वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने भारत की रेटिंग का आकलन स्थिर (बीबीबी+, BBB+) से घटाकर नकारात्मक कर दिया. क्रेडिट रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने 25 अप्रैल 2012 को भारत की अर्थव्यवस्था के मौजूदा हालत और राजनीतिक परिदृश्य को खराब मानते हुए रेटिंग को नकारात्मक (बीबीबी-, BBB-) किया.
आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2012 में विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से 760 करोड़ रुपये निकाल लिए. साथ ही राजनीतिक अनिर्णय की स्थिति को भी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने रेटिंग कम करने का एक कारण बताया. एस एंड पी के क्रेडिट विश्लेषक ताकाहीरा आगावा के अनुसार बाह्य मोर्चे पर स्थिति का लगातार बिगड़ना, आर्थिक वृद्धि की संभावनाएं खत्म होना अथवा कमजोर राजनीतिक समन्वय में वित्तीय सुधारों के मोर्चे पर स्थिति ढीली बने रहना रेटिंग घटाने के कारक हैं.
वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पुअर्स के अनुसार भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि वर्ष 2012-13 में 5.3 फीसदी बनी रहेगी, क्योंकि पिछले पांच वर्षों में इसमें औसतन 6 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है. इसके बावजूद भारत का उच्च राजकोषीय घाटा और भारी कर्ज इसकी साख बढ़ाने के रास्ते की सबसे बड़ी रुकावट है.
ज्ञातव्य हो कि अर्थव्यवस्था के पैमाने पर नकारात्मक रेटिंग किसी देश की साख के नजरिए का सबसे निचला दर्जा होता है.
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