सर्वोच्च न्यायालय ने सहारा समूह को 20 हजार करोड़ रूपए की संपत्ति के मालिकाना हक के कागजात भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) को सौंपने के निर्देश दिए. सर्वोच्च न्यायाल के न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जेएस खेहर की खंडपीठ ने यह निर्णय 28 अक्टूबर 2013 को दिया
सर्वोच्च न्यायाल की पीठ ने अपने निर्णय में कहा कि अगर तीन सप्ताह में इस आदेश का पालन नहीं किया गया तो सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत राय को विदेश जाने की अनुमति नहीं दी जानी है. खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि निवेशकों को लौटाये जाने वाला धन बाजार नियामक को सौंपने से ‘बचने का’ कोई रास्ता नहीं बचा है. इसी के साथ सर्वोच्च न्यायालय ने सहारा समूह से संपत्तियों की मूल्यांकन रिपोर्ट भी भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) को देने को कहा जिसके द्वारा इन परिसंपत्तियों के मूल्य का आकलन किया जाना है.
इसके साथ ही सहारा समूह को भरोसा दिलाया कि यदि निवेशकों का धन लौटा दिया गया तो उसके हितों की रक्षा की जानी है. सर्वोच्च न्यायालय ने इसके साथ ही इस मामले की सुनवाई 20 नवंबर 2013 के लिए स्थगित कर दी. सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उस दिन उन संपत्तियों के बारे में विचार किया जाना है जिनके मालिकाना हक के दस्तावेज सेबी को सौंपे जाने हैं.
विदित हो कि सर्वोच्च न्यायालय ने 31 अगस्त 2012 को सहारा समूह को निर्देश दिया था कि नवंबर 2012 के अंत तक निवेशकों के 24 हजार करोड़ रुपए लौटाये. यह समय सीमा आगे बढ़ाई गई थी और कंपनियों को 5120 करोड़ रुपये तत्काल जमा करने तथा 10 हजार करोड़ रुपये जनवरी 2013 के पहले सप्ताह में तथा शेष रकम फरवरी 2013 के प्रथम सप्ताह तक जमा कराने थे. सहारा समूह ने 5 दिसंबर 2012 को 5120 करोड़ रुपये का ड्राफ्ट जमा कराया था लेकिन शेष रकम का भुगतान करने में वह असफल रहा था.
क्या है मामला?
सेबी ने सहारा समूह कंपनियों सहारा इंडिया रियल स्टेट तथा सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कार्पोरेशन के प्रवर्तक सुब्रत राय के विरूद्ध पब्लिक इश्यू नियमों की अवमानना के कारण उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी. सेबी ने सहारा इंडिया रियल स्टेट तथा सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कार्पोरेशन पर आरोप लगाया था कि दोनो कंपनियों ने ने पूर्ण रूप से विकल्पीय परिवर्तनीय ऋण-पत्रों के माध्यम से 24000 करोड़ रुपये जुटाए थे. साथ ही, सहारा समूह के विरूद्ध निवेशकों के धन लेने तथा धोखा-धड़ी के आरोप लगाये जाते रहे हैं, जिससे हजारों निवेशकों को नुकसान हुआ है.
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