GST दर: 8 मिथ्या और वास्तविकताएं

Jul 4, 2017, 10:58 IST

गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST), अर्थव्यवस्था को मजबूत और भ्रष्टाचार को कम करने के लिए 1 जुलाई से लागू हुआ हैं. इस लेख में GST की दर को लेकर कुछ मिथ्या और उससे जुड़ी वास्तविकता के बारे में बताया गया है.

गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST), अर्थव्यवस्था को मजबूत और भ्रष्टाचार को कम करने के लिए 1 जुलाई से लागू हुआ हैं. जीएसटी के अंतर्गत, 5 %, 12 %, 18 % और 28 % के चार टैक्स स्लैब की दर दी गई है. आवश्यक वस्तुएं जैसे नमक, खुला अनाज, स्वास्थ्य सेवाओं को शून्य दर पर रखा गया है. हालांकि यह'एक राष्ट्र, एक टैक्स' का मार्ग प्रशस्त करता है.

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जीएसटी ने लोगों के बीच आशंका भी पैदा की है कि यह उनके वित्त, व्यापार और दिनचर्या को कैसे प्रभावित करेगा. क्या इससे नुक्सान होगा या फायदा. ऐसे कई प्रश्न लोगों के अंदर चल रहें हैं. इसलिए राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने जीएसटी सुधार की जटिलताओं और आशंकाओं के बारे में बताया है कि कैसे ईमानदार लोगों को इससे लाभ होगा. इस लेख के माध्यम से कुछ ऐसे तथ्यों पर ध्यान दिया गया है जिससे उपरोक्त एवं जीएसटी से जुड़े और भी कई सवालों के जवाब प्राप्त होंगे.

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जीएसटी (GST) दर से सम्बंधित कुछ मिथ्या और वास्तविकता
1. उच्च या ज्यादा टैक्स की दर
मिथ्या : ऐसा माना जा रहा है कि नया जीएसटी दर पहले के वैट की तुलना में अधिक है.
वास्तविकता : यह अधिक इसलिए प्रतीत होता है क्योंकि उत्पाद शुल्क और अन्य टैक्स पहले जो अदृश्य थे, अब जीएसटी में शामिल हो गए हैं और अब दिख रहे हैं.
2. इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के जरिये लेनदेन
मिथ्या : सारे इनवॉइस या चालान कंप्यूटर या इंटरनेट पर ही बनाने की आवश्यकता होगी.
वास्तविकता : नही ऐसा जरुरी नही है, इनवॉइस या चालान मैन्युअल रूप से भी बनाया जा सकता है.
3. इंटरनेट की आवश्यकता
मिथ्या : जीएसटी (GST) के अंतर्गत, एक रिटेलर को व्यापार करने के लिए हर समय इंटरनेट की जरुरत होगी.
वास्तविकता : हर महीने के अंत में जीएसटी (GST) रीटरन दाखिल करते समय इंटरनेट की जरुरत होगी नाकि हर समय.

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4. कार्ड द्वारा बिल का भुगतान करना
मिथ्या : ऐसा माना जा रहा है कि, अगर कोई व्यक्ति क्रेडिट कार्ड द्वारा उपयोगिता बिल का भुगतान करता है, तो वह जीएसटी का दो बार भुगतान करेगा.
वास्तविकता : ऐसा नही हैं, जीएसटी केवल एक बार लगाया जाता है, चाहे नकद या कार्ड द्वारा भुगतान किया जा रहा हो.

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5. व्यापार के लिए परमिट
मिथ्या : एक खुदरा व्यापारी के हिसाब से उसके पास अस्थायी आईडी है लेकिन व्यवसाय करने के लिए फाइनल आईडी की आवश्यकता होगी.
वास्तविकता : अनंतिम या फाइनल आईडी आपका अंतिम जीएसटीआईएन (GSTIN) नंबर होगा.
6. लघु-स्तरीय व्यवसाय के लिए
मिथ्या : यहां तक कि छोटे डीलरों को भी बदले में इनवॉइस का विवरण दर्ज कराना होगा.
वास्तविकता : खुदरा व्यापार में (B2C) केवल कुल बिक्री का सारांश प्रस्तुत करने की आवश्यकता है नाकि सब कुछ विस्तार से.
7. व्यापार करने में आसानी को लेकर
मिथ्या : पहले ट्रेड (trade) के लिए आइटम को छूट दी गई थी, इसलिए रिटेलर को अब व्यापार शुरू करने से पहले नए पंजीकरण की आवश्यकता होगी.
वास्तविकता : आप व्यवसाय करना जारी रख सकते हैं और 30 दिनों के भीतर पंजीकृत करा सकते हैं.
8. रिटर्न फाइलिंग करते वक्त
मिथ्या : प्रति माह तीन रिटर्न भरने होंगे.
वास्तविकता : एक ही रिटर्न के तीन भाग है, जिसमें से पहला भाग डीलर द्वारा और बाकी दो भाग कंप्यूटर द्वारा भरे जाएंगे.
इस लेख से GST को लेकर जो भी मिथ्या एवं वास्तविकताएं थी वो स्पष्ट हो गई है और यह कैसे आम आदमी की लाइफ को सरल बनाएगा, कैसे अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा, इससे फायदा होगा या नुक्सान आदि की जानकारी भी प्राप्त हो गई होगी.

Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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