युगांडा के राष्ट्रपति योवेरी मुसेवेनी ने एंटी– गे बिल पर 24 फरवरी 2014 को हस्ताक्षर किया. इसमें समलैंगिक गतिविधियों के लिए कड़े दंड का प्रावधान है.
एंटी–गे बिल के मुख्य प्रावधान
युगांडा में समलैंगिकता पहले से ही अवैध है. इस नए बिल में पहली बार समलैंगिकता के दोषी को 14 साल की कैद और दूसरी बार इसका दोषी पाए जाने पर आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है.
यह कानून युगांडा के भीतर या बाहर के किसी भी सरकारी संस्था या गैर सरकारी संगठन द्वारा समलैंगिक रिश्तों को बढ़ावा और मान्यता देने की प्रक्रिया को अवैध बनाता है. पहली बार इस कानून के जरिए समलैंगिक महिलाओं को भी इसके दायरे में लाया गया है.
इस कानून में समलैंगिकों के खिलाफ शिकायत न करने को अपराध माना गया है.
इस कानून के लागू होने के बाद समलैंगिकों को गुप्त जीवन जीने को मजबूर होना पड़ेगा.
विश्लेषण
अमेरिकी राष्ट्रपति और विदेश मंत्री जॉन एफ कैरी ने इस कानून को नैतिक रूप से गलत बताते हुए कहा है कि ऐसा कर युगांडा सभी से एक कदम और पीछे चला जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका युगांडा के इस कदम से बहुत निराश है और चाहता है कि युगांडा की सरकार इस कानून को वापस ले.
अंतरराष्ट्रीय लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल, ट्रांस एंड इंटरसेक्स एसोसिएशन या आईएलजीए ने लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर या इंटरसेक्स लोगों (एलजीबीटीआई) के खिलाफ आपराधिक कानूनों वाले 78 (वास्तविक संख्या 83 है) देशों की सूची बनाई गई है.
जनवरी 2014 में नाइजीरिया के राष्ट्रपति गुडलक जोनाथन ने एक कानून पर दस्तखत किए थे जिसके मुताबिक समलैंगिकता पर रोक लगाया जाना और एक ही लिंग के संघ में प्रवेश करने के जुर्म में 14 वर्ष की जेल की सजा का प्रावधान था. इसमें गे क्लब या संगठन चलाने वालों को 10 वर्ष की सजा का भी प्रावधान है.
भारत में, समलैंगिक गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत की जाने वाली कार्रवाई पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने रोक लगा रखी है. हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को 11 दिसंबर 2013 को निरस्त कर दिया था. इसलिए भारत समलैंगिकता विरोधी कानून वाले देशों की मुख्य सूची में फिर से शामिल हो चुका है.
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