व्यय, वर्ष 2013-14 के वास्तविक आकड़ों की तुलना में 26.9 प्रतिशत की वृद्धि.

•    कृषि, स्वास्थ्य औऱ शिक्षा में क्षमता सृजन, ग्रामीण सकड़ों और राष्ट्रीय राजमार्गों की अवसंरचना, रेल नेटवर्क विस्तार, स्वच्छ ऊर्जा पहलें, जल संसाधनों का विकास एवं नदी संरक्षण योजनाओं के लक्ष्यों के लिए आयोजना में वृद्धि.

•    1794892 करोड़ के कुल व्यय का अनुमान.

•    1364 करोड़ की सकल कर प्राप्तियों का अनुमान.

•    977258 करोड़ का केंद्र को निवल का अनुमान.

•    सं.घ.उ. का 4.1 प्रतिशत राजकोषीय घाटा तथा 2.9 प्रतिशत का राजस्व घाटा अनुमानित.

•    पूवोत्तर क्षेत्र के लिए आयोजना आवंटन को पृथक रूप से दर्शाती नई विवरणी. पूर्वोत्तर क्षेत्रओं के लिए 53706 करोड़ का आवंटन.

•    एससीएसपी के तहत 50548 करोड़ तथा टीएसपी के तहत 32387 करोड़ का आवंटन.

•    महिलाओं के लिए 98030 करोड़ तथा बच्चों के लिए 81075 करोड़ का आवंटन.

प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई)

•    सरकार चुनिंदा क्षेत्रों में एफडीआई को बढ़ावा देगी.

•    एफआईपीबी मार्ग के माध्यम से पूर्ण भारतीय प्रबंध एवं नियंत्रण के चलते विदेशी निवेश की मिश्रित सीमा बढ़ाकर 49 प्रतिशत करना.

•    पूर्ण भारतीय प्रबंधन एवं एफआईपीबी रूट के द्वारा नियंत्रण के माध्यम से बीमा क्षेत्र में कंपोजिट कैप 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 49 प्रतिशत करना.

•    स्मार्ट नगरों के विकास के लिए एफडीआई की बिल्डअप क्षेत्र की अपेक्षाओं और पूंजीस्थितियों को घटाकर क्रमशः 50000 वर्ग मीं से 20000 वर्गमी. करना और 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर से घटाकर 5 बिलियन डॉलर करना.

•    विनिर्माण इकाईयों को अपने उत्पाद ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्मों सहित खुदरा तौर पर बेचने पर अनुमति.

बैंक पूंजीकरण

•    बासेल मानकों के अनुरूप 2018 तक हमारे बैंकों में इक्विटी के रूप में रु.240000 करोंड़ के पूंजीकरण की आवश्यकता.

•    चरणबद्ध रूप से जनता की शेयरधारिता के जरिए बैंकों में पूंजी को बढ़ाये जाने की आवश्यकता.

सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का पूंजी व्यय

•    चालू वित्त वर्ष में पूंजी निवेश के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम को कुल रुपये 247941 करोड़ की राशि निवेश करने का लक्ष्य.

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