राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजलापूर्ति (National Rural Drinking Water) कार्यक्रम की मई 2011 के प्रथम सप्ताह में आई रिपोर्ट के अनुसार बिहार, असम, उड़ीसा और राजस्थान जैसे राज्य शुद्ध पेयजल आपूर्ति लक्ष्य से काफी पीछे हैं. बिहार (Bihar) के 18431 गांव ऐसे हैं जहां शुद्ध पेयजल आपूर्ति (Drinking Water) नहीं है. इसमें से 1112 गांव आर्सेनिक और 3339 गांव फ्लोराइड तथा 13980 गांव आइरन की अधिकता से प्रभावित हैं. असम ऐसा अकेला राज्य है, जहां बिहार (Bihar) से अधिक आर्सेनिक से प्रभावित गांव हैं. वहां ऐसे गांवों की संख्या 1849 है. असम में 14842 गांव आइरन की अधिकता से भी प्रभावित है. उड़ीसा में आर्सेनिक प्रभावित गांव तो 475 ही हैं पर आइरन की अधिकता वाले गांवों की संख्या 13216 है. राजस्थान के 10059 गांव फ्लोराइड और 20795 गांव नमक की अधिकता से प्रभावित हैं.
ज्ञातव्य हो कि केंद्र सरकार ने भारत निर्माण योजना (Bharat Nirman Yojna) के तहत 2012 तक देश के सभी जिलों में शुद्ध पेयजल आपूर्ति का लक्ष्य निर्धारित किया है. अप्रैल 2009 तक बिहार (Bihar) के 34909 गांव शुद्ध पेयजल आपूर्ति से वंचित थे. सरकार के प्रयासों से भारत निर्माण योजना (Bharat Nirman Yojna) के पहले चरण में इनमें से करीब 16 हजार गांवों में शुद्ध पेयजल आपूर्ति करा दी गई थी, लेकिन बिहार (Bihar) में अब भी 18 हजार से अधिक ऐसे गांव हैं जहां के लोगों को शुद्ध पेयजल नहीं मिल रहा है.
राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजलापूर्ति (National Rural Drinking Water) कार्यक्रम की रिपोर्ट के अनुसार बिहार (Bihar) के भोजपुर, पटना, बक्सर, लखीसराय, मुंगेर, भागलपुर, कटिहार, बेगुसराय, समस्तीपुर, सारण और दरभंगा जिले के बूढ़ी गंडक के किनारे के कई गांव आर्सेनिक से प्रभावित हैं.
ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (BIS: Bureau of Indian Standard) के मुताबिक एक लीटर पानी में 0.05 मिलीग्राम आर्सेनिक तक कोई खास परेशानी नहीं होती लेकिन इसकी अधिकता से त्वचा, खून और फेफड़े के कैंसर तथा बच्चों में कार्डियो वैस्कुलर सिस्टम प्रभावित होता है. फ्लोराइड की अधिकता से दांत और हड्डियों की बीमारी होती है.
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