त्रिपिटक ग्रंथों को अंग्रेजी भाषा में पाली सिद्धांत के रूप में जाना जाता है, जोकि बौद्ध धर्म ग्रंथों के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक पारंपरिक शब्द है। इसे सुतपिटक, विनयपिटक, अभिधम्मपिटक में बांटा गया है।
सुतपिटक
• इसमें बुद्ध और उनके करीबी सहयोगियों से संबंधित लगभग 10 हजार सूत्र वर्णित हैं।
• यह बुद्ध की मृत्यु के बाद आयोजित प्रथम बौद्ध परिषद, से संबंधित है।
• सुत्त पिटक को निम्नलिखित पाँच निकायों में विभाजित किया गया है।
1. अंगुत्तर निकाय में दो हजार से अधिक संक्षिप्त कथनों का संग्रह हैं। इसी में 16 महाजनपदो का उल्लेख मिलता है।
2. दीघ निकाय में बुद्ध के लम्बे उपदेशो का संग्रह है। इस ग्रन्थ पर बुद्धघोष ने सुमंगलवासिनी एवं सामन्तपासादिका नामक टीका लिखा है।
3. खुद्दक निकाय में कई ग्रन्थ शामिल किये जाते है।
4. मज्झिम निकाय में छोटे उपदेशो का संग्रह है।
5. संयुक्त निकाय में बुद्ध की संक्षिप्त घोषणाओं का संग्रह किया गया है।. धर्मंचक्रप्रवर्तन सुत्त इसी का अंग है।
विनयपिटक
इस बौद्ध ग्रन्थ में संघ के अंतर्गत अनुशासन की पुस्तक के रूप में जाना जाता है। इसमें भिक्षुओं और भिक्षुणियों के संघ एवं दिनकी जीवन सम्बंधी आचार-विचार और नियम संगृहित हैं। इसे तीन पुस्तकों अर्थात् सुत्ताविभंग, खन्दक और परिवार में बांटा गया है।
अभिधम्मपिटक
इस बौद्ध धर्मं ग्रन्थ में बौद्ध धर्म के दर्शन और सिद्धांत शामिल हैं। यह सात पुस्तकों अर्थात् धम्मासंघिनी, धातुकथा, कथावत्थु,पट्ठना, पुग्गलापन्नातु, विभंग और यमक में बांटा गया है।
जातक कथा
इसमें कविताओं के रूप में बुद्ध के पूर्व जन्मों की कहानियां शामिल हैं।
मिलिंदपन्ह्यो
यह ग्रन्थ बौद्ध भिक्षु नागसेन और भारत के इन्डो-यूनानी राजा मिनान्डर के बीच बातचीत पर शामिल ग्रन्थ है। इसके रचयिता नागसेन हैं। यह पालि भाषा में लिखित पुस्तक है।
दीपवंश
मुख्य रूप से इसमें सिंहलद्वीप(श्रीलंका) का इतिहास वर्णित है। वास्तव में, यह श्रीलंका का सबसे पुराना ऐतिहासिक सूचना स्रोत है। पालि साहित्य में इसे सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक माना जाता है।
महावंश
इसका शाब्दिक अर्थ महान इतिहास है। यह सबसे महत्वपूर्ण पाली महाकाव्य है। इसका मूल मंतव्य ऐतिहासिक है और यह श्रीलंका के राजाओं का वर्णन करता है। यह पुस्तक सबसे लंबे समय तक के ऐतिहासिक सूचना स्रोतों में से एक है।
बुद्धचरित
यह संस्कृत भाषा में अश्वघोष के द्वारा लिखा गया है। इस ग्रन्थ में मुख्य रूप से बुद्ध के जीवन के विविध पहलुओ को को दर्शाया गया है।
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