दिल्ली उच्च न्यायालय ने गैरसरकारी संगठन ग्रीनपीस इंडिया को उसे अपने रोजमर्रा के कार्यों के लिए नये घरेलू चंदा प्राप्त करने और उसके इस्तेमाल के लिए दो खातों का उपयोग करने की अनुमति 26 मई 2015 को प्रदान की.
दिल्ली उच्च न्यायालय की पीठ के न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने इस गैर-सरकारी संगठन को अपनी मियादी जमा का उपयोग करने की अनुमति प्रदान करते हुए कहा कि इसका और ताजे चंदे का उपयोग कानून के अनुसार निश्चित लक्ष्यों एवं उद्देश्यों की पूर्ति के लिए करें.
पीठ ने स्पष्ट किया कि ग्रीनपीस सरकार द्वारा प्रतिबंधित राशि का प्रयोग नहीं कर सकता. न्यायालय ग्रीनपीस इंडिया की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें उसने अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय बैंक खातों पर लगी रोक हटाने का अनुरोध किया था.
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि मियादी जमा के स्रोत का निर्धारण सरकार अपनी जांच के दौरान कर सकती है.
इन खातों को अप्रैल 2015 में इन खातों को केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर प्रतिबंधित कर दिया गया था.
न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजीव शकधर ने भारत सरकार को ग्रीनपीस इण्डिया के आवेदन पर विदेशी चंदा (विनियमन) नियमावली (एफसीआरआर) के नियम 14 तहत आठ सप्ताह में निर्णय लेने का निर्देश दिया. एफसीआरआर के अनुसार एफसीआरए खाते की अनप्रयुक्त रकम का 25 फीसदी हिस्सा सरकार की मंजूरी से उपयोग किया जा सकता है.
भारत सरकार ने विदेशी चंदा (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) के तहत ग्रीनपीस का पंजीकरण इस आधार पर रद्द कर दिया था कि उसने संबंधित प्राधिकारों को सूचित किए बगैर ही विदेशी चंदे का उपयोग करने के लिए पांच खाते खोलकर नियमों का उल्लंघन किया.
गृह मंत्रालय ने अदालत से यह भी कहा था कि इस संगठन ने विदेशी चंदे को घरेलू चंदे के साथ मिलाकर एफसीआरए का उल्लंघन किया है.
अदालत ने बैंकों को भी कड़ी फटकार लगाई जिन्होंने उच्च न्यायालय से इजाजत मिलने के बाद भी ग्रीन पीस संगठन को अपने घरेलू खातों का इस्तेमाल नहीं करने दिया.
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