राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने 31 जुलाई 2015 को उत्तराखंड के शिवपुरी से ऋषिकेश तक गंगा के तट पर राफ्टिंग शिविरों को अनुमति देने से इनकार कर दिया.
न्यायमूर्ति यूडी साल्वी की अध्यक्षता वाली पीठ ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय तथा उत्तराखंड सरकार की इस मामले में अपने जवाब नहीं सौंपने पर निंदा की और उन्हें सात अगस्त तक जवाब देने का निर्देश दिया.
पीठ ने पर्यावरण मंत्रालय को राफ्टिंग शिविरों द्वारा किए जा रहे क्रियाकलापों की प्रकृति पर रुख साफ करने का निर्देश दिया. सुनवाई के दौरान इंडियन एसोसिएशन ऑफ़ राफ्टिंग आउटफिटर्स ने कहा कि वन (संरक्षण) कानून के अनुसार राफ्टिंग क्रियाकलापों को गैर वन क्रियाकलाप नहीं माना जा सकता.
उत्तराखंड सरकार के 31 मार्च के इस बयान पर कि शिविरों के लिए नए लाइसेंस जारी नहीं होंगे, पर संज्ञान लेते हुए पीठ ने स्पष्ट किया कि नए राफ्टिंग शिविरों के लिए अनुमति नहीं दी जाएगी.
एनजीटी ऋषिकेश में राफ्टिंग शिविरों के अनियमित संचालन के खिलाफ एनजीओ सोशल एक्शन फॉर फारेस्ट एंड एंवायरामेंट की याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
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