India's World Heritage Site 2024: भारत की सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में लगातार कदम उठाते हुए, पिछले कुछ वर्षों में यूनेस्को द्वारा भारत की कई धरोहर स्थलों को विश्व धरोहर सूची में जोड़ा गया है. ये नए ऐतिहासिक स्थल भारत के वास्तुशिल्प और ऐतिहासिक महत्व को उजागर करते हैं.
यहां हाल ही में जोड़े गए कुछ महत्वपूर्ण धरोहर स्थलों की जानकारी दी जा रही है, जो ऐतिहासिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है.
हाल के वर्षों में यूनेस्को लिस्ट में शामिल प्रमुख स्थल:
हाल के वर्षो की बात करें तो साल 2024 में मोइदम (अहोम राजवंश की समाधि स्थल) को यूनेस्को लिस्ट में शामिल किया गया है, साथ ही यहां आप उन नामों के बारें में जानकारी प्राप्त कर सकते है जिन्हें यूनेस्को लिस्ट में जगह मिली है-
क्रमांक | धरोहर स्थल का नाम | राज्य | वर्ष |
1 | मोइदम – अहोम राजवंश की समाधि प्रणाली | असम | 2024 |
2 | शांतिनिकेतन | पश्चिम बंगाल | 2023 |
3 | होयसला साम्राज्य के पवित्र स्थल | कर्नाटक | 2023 |
4 | काकतीय रुद्रेश्वर (रामप्पा) मंदिर | तेलंगाना | 2021 |
5 | धोलावीरा: एक हड़प्पा शहर | गुजरात | 2021 |
यहां देखें हाई लाइट्स:
ये धरोहर स्थल न केवल भारत की ऐतिहासिक धरोहर का हिस्सा हैं, बल्कि विश्व धरोहर के रूप में वैश्विक मान्यता भी प्राप्त कर चुके हैं. आप नए स्थलों के बारें में विस्तार से देख सकते है-
1. मोइदम– अहोम राजवंश की समाधि स्थल, असम
असम में स्थित 'मोइडाम्स' को 2024 में विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया, जो भारत का 43वां धरोहर स्थल बना था. यह स्थल ताई-अहोम राजवंश की विशिष्ट समाधि प्रणाली का प्रमाण है.
2. शांतिनिकेतन, पश्चिम बंगाल (2023)
1901 में नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ ठाकुर द्वारा स्थापित शांतिनिकेतन, एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और शैक्षिक केंद्र के रूप में उभरा. इसका उद्देश्य पारंपरिक सीमाओं से परे शिक्षा प्रणाली का निर्माण करना और मानवता की एकता को प्रोत्साहित करना था.
3. होयसला साम्राज्य के पवित्र स्थल, कर्नाटक
कर्नाटक में स्थित होयसला साम्राज्य के पवित्र मंदिर 12वीं और 13वीं शताब्दी की मंदिर निर्माण शैली का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करते हैं. इन मंदिरों का स्थापत्य और कला उस युग की शिल्प कौशल की ऊंचाई को दर्शाता है.
4. काकतीय रुद्रेश्वर (रामप्पा) मंदिर, तेलंगाना
13वीं शताब्दी का काकतीय रुद्रेश्वर मंदिर काकतीय वास्तुकला की समृद्धि और शिल्प कौशल का अद्भुत उदाहरण है. इस मंदिर की 'तैरती ईंटें' और उत्कृष्ट नक्काशी इसकी विशेषताएं हैं, जो काकतीय साम्राज्य की उन्नत तकनीकी और कलात्मकता को दर्शाती हैं.
5. धोलावीरा: एक हड़प्पा शहर, गुजरात
गुजरात में स्थित धोलावीरा, सिंधु घाटी सभ्यता के सबसे महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थलों में से एक है. यह प्राचीन शहर हड़प्पा सभ्यता की शहरी योजना, जल प्रबंधन प्रणाली और सामाजिक संरचना के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है.
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