5 सितम्बर – भारत में शिक्षक दिवस

भारत में हर वर्ष 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है.

Sep 5, 2016, 12:05 IST

भारत में हर वर्ष 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है यह शिक्षकों द्वारा उनके समाज में दिये गये योगदान के लिए उन्हे सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है। 5 सितम्बर डा. राधाकृष्णन का जन्मदिन है जोकि एक महान सरंक्षक, शिक्षाविद, भारत के राष्ट्रपति व इन सबसे पहले एक महान शिक्षक थे।

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शिक्षक दिवस का महत्व

शिक्षक दिवस एक ऐसा मौका है जिसका छात्रों व शिक्षकों दोनों को ही इंतजार रहता है इस दिन शिक्षकों को सम्मान दिया जाता है। इसी दिन छात्रों को यह समझने का मौका मिलता है कि शिक्षक उनके जीवन में कितने महत्वपूर्ण हैं ।

शिक्षकों का हमेशा सम्मान करना चाहिये। समाज को सदैव शिक्षकों की सहायता करते हुये उन्हे प्रोत्साहित करना चाहिये ताकि विदृता के प्रति उनकी निष्ठा बनी रहे और लगातार बढ़ती रहे। भारत में शिक्षक दिवस की पूर्व-संध्या पर राष्ट्रपति शिक्षकों को राष्ट्रीय सम्मान से नवाज़ते हैं। इस पुरस्कार द्वारा प्राथमिक विद्यालयों,माध्यमिक विद्यालयों व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में उत्कृष्ट शिक्षण करने वाले शिक्षकों को पुरस्कृत करके उनके प्रति आभार व्यक्त किया जाता है ।

हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार, "शिक्षण एक पेशा नहीं बल्कि जीवन का एक तरीका है।" आगे वे कहते हैं कि शिक्षण कार्य को एक पेशे के रूप में नहीं बल्कि "जीवन धर्म” (जीवन का एक तरीका) के रूप में अपनाना चाहिए| उन्होंने शिक्षकों को दुनिया भर में हो रहे परिवर्तनों को समझकर उसके अनुसार नई पीढ़ी को तैयार करने के लिए कहा है। वास्तव में मार्गदर्शन और समझाने का यह कार्य एक उत्कृष्ट जिम्मेदारी है। उन्होंने यह भी कहा है कि भारत शिक्षकों को उच्च सम्मान देकर पुनः “विश्वगुरू” (शिक्षा के क्षेत्र में नेता) की पदवी प्राप्त कर सकता है| इसके साथ ही उन्होंने शिक्षकों से कहा है कि वे वह छात्रों को राष्ट्र से संबंधित मुद्दों के बारे में गंभीरता पूर्वक सोचने के लिए प्रोत्साहित करें| उन्होंने कहा कि शिक्षकों का दृढ़ संकल्प और ईमानदारी राष्ट्र की नियति को आकार प्रदान करेगा क्योंकि वे समाज की नींव और ईमारत का निर्माण कर रहे हैं।

शिक्षक कौन होता हैं?

शिक्षक ज्ञान और बुद्धि के सच्चे प्रतिरूप हैं एवं वे छात्रों को जागरूकता और शिक्षा के द्वारा जीवन जीने के सही तरीके बताते हैं| वे हमारे जीवन के प्रकाश स्रोत हैं। हमारी सफलता के पीछे हमारे शिक्षकों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। वे हमें हमारे ज्ञान, कौशल स्तर और आत्मविश्वास में सुधार करने के लिए एवं सफलता प्राप्त करने हेतु सही रास्ता चुनने में हमारी मदद करतें है। अतः प्रत्येक छात्र का यह परम कर्तव्य है कि शिक्षकों के इस अमूल्य योगदान के लिए साल में कम-से-कम एक दिन उनका धन्यवाद अवश्य करें|

कहा भी गया है कि :

शिक्षक दिवस से संबंधित क्विज

शिक्षक दिवस पर मनोरंजन के अलावा इस दिन हम डा.राधाकृष्णन से प्रेरणा लेते हैं कि किस तरह से एक छोटे से शहर का लड़का भारतीय राजनीति मे एक सम्मानित राजनीतिज्ञ बना।

डॉ. एस. राधाकृष्णन के बारे में जानकारी:

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भारत मे शिक्षक दिवस – डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन

डा. राधाकृष्णन वर्तमान भारत के सबसे प्रसिध्द लेखकों में से थे। उन्होने सैध्दांतिक, धर्मशास्त्रीय, नैतिक, शिक्षाप्रद, साम्प्रदायिक आदि विषयों में विशेष योगदान दिया। उन्होने अनेक पत्रिकाओं मे बहुत से लेख लिखे। यह लेख बहुत ही महत्वपूर्ण थे। इनके  लेखो में विचारो की गहराई पाठको को कई अर्थ देती है।

शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है-

डा. राधाकृष्णन 1962 मे भारत के राष्ट्रपति बने । उनके कुछ शिष्यों और दोस्तों से उनके जन्मदिन 5 सितम्बर को  शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की उनसे आग्रह किया। डा. राधाकृष्णन ने उत्तर दिया कि यदि उनका जन्मदिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाएगा तो यह उनके लिए गर्व की बात होगी। यह शिक्षण के प्रति उनके संकल्प व प्रेम को दर्शाता है। उसी समय से भारत में प्रति वर्ष 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है।

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शिक्षक दिवस के अवसर पर स्कूलों एवं कॉलेजों में छात्रों द्वारा शिक्षकों के मनोरंजन के लिए कई गतिविधियों का आयोजन किया जाता है जिसमें नृत्य, गायन, अभिनय, कविता पाठ, खेल–कूद, मिमिक्री प्रतियोगिताएं प्रमुख हैं| इन आयोजनों के द्वारा शिक्षकों को सम्मानित किया जाता है एवं उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट की जाती हैं|

अतः शिक्षक दिवस शिक्षकों और छात्रों के बीच के संबंध को उत्सव के रूप में मनाने का एक महान अवसर है और इस दिन हमें अपने शिक्षकों से मिलने और उनके सामने अपनी इच्छाओं को व्यक्त करने का प्रयास करना चाहिये| अगर वो हमसे दूर हैं तो उन्हें संदेश भेजकर उनकी/ उनके दिन को यादगार बनाना चाहिये|

चेन्नई के KCG कॉलेज के प्रोफेसर के अनुसार शिक्षकों एवं छात्रों के संबंध के संदर्भ में 'नसीहत' शब्द का प्रयोग "चरित्र निर्माण" के अर्थ में किया जाता है। अच्छे शिक्षक न केवल प्रशिक्षक होते हैं बल्कि वे चरित्र निर्माता भी होते हैं| बौद्धिक और नैतिक रूप से सुदृढ़ होने के कारण वे दूसरों के लिए पथ-प्रदर्शक होते हैं|

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Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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