अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के ऋण के पुनर्भुगतान पर ग्रीस की चूक, जो कि उन्नत अर्थव्यवस्था में यह पहली घटना हो सकती है का प्रभाव निश्चित रूप से वैश्विक और भारतीय दोनों अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ेगा.
यूरोप भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है. वर्ष 2014-15 में 129 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार पंजीकृत हुआ था. यूरोपीय संघ के प्रमुख व्यापारिक भागीदारों-ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस और इटली के साथ 97 बिलियन अमेरिकी डॉलर का व्यापार होता है.
इस संकट से भारत से यूरोपीय संघ को होने वाले निर्यात पर असर पड़ेगा, क्योंकि यहां से यूरोपीय संघ को सबसे ज्यादा इंजीनियरिंग सामानों का निर्यात होता है. वर्ष 2015 के अप्रैल-मई माह में यूरोपीय संघ को भारत से सिर्फ इंजीनियरिंग निर्यात 1.86 अरब डॉलर रहा जो वर्ष 2014 के इसी अवधि में 1.89 अरब डॉलर था.
यूरोप अमेरिका के बाद भारतीय आईटी कंपनियों के लिए दूसरा सबसे बड़ी आउटसोर्सिंग बाजार है. यूरोप में कोई भी संकट भारतीय निर्यात अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा.
ग्रीस संकट के कारण सबसे बड़ा भय पूंजी प्रवाह का है. इससे पूंजी का प्रवाह भारत से बाहर जा सकता है. ब्याज दरें बढ़ सकती हैं. पूंजी बाजार में उतार चढ़ाव की स्थित बन सकती है.
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