सर्वोच्च न्यायालय ने 19 फरवरी 2014 को दिए गए एक फैसले में कानूनी स्थिति स्पष्ट करते हुए, जुवेनाइल जस्टिस कानून एवं संविधान के अनुच्छेद 44 (नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता) के आधार पर सभी धार्मिक समुदाय एवं जातियों को बच्चा गोद लेने संबंधी समान अधिकार होने की बात कही.
सर्वोच्च न्यायालय ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की दलीलें खारिज करते हुए कहा की जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा 41 में सभी धर्मों व जातियों के लोगों को समान रूप से बच्चा गोद लेने का प्रावधान किया गया है, जो एक सकारात्मक कानून है. जिसमें कोई बाध्यता नहीं है.
उपरोक्त फैसला समाज सेविका शबनम हाशमी की याचिका का निपटारा करने के क्रम में सामने आया. जिसमें शबनम हाशमी ने पर्सनल-लॉ के उस प्रावधान को चुनौती दी थी जिसके तहत हिन्दुओं के अलावा अन्य धर्मों को मानने वाले लोग अगर बच्चा गोद लेते थे तो उन्हें माता-पिता का दर्जा न मिलकर बल्कि सिर्फ संरक्षक का दर्जा मिलता था.
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